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तीस साल में कम हो गए सवा लाख बैगा जनजाति

टारगेट पूरा करने के लिए मध्य प्रदेश के सरकारी मुलाजिमों ने विलुप्ति की कगार पर खड़ी बैगा जनजाति के अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 03 Feb 2017 04:26 AM (IST)Updated: Fri, 03 Feb 2017 04:35 AM (IST)
तीस साल में कम हो गए सवा लाख बैगा जनजाति
तीस साल में कम हो गए सवा लाख बैगा जनजाति

नईदुनिया, जबलपुर। अपना टारगेट पूरा करने के लिए मध्य प्रदेश के सरकारी मुलाजिमों ने विलुप्ति की कगार पर खड़ी बैगा जनजाति के अस्तित्व को ही खतरे में डाल दिया है। प्रतिबंध के बावजूद जिला और जनपद स्तर पर बैगाओं की नसबंदी धड़ल्ले से की जा रही है। जनगणना के आंकड़े बताते हैं कि पिछले तीस सालों में बैगाओं की आबादी बढऩे के बजाय करीब सवा लाख कम हो गई है। राज्य में बैगा जनजाति मुख्य रू प से डिंडोरी, मंडला, बालाघाट, उमरिया, अनूपपुर और शहडोल जिले में निवास करती है।
दुर्गम जंगलों के बीच रहने वाले बैगा 21वीं सदी में भी दुश्वारियों भरा जीवन जीने को मजबूर हैं। बैगाओं को सरकार ने राष्ट्रीय मानव का दर्जा दिया है। जंगल से लकड़ी काटकर बेचना इनका मुख्य पेशा है। ज्यादातर मामलों में गर्भवती महिलाओं का सही खानपान न होने की वजह से बच्चे जन्म से ही कुपोषण का शिकार हो जाते हैं। वहीं पुरुष शराब की वजह से असमय मौत का शिकार हो जाते हैं।
नसबंदी की लगातार शिकायतों के बाद अब जाकर स्वास्थ्य व परिवार कल्याण विभाग ने पत्र लिखकर कलेक्टरों और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को एक बार फिर बैगाओं की नसबंदी पर रोक की याद दिलाई है और विशेष परिस्थितियों में ही नसबंदी करने की इजाजत देने के लिए कहा है। बैगाओं का अस्तित्व बचाए रखने के लिए सरकार ने 13 दिसंबर 1979 को नसबंदी पर रोक लगाई थी। यह पत्र छत्तीसगढ़ सरकार को भी भेजा गया है क्योंकि वहां के बैगाओं की मध्य प्रदेश में लाकर नसबंदी कराने की शिकायतें भी मिलती रही हैं। इधर, आदिम जाति कल्याण विभाग बैगाओं की जनसंख्या के आंकड़ों की जांच कराने की बात कह रहा है।

लालच देकर नसबंदी
21 दिसंबर 2016 को डिंडोरी जिले के बजाग में एक दर्जन बैगा महिलाओं की नसबंदी की गई। इसके बाद 28 दिसंबर को भी बजाग में ही दो बैगा महिलाओं की नसबंदी कराने का मामला सामने आया। इसी तरह पिछले महीने बालाघाट जिले के बैहर में एक बैगा महिला की नसबंदी की गई। इसके पहले एक जुलाई 2015 को बालाघाट के दक्षिण बैहर में मकान का लालच देकर 140 बैगाओं की नसबंदी की गई थी। पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ में नसबंदी कराने पर 600 और प्रोत्साहन राशि 150 रुपये मिलती है, जबकि मप्र में नसबंदी कराने पर एक हजार और प्रोत्साहन राशि 400 रुपये दी जाती है।

ये है स्वास्थ्य विभाग का आदेश
बीएन सिंह चौहान संचालक परिवार कल्याण मप्र शासन ने 19 जनवरी को प्रदेश के सभी स्वास्थ्य अधिकारियों सहित कलेक्टरों व छत्तीसगढ़ राज्य के आदिम जाति कल्याण विभाग को आदेश पत्र जारी किया है। पत्र में कहा गया है कि 26 विकासखंडों में निवास करने वाली बैगा जनजाति की नसबंदी न की जाए व शासन के पूर्व आदेशों का क ड़ाई से पालन किया जाए।

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