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राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः इंदौर में व्यापार की अपार संभावनाएं, जरूरत है तो इन्हें भुनाने की

अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार जब तक लघु उद्योगों पर ध्यान नहीं देगी तब तक इंदौर की अर्थव्यवस्था में रफ्तार लाना संभव नहीं है।

By Nandlal SharmaEdited By: Published: Sun, 05 Aug 2018 06:00 AM (IST)Updated: Sun, 05 Aug 2018 06:00 AM (IST)
राउंडटेबल कॉन्फ्रेंसः इंदौर में व्यापार की अपार संभावनाएं, जरूरत है तो इन्हें भुनाने की

इंदौर देश की सबसे महत्वपूर्ण उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, जिसे सभी लोग चमकीला मान रहे हैं। दुनिया में जो भी शहर आगे बढ़े हैं। उनमें इंफ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसपोर्ट, कनेक्टिविटी, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाएं सबसे महत्वपूर्ण रही हैं और यदि इंदौर को देखा जाए तो यहां भी यह सभी सुविधाएं संतोषप्रद हैं। इन्हें अगले स्तर पर ले जाकर हम और बेहतर कर सकते हैं। देश में मेडिकल टूरिज्म तेजी से उभर रहा है।

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इंदौर में करीब 250 हॉस्पिटल और ढाई हजार रजिस्टर्ड डॉक्टर्स हैं। यह देश के केंद्र में स्थित है और मेडिकल टूरिज्म का हब बनने की पूरी संभावनाएं रखता है। इसके साथ ही वर्ल्ड बैंक ने भी यह माना है कि दुनिया में आईटी हब बनने की क्षमता रखने वाले शहरों में इंदौर पहले नंबर पर है। जब दुनिया इंदौर को नंबर वन कह रही है तो अब हमें इसे हर क्षेत्र में नंबर वन बनाने के लिए मिलकर प्रयास करना चाहिए।

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यह बात जाने-माने अर्थशास्त्री डॉ. जयंतीलाल भंडारी ने 'माय सिटी माय प्राइड' के तहत शनिवार को नईदुनिया कार्यालय में आयोजित राउंड टेबल कॉन्फ्रेंस में कही। कॉन्फ्रेंस में शहर के कई उद्योगपति, सीए, व्यापारिक संगठनों के पदाधिकारियों, अर्थशास्त्रियों ने भाग लिया।

अधिकांश विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार जब तक लघु उद्योगों पर ध्यान नहीं देगी तब तक इंदौर की अर्थव्यवस्था में रफ्तार लाना संभव नहीं है। इसके साथ ही कनेक्टिविटी, विभिन्न संस्थाओं की भूमिका, राज्य और केंद्र सरकार के बीच समन्वय, टैक्सेशन आदि पर भी चर्चा हुई।

जीआईएस की जगह हो स्टार्टअप मीट
गत कई वर्षों से ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया जाता रहा है। मेरा मानना है कि अब इसके बजाए स्टार्टअप मीट का आयोजन करना चाहिए। स्टार्टअप छोटे स्तर पर शुरू होते हैं, लेकिन भविष्य में अच्छी ग्रोथ करते हैं। ऐसा हुआ तो क्या पता इंदौर का कोई स्टार्टअप फ्लिपकार्ट या अमेजन बनकर सामने आए। हमारे यहां का टैलेंट बाहर के शहरों को विकसित कर रहा है।
- अमित दवे, कन्वीनर, नेशनल जीएसटी एक्शन कमेटी

जीएसटी लागू होने के बाद अब कॉम्पीटिशन बढ़ने वाला है। बाहर के बड़े व्यापारी शहर में व्यापार के लिए आ रहे हैं। इससे आने वाले समय में स्थानीय व्यापारियों को परेशानी खड़ी होगी। इसके लिए जरूरी है कि सरकार छोटे व्यापारियों को रियायती दरों पर लोन दे। इसके साथ ही शहर का यातायात भी अव्यवस्थित है। स्वच्छता की तर्ज पर ही शहर के यातायात के लिए भी देश के शहरों में कॉम्पीटिशन होना चाहिए। यदि यातायात सुगम हुआ तो यह शहर की आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
- मोहम्मद हुसैन पीठावाला, प्रदेश अध्यक्ष, स्टील यूजर फेडरेशन ऑफ इंडिया

