निजी जमीन को नजूल घोषित करना गलत
ग्वालियर। एक वर्ष पहले इंदरगंज चौराहे के पास जोशी का बाड़े को सरकारी जमीन बताकर वहां पर बनी दुकानों को तोड़ने की कार्रवाई को उच्च न्यायालय ने गलत बताया है और जमीन उनके मालिकों को वापस करने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा पूरे मामले की जांच सीजेएम से कराने के लिए भी कहा गया है। यह कार्रवाई तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी और निगम आयुक्त एनबीएस राजपूत ने की थी।
उच्च न्यायालय की ग्वालियर खंडपीठ की युगलपीठ के न्यायमूर्ति एसके गंगेले और ब्रजकिशोर दुबे ने कलेक्टर की कार्रवाई को सही नहीं माना और कहा कि कलेक्टर को भू-राजस्व संहिता की धारा 248 के तहत दुकानों को तोड़कर जमीन को कब्जे में लेने का अधिकार नहीं था। इसलिए इस जमीन का मालिकाना हक उनके मालिकों को वापस करना होगा। इंदरगंज चौराहे के पास जोशी का बाड़ा करीब 46 हजार वर्ग फीट में बना हुआ था और इसके तीन मालिक विजय गोयल, रवि पाटनकर व उर्मिला फाल्के थे।
ग्वालियर के कलेक्टर रहे आकाश त्रिपाठी ने उस समय कहा था कि यह जमीन सरकारी रिकार्ड में शिक्षा विभाग के नाम पर अंकित है और बाद में इस जमीन पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया था। जिस समय जेसीबी मशीन से इस जमीन पर बनी दुकानों को तोड़ा गया था, उस समय यहां पर एक दर्जन से ज्यादा दुकानें थीं और प्रशासन ने पीड़ित लोगों का पक्ष भी नहीं सुना था। अब उच्च न्यायालय ने उनका मालिकाना हक वापस किया है और साथ में इस मामले की जांच के आदेश सीजेएम से कराने के आदेश दिए हैं। आईएएस अधिकारी आकाश त्रिपाठी वर्तमान में मुख्यमंत्री सचिवालय में पदस्थ हैं तथा राजपूत जबलपुर नगर निगम के आयुक्त हैं।
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