चंबल की धरती को डकैतों के आतंक से मुक्ति दिलाने वाले पद्मश्री डा एसएन सुब्बा राव का निधन, 654 डकैतों का कराया था सामूहिक सरेंडर
सुब्बाराव ने बुधवार के सुबह जयपुर के अस्पताल में अंतिम सांस ली है। शाम 4 बजे उनकी पार्थिव देह मुरैना पहुंचेगी जहां अंतिम दर्शनों के लिए उनकी पार्थिव देह को रखा जाएगा। उसके बाद जौरा स्थित गांधी सेवा आश्रम में ले जाया जाएगा जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
मुरैना, जेएनएन। पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित डॉ एसएन सुब्बाराव (SN Subbarao) का 92 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। गांधीवादी विचारधारा (Gandhian ideology) के प्रणेता रहे सुब्बाराव को कई दिग्गजों अपना आदर्श मानते थे। वही उनके निधन पर दिग्गजों ने शोक जताया है। प्रख्यात गांधीवादी नेता और चंबल की धरती को डकैतों के आतंक से मुक्ति दिलाने वाले पद्मश्री डा एसएन सुब्बा राव का निधन को राजनीतिक दिग्गजों ने बेहद दुःखद बताया है।
मालूम हो कि सुब्बाराव ने [आज] बुधवार के सुबह 4 बजे जयपुर के अस्पताल में अंतिम सांस ली है। शाम 4 बजे उनकी पार्थिव देह मुरैना पहुंचेगी, जहां अंतिम दर्शनों के लिए उनकी पार्थिव देह को रखा जाएगा। उसके बाद जौरा स्थित गांधी सेवा आश्रम में ले जाया जाएगा, जहां गुरुवार को उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।
डा सुब्बा राव ने श्योपुर के त्रिवेणी संगम घाट पर गांधी जी की तेरहवी का आयोजन शुरू करवाया था। डा एसएन सुब्बा राव का पूरा जीवन समाजसेवा को समर्पित रहा है। जानकारी हो कि डा एसएन सुब्बा राव चंबल में आतंक का पर्याय बन चुके डाकुओं का सामूहिक सरेंडर करवाने के बाद चर्चाओं में आए थे।
डा सुब्बा राव ने 14 अप्रैल 1972 को गांधी सेवा आश्रम जौरा में 654 डकैतों का समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण एवं उनकी पत्नी प्रभादेवी के सामने सामूहित आत्मसमर्पण कराया था। इनमें से 450 डकैतों ने जौरा के आश्रम में, जबकि 100 डकैतों ने राजस्थान के धाैलपुर में गांधीजी की तस्वीर के सामने हथियार डालकर समर्पण किया था।
ग्वालियर चंबल संभाल में डा सुब्बा राव साथियों के बीच भाईजी के नाम से प्रसिद्ध थे। डा सुब्बा राव ने जौरा में गांधी सेवा आश्रम की नींव रखी थी, जो अब श्योपुर तक गरीब व जरूरतमंदों से लेकर कुपोषित बच्चों के लिए काम कर रहा है। आदिवासियों को मूल विकास की धारा में लाने के लिए वह अपनी टीम के साथ लगातार काम करते रहे हैं।