करियर काउंसलिंग से लेकर आर्थिक मदद तक कर रहे सिध्दांत जोशी
सरकारी स्कूलों में पहले तक इतने साधन-सुविधाएं नहीं होते थे। करियर का सही चुनाव करने के लिए बहुत सोचना पड़ता था। यह स्थिति मैंने खुद महसूस की है।
सरकारी स्कूलों में पहले तक इतने साधन-सुविधाएं नहीं होते थे। करियर का सही चुनाव करने के लिए बहुत सोचना पड़ता था। यह स्थिति मैंने खुद महसूस की है। तब से ही सोच लिया था कि समाज के जरूरतमंद बच्चों के लिए कुछ करूंगा। खासकर करियर काउंसलिंग मिले, ताकि करियर बेहतर बन सके। यह कहना है कौटिल्य एकेडमी के मैनेजिंग डायरेक्टर सिध्दांत जोशी का।
फाउंडेशन के तहत उनकी टीम सरकारी स्कूलों के बच्चों के बीच पहुंचती है। बच्चों से करियर से संबंधित जानकारी दी जाती है। जो बच्चे पढाई में बेहतर होते हैं, लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर होते हैं उनकी फीस भी फाउंडेशन के तहत दी जाती है। बी द चेंज नाम से एनजीओ भी संचालित कर रहे हैं। इसमें जरूरतमंद बच्चों को किताबें, खिलौने और अन्य सभी जरूरी साधन वितरित किए जाते हैं। स्वच्छता अभियान और शहर का यातायात बेहतर करने में भी प्रशासन के साथ फाउंडेशन के सदस्य मदद करते रहे हैं। संस्थान ने हेलमेट लाइब्रेरी बनाकर रखी है। इसमें सरकारी कॉलेजों के बच्चों को निशुल्क किताबें और इंटरनेट उपलब्ध कराया जाता है। छात्रों को उनके कॉलेज के पहचान पत्र के आधार पर बैठक व्यवस्था उपलब्ध कराई जाती है। भंवरकुआ क्षेत्र के सरकारी कॉलेज और हॉस्टलों में रहने वाले छात्रों को भी संस्थान मदद करता है।
शहर की जिन एनजीओ को सामाजिक कामों के लिए कोई साधन या आर्थिक मदद चाहिए होती है उसके लिए भी काम किया जाता है। जिन बच्चों के पास यूपीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने के लिए पैसा नहीं होते हैं, उनकी काउंसलिंग करके आर्थिक मदद करते हैं। प्रशासन के अभियानों को भी जनता तक पहुंचाने के लिए संस्थान समय-समय पर अभियान चलाता रहता है। फेसबुक पर बी द चेंज नाम से पेज बनाया गया है। यहां हजारों युवा जुडे हैं। युवाओं को सहीं दिशा देने के लिए सवालों के ऑनलाइन जवाब दिए जाते हैं। संस्थान में पढने वाले छात्रों को भी सामाजिक कामों के प्रति जागरूक करने के लिए कक्षाओं के बीच में विषय विशेषज्ञ बात करते हैं।
संस्थापक का कहना है कि शिक्षा के स्तर को बेहतर करने के लिए शिक्षण संस्थानों और समाज के सक्षम लोगों को प्रयास करते रहने होंगे। जहां भी प्रतिभावाएं सामने आती है उन्हें सम्मानित करके मोटिवेट करते रहना होगा। शहर ही नहीं आसपास के गांवों में भी टीम के सदस्य जाकर छात्रों को आगे बढने के लिए प्रेरित करते रहते हैं।