10 हजार करोड़ के डीमैट घोटाले को दबा गई सरकार
एसआईटी की गिरफ्त में आने के बाद योगेश उपरीत के खुलासे से सरकार पर जांच कराने के लिए दबाव बना था।
जोगेंद्र सेन, ग्वालियर। एसआईटी की गिरफ्त में आने के बाद योगेश उपरीत के खुलासे से सरकार पर जांच कराने के लिए दबाव बना था, लेकिन खुलासे के 10 महीने के बाद भी जांच शुरू नहीं की गई है। जबकि डीमैट घोटाले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा था कि व्यापमं घोटाले से भी कई गुना बड़ा डीमैट घोटाला है।
उम्मीद की जा रही थी कि योगेश उपरीत के खुलासे के बाद सरकार भले ही सरकार ने मामला सीबीआई का नहीं सौंपा हो, लेकिन एसटीएफ से जांच जरूर कराएगी। सरकार जांच कराने में रुचि लेती तो निजी मेडिकल कॉलेजों पर कानून का शिकंजा कसने के साथ-साथ रसूखदारों की संतानें भी मेडिकल कॉलेज के कैंपस से सीधे सलाखों के पीछे नजर आतीं।
एक नजर डीमैट के सिस्टम पर
- 2003-2004 में योगेश उपरीत व्यापमं के निदेशक थे।
- रिटायर होने के बाद जबलपुर में निजी डेंटल कॉलेज शुरू किया, जिससे आसानी से एपीडीएमसी
के सदस्य बन गए।
- एपीडीएमसी का कोषाध्यक्ष और परीक्षा नियंत्रक की जिम्मेदारी सौंपी गई।
- परीक्षा से पहले ही तय हो जाती थी चयनित होने वाले छात्रों की सूची।
- यह सूची निजी मेडिकल कॉलेज से उपरीत के पास पहुंच जाती थी, परीक्षार्थियों को हिदायत थी कि वे ओएमआर शीट खाली छोड़ आएं।
- परीक्षा के बाद गोले काले कर इन छात्रों को पास किया जाता था।
ऐसे हुआ घोटाले का खुलासा
व्यापमं घोटाले की जांच के लिए गठित ग्वालियर एसआईटी के हाथ दलाल अतुल शर्मा आया। उसी ने खुलासा किया कि जबलपुर के न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. एमएस जौहरी की बेटी डॉ. ऋचा का पीजी में दाखिला फर्जीवाड़े से हुआ है। इसमें नितिन महेंद्रा की प्रमुख भूमिका है।
नितिन ने एमपीडीएमसी (एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट डेंटल एंड मेडिकल कॉलेजेस, मप्र) के कोषाध्यक्ष व परीक्षा नियंत्रक रहे योगेश उपरीत का नाम लिया। एसआईटी ने उपरीत को 3 जून 2015 को गिरफ्तार किया। अगले ही दिन 72 साल के योगेश उपरीत ने खुलासा किया कि डीमैट परीक्षा नाम के लिए होती है।
चयन सूची तो पहले से निजी मेडिकल कॉलेज उनके पास भेज देते थे। जिन्हें गोले काले कर पास
करना होता था। 2009 से 2014 के बीच 10 हजार करोड़ का लेन-देन डीमैट से हुआ है। योगेश उपरीत ने यह खुलासा सिर्फ एसआईटी के सामने ही नहीं किया, बल्कि एसटीएफ के सामने भी किया, लेकिन सभी खामोश हो गए।