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शनिश्चरी अमावस्या पर 30 साल बाद होगा ऐसा संयोग, ऐसा करने से शनि देव की बनी रहेगी कृपा

पंचांगीय गणना से देखें तो अगहन मास में 30 साल बाद ग्रह गोचर की विशिष्ट स्थिति में शनिश्चरी अमावस्या का संयोग बन रहा है। साथ ही जिन राशियों में शनि की ढैया साढ़ेसाती महादशा प्रत्यांतर दशा चल रही है उन राशि के जातकों को इस दिन शनिदेव की आराधनाकरना चाहिए।

By Priti JhaEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 12:48 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 12:48 PM (IST)
शनिश्चरी अमावस्या पर 30 साल बाद होगा ऐसा संयोग, ऐसा करने से शनि देव की बनी रहेगी कृपा
शनिश्चरी अमावस्या पर 30 साल बाद होगा ऐसा संयोग, ऐसा करने से शनि देव की बनी रहेगी कृपा

उज्जैन, जेएनएन । अगहन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या 4 दिसंबर शनिवार को आएगी। मकर राशि के शनि में अगहन मास की अमावस्या के दिन शनिवार का होना बहुत कम देखने को मिलता है। इसलिए इस बार की अमावस्या विशेष मानी जा रही है। यह स्थित 30 साल बाद बन रही है। मार्गीय शनि विभिन्न राशि के जातकों को राहत प्रदान करते हैं। अमावस्या पर तीर्थ स्नान के बाद शनि की आराधना व वस्तुओं का दान करने से शुभफल की प्राप्ति होगी। शनिवार के दिन अमावस्या होने से यह शनिश्चरी अमावस्या कहलाएगी।

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पंचांगीय गणना से देखें तो अगहन मास में 30 साल बाद ग्रह गोचर की विशिष्ट स्थिति में शनिश्चरी अमावस्या का संयोग बन रहा है। इस योग में तीर्थ स्नान व दान करने से शुभ फल की प्राप्ति होगी। साथ ही जिन राशियों में शनि की ढैया, साढ़ेसाती, महादशा, प्रत्यांतर दशा चल रही है, उन राशि के जातकों को इस दिन शनिदेव की आराधना, तेलाभिषेक व शनि की वस्तुओं का दान करना चाहिए। ऐसा करने से शनि देव की कृपा प्राप्त होगी तथा दुषप्रभावों में कमी आएगी।

ज्योतिषाचार्य के अनुसार जिन जातकों की जन्म कुंडली में शनि की ढैया, साढ़े साती, महादशा चल रही है, उन्हें अमावस्या पर शनि की विशेष साधना करना चाहिए। शनि के वैदिक अनुष्ठान, शनिदेव का तेल से अभिषेक, लोहे के पात्र, काला कपड़ा, काले तिल, काली उड़द, कंबल आदि का दान करना श्रेयस्कर रहेगा। शनि स्तोत्र, महाकाल शनि मृत्युंजय स्तोत्र, शनि अष्टक का पाठ करना भी विशेष लाभ प्रदान करता है। शनि के बीच मंत्र का जाप करने से भी अरिष्ट और अनिष्ट का निवारण होता है। ग्रह गोचर की गणना से देखें तो वर्तमान में शनि मकर राशि पर मार्गीय होकर गोचर कर रहे हैं। साथ ही श्रवण नक्षत्र के दूसरे चरण में इनका प्रभाव विद्यमान है।

मालूम हो कि इंदौर रोड स्थित त्रिवेणी संगम पर 4 दिसंबर को शनिश्चरी अमावस्या का पर्व स्नान होगा। श्रद्धालु स्नान के उपरांत शनि की शांति के लिए घाट पर कपड़े व जूते चप्पल के रूप में पनौती छोड़ेंगे। मान्यता है ऐसा करने से शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है तथा समस्त दुःखों का नाश होता है। स्नान के पश्चात श्रद्धालु घाट के समीप स्थित प्राचीन श्री नवग्रह शनि मंदिर में शनिदेव के दर्शन व पूजन करेंगे। 


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