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सीबीआई करे रतनगढ़ हादसे की जांच: हाईकोर्ट

By Edited By: Published: Wed, 13 Nov 2013 01:42 AM (IST)Updated: Wed, 13 Nov 2013 02:55 AM (IST)
सीबीआई करे रतनगढ़ हादसे की जांच: हाईकोर्ट

ग्वालियर, जसं। दतिया के रतनगढ़ मंदिर हादसे के कारणों और उसमें पुलिस की भूमिका की जांच अब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो [सीबीआई] करेगी। हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने मंगलवार को इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं।

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जस्टिस एसके गंगेले और जस्टिस जीडी सक्सेना की युगलपीठ ने अपने आदेश में स्पष्ट किया है कि सीबीआई जांच किसी भी तरह से न्यायिक आयोग की जांच को प्रभावित नहीं करेगी। कोर्ट ने सीबीआई निदेशक [रंजीत सिन्हा] को निर्देश दिया है कि वे न्यायालय के आदेश को ही प्रथम सूचना रिपोर्ट मानकर रतनगढ़ हादसे की जांच अपने हाथ में ले। साथ ही सभी मृतकों के संबंध में दर्ज मर्ग इंटीमेशन रिपोर्ट एवं सभी जरूरी दस्तावेज अपने कब्जे में लेकर जल्द जांच शुरू कराएं।

गौरतलब है कि 13 अक्टूबर को दुर्गानवमी के दिन दतिया जिले के सेंव़़ढा इलाके में हुए इस हादसे में 116 श्रद्धालुओं को अपनी जान से हाथ धोना प़़डा था। रतनग़़ढ स्थित जगदंबा मंदिर जाने वाले सिंध नदी पुल पर मची भगद़़ड में 111 श्रद्धालुओं की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि गंभीर रूप से घायल 5 और श्रद्धालुओं ने अस्पताल में दम तो़़ड दिया। इससे पहले 1 अक्टूबर 2006 को भी नवमी के दिन मड़ीखेड़ा डैम से अचानक पानी छो़़डे जाने से 57 श्रद्धालु डूब गए थे। इनमें से 49 की मौत हो गई थी और 8 श्रद्धालु पानी में बह गई, जिनका आज तक पता नहीं चल पाया है।

इस संबंध में दायर तीन अलग-अलग जनहित याचिकाओं पर हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने 1 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित कर दिया था। याची पक्ष की ओर से अधिवक्ता राजू शर्मा, उमेश बौहरे और अवधेषष भदौरिया ने मामले में पैरवी की। केंद्र की ओर से असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल अंकुर मोदी, राज्य की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी,उपमहाधिवक्ता विवेक खे़़डकर ने पक्ष रखा।

इन बिंदुओं पर केंद्रित होगी सीबीआई जांच

1. हादसे के दिन क्या पुलिस अधिकारी श्रद्धालुओं के वाहनों से पुल पार करने के एवज में अवैध धन वसूली कर रहे थे?

2. पुल टूटनें की अफवाह किसने फैलाई? क्या यह अफवाह पुलिस द्वारा फैलाई गई? अफवाह फैलने के बाद पुलिस ने क्या किया। क्या पुलिस ने श्रद्धालुओं की भी़़ड को नियंत्रित करने के लिए लाठी चार्ज किया?

3. हादसे में मरने वालों की संख्या कम दिखाने के लिए क्या पुलिस ने घायल और मृत श्रद्धालुओं को पुल से नदी में फेंका या नहीं।

4-हादसे की विवेचना से पूर्व क्या पुलिस ने साक्ष्य मिटाए। इस हादसे के लिए कौन-कौन अधिकारी जिम्मेदार हैं।

जवारे लेकर जा रही महिला के कुचलने के बाद मची थी भगद़़ड

भोपाल [नप्र]। दतिया के रतनगढ़ मंदिर में घटना की रात महज आधा दर्जन पुलिसकर्मी तैनात थे। वह भी अपने प्वाइंट पर नहीं थे। पुलिस ने संभावित भीड़ को देखते हुए घटना के एक पखवाड़ा पहले प्रशासन को पार्किंग, स्टापर, लाइट आदि का इंतजाम करने के लिए पत्र लिखा था। लेकिन व्यवस्थाएं नहीं की गईं। भगदड़ जवारे लेकर जा रही एक महिला के गिरने के बाद पुल टूटने की अफवाह फैलने से शुरू हुई थी।

इस बात का खुलासा राज्य मानव अधिकार आयोग की टीम द्वारा किए गए अनुसंधान में हुआ है। टीम ने हाल ही में अपनी जांच रिपोर्ट आयोग को सौंप दी है।

बताया जाता है कि हादसे के बाद भले ही लापरवाही का ठीकरा पुलिस के सिर पर फो़़ड दिया गया। लेकिन इस घटना में प्रशासन की घोर उदासीनता भी सामने आई है। सूत्र बताते हैं कि नवरात्र पर्व पर मंदिर पर आने वाले श्रृद्धालुओं की भीड़ के मद्देनजर पुलिस ने प्रशासन को 15 दिन पहले पत्र लिखा था। इसमें पुल से लेकर मंदिर तक रोशनी का इंतजाम करने, पुल के पहले व आसपास के खेतों में पार्किंग का इंतजाम करवाने का जिक्र किया गया था। लोगों के लिए पानी की व्यवस्था कराने, भी़़ड को नियंत्रित करने बेरीकेड्स लगाने को कहा गया था।

किसानों से की जाना थी बात

बताया जाता है कि कलेक्टर के दफ्तर से वह पत्र मार्क होकर एसडीएम के कार्यालय पहुंच गया था। लेकिन प्रशासन ने यह सोचकर पत्र को गंभीरता से नहीं लिया कि रतनग़़ढ पर सर्वाधिक भी़़ड दीपावली की दूज पर होती है।

सूत्र बताते हैं कि पत्र के मजमून के लिहाज से मंदिर के आसपास के किसानों से चर्चा करके उनके खेतों में वाहनों, ट्रैक्टर ट्रॉलियों के लिए पार्किंग का स्थान बनाया जाना था। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।

एक घंटे बाद मंदिर पहुंची

थी हादसे की सूचना

रतनग़़ढ के पुल पर कोहराम मचा था, लेकिन मंदिर पर शांति से पूजा--पाठ चल रहा था। हादसे की सूचना करीब 1 घंटे बाद मंदिर पर मौजूद लोगों को मिल पाई थी।

सूत्र बताते हैं कि 12 अक्टूबर की रात को वहां पर एक के बाद एक कर पुलिसकर्मी इधर-उधर चले गए। मौके पर सिर्फ आधा दर्जन पुलिसवाले ही बचे थे। वे भी़़ड को रोकने में असफर साबित हुए। जिसके चलते पुल से होकर ट्रैक्टर ट्रॉलियां व अन्य वाहन रात से ही मंदिर की तरफ पहुंचना शुरू हो गए थे। सुबह आठ बजे तक मंदिर से लेकर पुल पर भी दोनों तरफ गाड़ियों की कतार लग गई थी। बीच में बस करीब 8-10 फुट का रास्ता ही पैदल जाने-आने वालों के लिए बचा था। इस दौरान जवारे लेकर मंदिर जा रही एक महिला गिर प़़डी और पीछे से आ रही भी़़ड की चपेट में आ गई। इस बीच पुल टूटने की अफवाह फैल गई और देखते ही देखते मौत का तांडव हो गया। इस घटना में 111 लोग मारे गए हैं, जबकि 4 अब भी लापता हैं।

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