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Basant Panchami 2022: इस बार त्रिवेणी योग में होगा ज्ञान की देवी का पूजन, जानें कब है बसंत पंचमी

Basant Panchami 2022 इस साल बसंत पंचमी 5 फरवरी को सिद्ध साध्य और रवि योग के त्रिवेणी योग में मनायी जाएगी। अबूझ मुहूर्त के चलते शहर भर में एक हजार से अधिक विवाह कार्यक्रम होंगे। मंदिर में मां सरस्वती का विशेष श्रृंगार और पूजा की जाएगी।

By Babita KashyapEdited By: Published: Fri, 28 Jan 2022 07:32 AM (IST)Updated: Fri, 28 Jan 2022 07:32 AM (IST)
Basant Panchami 2022: इस बार त्रिवेणी योग में होगा ज्ञान की देवी का पूजन, जानें कब है बसंत पंचमी
बसंत पंचमी 5 फरवरी शनिवार के दिन मनाई जाएगी

इंदौर, जेएनएन। इस वर्ष ऋतुराज बसंत के आगमन की सूचक बसंत पंचमी 5 फरवरी शनिवार के दिन मनाई जाएगी। इस विशेष अवसर पर सिद्ध, साध्य और रवि योग के त्रिवेणी योग में ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा की जाएगी। जो कार्य में शुभता और सिद्धि प्रदान करती है। अबूझ मुहूर्त के चलते शहर भर में एक हजार से अधिक विवाह कार्यक्रम होंगे। इसके साथ ही विद्यारंभ समारोह होगा और मंदिरों में मां सरस्वती का विशेष श्रृंगार और पूजा की जाएगी।

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आचार्य शिवप्रसाद तिवारी से मिली जानकारी के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 5 फरवरी को प्रातः 3.47 बजे से अगले दिन छठे दिन प्रातः 3.46 बजे तक रहेगी। इस अवसर पर अगले दिन शाम 4 बजे से शाम 7.11 बजे से शाम 5.42 बजे तक सिद्धयोग रहेगा। 5.43 बजे से दिन तक साध्य योग रहेगा। इसके अलावा रवि योग का संयोग भी बना रहा। ये संयोग दिन को शुभ बना रहे हैं। इससे पहले गुप्त नवरात्रि 2 फरवरी से शुरू होगी।

मुहूर्त के बिना कर सकते हैं शादी

बसंत पंचमी का दिन दोषमुक्त दिन माना जाता है। इसी वजह से इसे सेल्फ साइडिंग और अबूझ मुहूर्त भी कहा जाता है। इसी वजह से इस दिन बड़ी संख्या में शादियां होती हैं। विवाह के अलावा मुंडन समारोह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश, वाहन खरीदना आदि शुभ कार्य भी किए जाते हैं। इस दिन को बागेश्वरी जयंती और श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। होटल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुमित सूरी के मुताबिक मुहूर्त पर कोरोना प्रोटोकॉल के पालन के साथ शादियां हो रही हैं। बसंत पंचमी पर एक हजार से अधिक विवाह कार्यक्रम होंगे।

विद्यारंभ के लिए सबसे अच्छा दिन

ज्योतिषी एमके जैन ने बताया कि पौराणिक मान्यता के अनुसार छात्रों के साथ लेखन कार्य करने के लिए बसंत पंचमी का दिन विशेष होता है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती का दिन होने के कारण मां सरस्वती की विशेष पूजा की जाती है। विद्यारंभ समारोह किया जाता है। गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है कि वह ऋतुओं का वसंत है। छह ऋतुओं में वसंत ऋतुराज के रूप में पूजनीय है। इस अवसर पर प्रकृति एक नया रूप धारण करती है।

षटतिला एकादशी पर पापों से मुक्ति के लिए पूजे जाएंगे भगवान विष्णु

तिल चतुर्थी पर भगवान गणेश को तिल के गोले चढ़ाने के बाद अब तिल से भगवान विष्णु की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलेगी। यह पर्व 28 जनवरी को षटतिला एकादशी का होगा। इस अवसर पर एकादशी का व्रत रखने और तिल से स्नान, पूजन व सेवन करने से व्रत करने वाले को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ज्योतिषियों के अनुसार माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि गुरुवार 27 जनवरी को दोपहर 2.16 बजे से शुक्रवार 28 जनवरी की रात को शुरू होगी और 11.35 बजे तक रहेगी। एकादशी का पारण 29 जनवरी को सुबह 7.11 बजे से 9.20 बजे तक किया जा सकता है। ज्योतिषी नीलकंठ बडवे गुरुजी के अनुसार इस बार की एकादशी शुक्रवार के दिन आने से माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी और भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का सुख एक दिन ही मिलेगा।


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