Plastic Ban: पुरानी आदतों को नवजीवन दे प्लास्टिक से जंग लड़ रहा इंदौर
स्वच्छ भारत मिशन के कार्यपालन यंत्री महेश शर्मा ने बताया कि नगर निगम ने सिंगल यूज प्लास्टिक के उपयोग पर रोक लगाने के लिए पिछले दो वर्षों से प्रभावी रूप से कार्रवाई की है। निगम ने कई बार अमानक पालीबैग शहर में लाने वाले ट्रकों को जब्त किया है।
उदय प्रताप सिंह. इंदौर। स्वच्छता अभियान में नए-नए प्रयोग करने वाले इंदौर ने सिंगल यूज प्लास्टिक का प्रयोग रोकने के लिए पुरानी आदतों को नवजीवन देने पर खास ध्यान दिया है। जब प्लास्टिक का चलन इतना नहीं था, तब लोग घर से बाहर जाने पर आमतौर पर स्टील के गिलास, चम्मच आदि साथ में रखते थे। वैवाहिक व अन्य समारोहों में भी थर्माकोल की क्राकरी के बजाय स्टील के बर्तन या पत्तल प्रयोग किए जाते थे। बाजारों में भी स्टील के बर्तन अधिक प्रयोग होते थे। लोग कपड़े का थैला लेकर बाजार जाते थे। इंदौर ने प्लास्टिक के खिलाफ जंग में इन छोटे किंतु अहम बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया है। इनका प्रभाव भी दिखने लगा है।
मैं हू झोलाधारी अभियान के तहत पिछले दिनों इंदौर में जगह-जगह लोगों ने झोले लेकर सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल नहंी करने और खरीदी के दौरान झोले के इस्तेमाल की शपथ ली।
मैं हूं झोलाधारी इंदौर अभियान
नगर निगम ने शहर के बाजारों में 80 हजार से ज्यादा कपड़े के झोले तैयार कर निश्शुल्क वितरित किए हैं। इसके लिए 'मैं हूं झोलाधारीÓ अभियान चलाया गया। बड़े चौराहों पर टेंट तानकर सिलाई मशीनें लगाकर झोले बनाए गए और ग्राहकों-दुकानदारों को मुफ्त में दिए गए। पालीबैग पर रोक के लिए चार वर्ष से दुकानदारों व ठेले वालों पर स्पाट फाइन की कार्रवाई की जा रही है।
खानपान के बड़े बाजारों में स्टील व अन्य क्राकरी: सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक के शहर के प्रमुख खानपान के बाजारों मेघदूत, छप्पन दुकान, सराफा, दशहरा मैदान, गुरुद्वारे के पास खाऊ गली आदि पर डिस्पोजेबल व प्लास्टिक की कटलरी को प्रतिबंधित कर स्टील व अन्य क्राकरी के उपयोग को बढ़ावा दिया।
निगम ने कई प्रमुख बाजारों में थैला बैंक बनाए। इनमें कई कपड़ा व्यापारियों ने झोले तैयार कर दान में दिए हैं। थैला बैंक से तीन से पांच रुपये तक कपड़े के झोले बेचने की व्यवस्था की गई। जो व्यक्ति खरीदारी के लिए घर से झोला लेकर नहीं आया, वह कपड़े के झोले सस्ते में खरीद सकता है।
1,000 हजार से ज्यादा आयोजनों में बर्तन बैंक बना मददगार: बर्तन बैंक ने 1,000 से ज्यादा आयोजनों में डिस्पोजल बर्तनों का प्रयोग रोकने में अहम भूमिका निभाई। प्लास्टिक मुक्त अभियान में जुटे एक एनजीओ के सदस्य गोपाल जगताप के मुताबिक दो वर्ष पहले इंदौर में बर्तन बैंक का प्रयोग शुरू किया गया। पहले लोग घरों में जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ, पूजन, पार्टी व शादी के आयोजनों में अक्सर डिस्पोजेबल प्लेट, चम्मच, कटोरी व गिलास का उपयोग करते थे। यह सिंगल यूज प्लास्टिक है। हमने शहर में छह स्थानों पर बर्तन बैंक बना लोगों को ऐसे आयोजनों के लिए निश्शुल्क स्टील के बर्तन उपलब्ध करवाए।
इस तरह प्लास्टिक के विकल्पों का हो रहा प्रयोग:
-गन्ने के सूखे वेस्ट से बनी कटोरी, गिलास व खाना पैक करने के लिए लीक प्रूफ कंटेनर का उपयोग।
- मक्का के स्टार्च से बनी कटलरी, जिसमें खास तौर पर चम्मच व फोर्क का होटल व रेस्टोरेंट कर रहे इस्तेमाल।
-बांस से बने टूथ ब्रश व ईयर बड्स का भी हो रहा उपयोग।
- बांस से बनी स्ट्रा का पुन: उपयोग किया जा रहा।
बांस की स्ट्रा और गन्ने के अवशेष से से बनाए कप-प्लेट: इंदौर के अधिकांश होटल व कुछ रेस्टोरेंट्स ने प्लास्टिक व थर्माकोल केे स्थान पर गन्ने के अवशेष व मकई के स्टार्च से बने कप, प्लेट व गिलास का उपयोग शुुरू किया है। उत्तर प्रदेश व महाराष्ट्र के स्टार्टअप द्वारा तैयार इन उत्पादों को शहर के एनजीओ ह्यूमन मैट्रिक्स द्वारा उपलब्ध करवाया जा रहा है। यह उत्पाद आमजन को भी एक मार्ट में आसानी से उपलब्ध हैं।