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Madhya Pradesh: शादीशुदा महिला को प्रेमी के साथ लिव इन में रहने की हाई कोर्ट ने नहीं दी अनुमति

Madhya Pradesh मप्र हाई कोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप के मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि कोई भी शादीशुदा किसी दूसरे विवाहित व्यक्ति के जीवन में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। एक महिला के पति की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के बाद कोर्ट ने यह टिप्पणी की।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 30 Jun 2022 02:56 PM (IST)Updated: Thu, 30 Jun 2022 09:41 PM (IST)
Madhya Pradesh: शादीशुदा महिला को प्रेमी के साथ लिव इन में रहने की हाई कोर्ट ने नहीं दी अनुमति
महिला को जाना होगा नारी निकेतन, प्रेमी दूसरों के वैवाहिक जीवन में नहीं कर सकता हस्तक्षेप।

ग्वालियर, जेएनएन। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच की एकलपीठ ने लिव इन रिलेशनशिप के मामले में सुनवाई करते हुए कहा कि कोई भी शादीशुदा किसी दूसरे विवाहित व्यक्ति के जीवन में हस्तक्षेप नहीं कर सकता। एक महिला के पति की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने यह टिप्पणी की।

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कोर्ट ने कहा, कोई भी शादीशुदा व्यक्ति किसी और के वैवाहिक जीवन में नहीं कर सकता हस्तक्षेप

कोर्ट ने याचिकाकर्ता की पत्नी को नारी निकेतन भेजे जाने का आदेश दिया और कहा कि शादीशुदा महिला न तो किसी शादीशुदा और न ही गैर विवाहित व्यक्ति के निजी जीवन में दखल दे सकती है। उसे बच्चों को साथ लेकर लिव इन में रहने की अनुमति भी नहीं दी जा सकती क्योंकि ऐसी स्थिति में बच्चों पर गलत प्रभाव पड़ेगा।

महिला को जाना होगा नारी निकेतन, उस पर लगाए प्रतिबंध ताकि परिवार बचे रहें

ग्वालियर के बहोड़ापुर क्षेत्र निवासी एक व्यक्ति ने उक्त याचिका में कहा था कि उसकी पत्नी दोनों बच्चों के साथ मुंबई निवासी अपने प्रेमी हरि (बदला हुआ नाम) के साथ लिव इन में रहने चली गई। प्रेमी की पत्नी और उसके दो बच्चे भी साथ ही रहते हैं। हरि ने मेरी पत्नी और बच्चों को बंधक बनाकर रखा है। उन्हें मुक्त कराया जाए। इसी दौरान याचिकाकर्ता की पत्नी ने भी हाई कोर्ट में याचिका दायर कर कहा कि उसका पति उसे प्रताड़ित करता है, इसलिए वह उसके साथ नहीं रहना चाहती। वह मुंबई में हरि के साथ रहना चाहती है।

जब चक चाहे नारी निकेतन में रह सकती है महिला

कोर्ट ने दोनों याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई की। कोर्ट ने महिला को तीन दिन के लिए नारी निकेतन में रहने भेज दिया है। बच्चे भी उसके साथ ही रहेंगे। इसके बाद महिला के पिता उसे अपने साथ ले जा सकते हैं। बच्चे भी साथ ही जाएंगे। यदि महिला के पिता उसे नहीं ले जाते हैं तो बच्चे उसके पिता यानी याचिकाकर्ता को सौंप दिए जाएं। इस स्थिति में महिला जब तक चाहे नारी निकेतन में रह सकती है। यदि वह वहां से कहीं जाना भी चाहती है तो उसे पहले बताना होगा।

प्रेमी की पत्नी ने भी किया था अंतरिम आवेदन

उधर, हरि की पत्नी ने भी इसी मामले में अंतरिम आवेदन देकर कहा कि ग्वालियर से आई महिला उसके पति के साथ रहने लगी है। मेरे पति को इस महिला के चंगुल से मुक्त कराया जाए। कोर्ट ने सभी परिस्थितियों को देखते हुए महिला को नारी निकेतन में रहने का निर्देश देकर हरि का परिवार टूटने से बचा लिया।


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