इंदौर के एजुकेशन हब बनने के बाद अर्थव्यवस्था में तेजी आई है। हम सर्विस सेक्टर में तो काफी आगे निकल चुके हैं, लेकिन मैन्युफैक्चरिंग में अभी कहीं न कहीं पिछड़ रहे हैं। इसका सबसे बड़ा कारण टैक्सेशन है। टैक्सेशन की जटिलताओं के कारण व्यापारी नए उद्योग स्थापित करने से पीछे हट रहे हैं। इसके साथ ही हमारी हाइवे पर कनेक्टिविटी तो बहुत अच्छी है, अब थोड़ा ध्यान इन हाइवे की इंटरनल कनेक्टिविटी पर देना होगा। यह शहर के अन्य हिस्सों से जितना बेहतर कनेक्ट होंगे, व्यापार के लिए उतना ही अच्छा रहेगा।
- कमलेश जोशी, पूर्व चेयरमैन, आईसीएसआई

देश के जीडीपी में कृषि का सबसे ज्यादा योगदान है और नर्मदा होने के कारण हमने इसमें आगे हैं। हमारे यहां एग्रीकल्चर का रॉ मैटेरियल है, अब जरूरत है तो इसे फिनिश्ड प्रोडक्ट में बदलने की। यदि यहां पर फूड पार्क बने, फूड प्रोसेसिंग इंडस्ट्री आएं तो अर्थव्यवस्था को बहुत फायदा मिलेगा। रॉ मैटेरियल उपलब्ध होने से इसकी ट्रांसर्पोटेशन कॉस्ट भी कम लगेगी। इसके साथ ही यहां पर एक इक्युबेशन सेंटर की भी जरूरत है। इसके बनने से स्टूडेंट यहां अपने आइडिया शेयर करेंगे, जिन्हें इंडस्ट्री का मार्गदर्शन मिलेगा।
- मनोज गुप्ता, सीए

मध्यप्रदेश बनने से लेकर अब तक राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच समन्वय नहीं रहा है। कभी केंद्र में किसी की सरकार है तो राज्य में किसी और की। इसके साथ ही इंदौर से ऐसा कोई नेता याद नहीं आता, जिसने लड़कर शहर के लिए कोई प्रोजेक्ट हासिल किया हो, जबकि महाराष्ट्र के नेता वहां प्रोजेक्ट लाने के लिए जान तक लड़ा देते हैं। हमें रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर भी ध्यान देने की जरूरत है। यह रिसर्च होना चाहिए कि यहां की किस फसल के लिए क्या इंडस्ट्री लगाई जा सकती है। केंद्र सरकार इस पर ध्यान दे और बड़े निवेशकों को यहां लाए।
- देवेंद्र कोठारी, ट्रस्टी, इल्वा कॉलेज

मध्य प्रदेश सरकार को सबसे ज्यादा रेवेन्यू देने वाला शहर इंदौर ही है। सरकार को इंदौर से 51 फीसदी के करीब रेवेन्यू मिलता है। ई-वे बिल हो या जीएसटी, इन सभी ने व्यापार पर बहुत असर डाला है। इसमें जो लिमिट तय की हैं, उनका दायरा बड़ा करना चाहिए। लौहे पर 18 प्रतिशत टैक्स है, जो हम भरते हैं। हम 19 प्रतिशत भी देने के लिए तैयार हैं, लेकिन जिस बात के लिए हमसे टैक्स लिया जा रहा है, वह सुविधाएं भी तो दी जाएं। सरकार को यह समझना चाहिए कि हर व्यापारी चोर नहीं होता है।
- इसाक चौधरी, अध्यक्ष, इंदौर लोहा व्यापारी एसोसिएशन

सरकार को छोटे व्यापारियों को सीसी लिमिट सब्सिडी के साथ देना चाहिए। अब एमएसएमई की परिभाषा ही बदली जा रही है। अब 10 करोड़ टर्नओवर वाले उद्योग को भी माइक्रो में शामिल कर लिया है, जो पहले 25 लाख था। ऐसे में बड़े व्यापारी तो काम कर लेंगे, लेकिन छोटा व्यापारी क्या करेगा। छोटे व्यापारी बाहर से माल मंगाकर ट्रेड में काम करेंगे। इससे ट्रेडिंग तो बढ़ जाएगी, लेकिन उद्योग नहीं बढ़ पाएंगे। मेक इन इंडिया के सपने को साकार करना है तो छोटे उद्योगों को तो बढ़ावा देना ही होगा।
- महेश गुप्ता, संभागीय अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती

