कोरोना संक्रमितों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी, ऐसे बढ़ाए रोग प्रतिरोधक क्षमता, संक्रमण से होगा बचाव
योग विशेषज्ञों के अनुसार प्रकृति के अनुरूप रहना अच्छा आहार और रात्रि की सात से आठ घंटे की नींद से रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनाई जा सकती है। 40 से 45 मिनट की योग निद्रा से चार से पांच घंटे की नींद जितना आराम पाया जा सकता है।
इंदौर, जेएनएन। देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। अकेले इंदौर में जनवरी के 19 दिन में आंकड़ा तीन हजार प्रतिदिन को पार कर चुका है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी मेडिकल बुलेटिन के अनुसार, इंदौर,जांच में हर चौथा व्यक्ति संक्रमित मिल रहा है। संक्रमण दर 24.7 प्रतिशत पर पहुंच गई है। जिले में उपचाररत मरीजों की संख्या 18 हजार के करीब पहुंच गई है। इंदौर में अब तक 33 लाख 31 हजार 549 नमूनों की जांच की जा चुकी है। इनमें से एक लाख 77 हजार 10 संक्रमित मिल चुके हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि संक्रमण से बचाव के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता का बेहतर होना जरूरी है। रोग प्रतिरोधक क्षमता को खानपान के साथ व्यायाम और पर्याप्त नींद से बेहतर बनाया जा सकता है। सही व्यायाम और पर्याप्त नींद के लिए विशेषज्ञ योग को अपनाने की सलाह देते हैं।
योग विशेषज्ञों के अनुसार प्रकृति के अनुरूप रहना, अच्छा आहार और रात्रि की सात से आठ घंटे की नींद से रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर बनाई जा सकती है। यदि किसी कारण रात को बेहतर नींद नहीं हो पाती है तो योग निद्रा करना चाहिए। 40 से 45 मिनट की योग निद्रा से चार से पांच घंटे की नींद जितना आराम पाया जा सकता है। योग निद्रा से तनाव दूर होता है और मस्तिष्क शांत रहता है जिससे मन प्रसन्न रहता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है। संक्रमित व्यक्ति भी योग निद्रा करे तो उन्हें सकारात्मक परिणाम मिलते हैं।
इंदौर के योग अध्ययनशाला के योग विशेषज्ञों के अनुसार जल नेति और रबर नेति क्रिया इस महामारी से सबसे ज्यादा बचाव करती है। यदि नाक से किसी तरह का संक्रमण आ गया है तो वह नेति क्रिया से निकल जाता है। म्यूकस नहीं होने से रोग श्वसन के जरिए भीतर नहीं जा पाता। इसके अलावा कपालभाति क्रिया करने से फेफड़े तो मजबूत होते ही हैं, शरीर में ऊष्णता भी पैदा होती है। यदि संक्रमण फेफड़ों तक पहुंच गया है तो कपालभाति से उत्पन्न हुई ऊष्णता वायरस की जकड़न से फेफड़ों को मुक्त कराने में मदद करती है। जिन्हें उच्च रक्तचाप और हृदयरोग है उन्हें कपालभाति नहीं करना चाहिए। कपालभाति प्रतिदिन पांच मिनट की जा सकती है। उज्जायी प्राणायाम भी गले के लिए बेहतर होता है। ये क्रियाएं और प्राणायाम पहले किसी विशेषज्ञ से सीख लें फिर स्वयं करें।
मालूम हो कि आयुष मंत्रालय इस महामारी से बचाव और संक्रमण की चपेट में आने पर जल्द स्वस्थ होने के लिए योग को अपनाने की सलाह दे रहा है। योग विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना महामारी मुख्यत: श्वसन तंत्र से प्रारंभ होती है और सबसे ज्यादा इसी को प्रभावित करती है। इसलिए कुछ विशेष प्राणायाम और आसनों को अपनाकर श्वसन तंत्र को मजबूत बनाया जा सकता है। महामारी के इस दौर में भस्त्रिका, उज्जायी, कपालभाति प्राणायाम के अलावा सूक्ष्म व्यायाम, सूर्य नमस्कार, जल नेति, योग निद्रा, कुंजल आदि करना चाहिए।
योग विशेषज्ञों के अनुसार कोरोना से बचाव के लिए कुंजल, अनुलोम-विलोम (नाड़ी शोधन) और भस्त्रिका प्राणायाम करना लाभकारी होता है। इनके अभ्यास से फेफड़े मजबूत होते हैं। इसे किसी भी उम्र के लोग कर सकते हैं लेकिन जिन्हें उच्च रक्तचाप और हृदय संबंधित समस्या है वे न करें। शरीर के लिए विटामिन डी आवश्यक होता है, इसलिए हल्की धूप में सूर्य नमस्कार करें। सूर्य नमस्कार से शरीर के सभी अंगों का व्यायाम होगा। जो संक्रमित हैं वे सूक्ष्म व्यायाम, खड़े होकर, बैठकर, पेट के बल और पीठ के बल लेटकर होने वाले व्यायाम, क्रिया, प्राणायाम और ध्यान करें इससे उन्हें लाभ होगा।