आयुर्वेदिक चिकित्सा छात्रों के कोर्स में अब योग भी शामिल
आयुर्वेद चिकित्सा (बीएएमएस) के छात्रों को अब अपने पाठ्यक्रम के साथ-साथ योग की पढ़ाई भी करना होगी।
ग्वालियर। आयुर्वेद चिकित्सा (बीएएमएस) के छात्रों को अब अपने पाठ्यक्रम के साथ-साथ योग की पढ़ाई भी करना होगी। सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) ने आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए इसके पाठ्यक्रमों में बदलाव करने का निर्णय लिया है।
इस बदलाव के चलते योग को पहली बार इसमें शामिल किया गया है। नया पाठ्यक्रम 2017 से देशभर के सभी आयुर्वेद कॉलेजों में लागू हो जाएगा। योग को पहली बार आयुर्वेद में शामिल करने से आयुर्वेदिक चिकित्सा के छात्र योग की बारीकियाें को जानने के साथ ही उसके माध्यम से मरीजों को स्वस्थ रहने के गुर सिखा सकेंगे।
शोध कार्यों को बढ़ावा मिलेगा
आयुर्वेद चिकित्सा के क्षेत्र में हो रहे बदलाव को आधुनिक चिकित्सा पद्धति के हिसाब से बेहतर बनाने के उद्देश्य से लंबे समय से पाठ्यक्रम में बदलाव की बात चल रही थी। योग दिवस मनाने के साथ ही यह मांग भी उठने लगी थी कि योग को भी आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के पाठ्यक्रम में जगह दी जाए। आखिरकार सीसीआईएम ने पाठ्यक्रमों में बदलाव का निर्णय ले लिया है। अब बीएएमएस में अगद तंत्र व्यवहार आयुर्वेद व विधि वैद्यक विषय थर्ड प्रोफ में पढ़ाया जाएगा। अभी तक यह विषय सेकंड प्रोफ में पढ़ाया जाता था। इसी तरह स्वस्थवृत एवं योग विषय सेकंड प्रोफ की जगह थर्ड प्रोफ में पढ़ाया जाएगा। फाइनल प्रोफ में नया विषय शोध पद्धति एवं चिकित्सा तंत्र पढ़ाया जाएगा। पाठ्यक्रमों में हुआ यह बदलाव नए शिक्षण सत्र 2017 से लागू हो जाएगा। नए पाठ्यक्रम का लाभ यह होगा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में शोध कार्यों को बढ़ावा मिलेगा। इसका लाभ छात्रों के साथ-साथ मरीजों को भी मिलेगा।
संक्रमित बीमारियों व रोकथाम को शालाक्य तंत्र में जोड़ा
बीएएमएस में पढ़ाया जाया जाने वाला शालाक्य तंत्र ( ईएनटी ) कोर्स को बढ़ाया गया है। मौजूदा समय में इंफेक्शन के कारण नाक,कान और गले में होने वाली बीमारियां बढ़ रही हैं। इसे देखते हुए शालाक्य तंत्र कोर्स में अब नाक, कान और गले में होने वाले इंफेक्शन और उसके उपचार को भी शामिल किया गया है। इससे ईएनटी के रोगी लाभान्वित होंगे।