लघु उद्योग के सामने कोई न कोई बाधा आ ही रही है। डबल टैक्सेशन सिस्टम उद्योग को परेशानी दे रहा है। हम सरकार को प्रॉपर्टी टैक्स देते हैं फिर निगम को भी प्रॉपर्टी टैक्स देते हैं और इसके बाद लीज रेंट भी देना होता है। सांवेर रोड पर काफी जगह पड़ी हुई है। यहां मुंबई-दिल्ली की तरह मल्टीलेवल गाला स्टोर बनाना चाहिए। क्या सरकार बंद पड़े उद्योग देखना चाहती है। इसके साथ ही अब तकनीक का दौर है और इसलिए ट्रेनिंग की व्यवस्था भी की जाना चाहिए। इसके साथ ही शहर में इकोनॉमिक एडवाइजर होना भी जरूरी है। सरकार ने तो उद्योग में सब्सिडी में भी आरक्षण डाल दिया है।
- विनीत जैन, अध्यक्ष, लघु उद्योग भारती

करों की दर एक जैसी होना चाहिए। हर कर की दर अलग-अलग है। इससे व्यापारी का बहुत समय गणना में ही बीत जाता है। 25 साल के पहले और आज के इंदौर में बहुत अंतर आ गया है। करोड़ों का टैक्स हम जीएसटी के रूप में दे रहे हैं। ऐसे में सुविधाएं भी मिलना चाहिए। हमारे पर कपड़े के लिए पूरे देश से व्यापारी आते हैं। इसे क्षेत्र में इंदौर की बहुत संभावनाएं हैं। इंदौर को रेडिमेड हब के रूप में विकसित करने की ओर प्रयास किया जाना चाहिए।
- इंद्रकुमार सेठी, व्यापारी, क्लॉथ मार्केट

नगर निगम और आईडीए की बनाई गई योजनाएं अच्छी हैं और शहर के विकास में मददगार साबित हुई हैं। लेकिन अब छोटे और मझोले उद्योगों के बारे में सोचने की जरूरत है। पुराने एक्ट का लाभ अब भी छोटे व्यापरियों को मिलना चाहिए। जब यह व्यापारी आगे बढ़ेंगे तो इंदौर की अर्थव्यवस्था भी आगे बढ़ेगी और देश में शहर की एक छवि बनेगी।
- एके गौर, अध्यक्ष, कमर्शियल टैक्स प्रैक्टिशनर्स एसोसिएशन

इंदौर की अपनी स्ट्रेंथ रही है। विकास में सबसे ज्यादा योगदान लोगों का ही रहा है। इंदौर को महानगर की तरह देखते हैं, लेकिन वास्तव में महानगर वह होता है जिसके कई उपनगर हों। हम यहां मेट्रो की बात करते हैं, लेकिन जरूरी है कि इसके बजाए आसपास रेल लाइन डाली जाएं। इंदौर से दाहोद या मनावर लाइन पहली जरूरत है। दाहोद लाइन 5 साल में बनना था, लेकिन नौ साल में सिर्फ 11 प्रतिशत ही काम पूरा हुआ है। आसपास भी औद्योगिक क्षेत्र तो विकसित कर दिए, लेकिन इनका सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बनाया। इससे पूरा दबाव इंदौर शहर पर पड़ रहा है।
गौतम कोठारी, अध्यक्ष, पीथमपुर औद्योगिक संगठन

जीएसटी लागू होने से पहले सब्सिडी मिलती थी। लेकिन अब सिर्फ एसजीएसटी में सब्सिडी मिलती है और सीजीएसटी में यह मिलना बंद हो गई है। सेंट्रल से हमें ज्यादा उम्मीद नहीं है, लेकिन राज्य सरकार को छोटे और बड़े दोनों उद्योगों का ध्यान रखना होगा। जीएसटी के बाद व्यापारियों को जो सब्सिडी का नुकसान हो रहा है उसे राज्य सरकार को कम करने में मदद करना चाहिए। जब उद्योग स्थापित हुए थे तो यह सोच कर हुए थे कि यह छूट मिलती रहेगी, लेकिन यह अचानक से बंद हो गई है। एयरपोर्ट पर भी विस्तार की जरूरत है।
- अश्विन लखोटिया, अध्यक्ष, मप्र टैक्स लॉ बार एसोसिएशन

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