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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा- 99 वर्ष बाद संसद की व्यवस्था को गति देने के लिए जरूरी है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा- कोशिश होती है कि चाहे राज्य की विधानसभा हो या लोकसभा हो सभी में गरिमा बनी रहे। चर्चा देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर यह हो और इससे समाधान निकले। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में चर्चा करना महत्वपूर्ण व्यवस्था है।

By Priti JhaEdited By: Published: Fri, 21 Jan 2022 11:12 AM (IST)Updated: Fri, 21 Jan 2022 11:36 AM (IST)
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा- 99 वर्ष बाद संसद की व्यवस्था को गति देने के लिए जरूरी है सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन (आइएमए) के द स्पीकर स्पीक कार्यक्रम में

इंदौर, जेएनएन। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि नवनिर्माण एक नियमित प्रक्रिया है और सभी दल के नेता और सदन ने आग्रह किया था कि नई संसद बनानी चाहिए। हम डिजिटल संसद की ओर आगे बढ़ रहे हैं। हम अभी 90 से 92 प्रतिशत काम डिजिटल माध्यम से करने लगे हैं। नए भवन से संसद व्यवस्था को गति मिलेगी। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि संसद अंग्रेजों के समय में 1921 में बनी थी। संसद उस समय की व्यवस्था के अनुसार है लेकिन 99 वर्ष बाद इसमें बदलाव की जरूरत है। यह लोकतंत्र का मंदिर है। भवन भूंकपरोधी हो, हाइटेक हो, संचार तेज हो और त्वरित काम हो सके, इसके लिए सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट देश के लिए महत्वपूर्ण है।

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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला इंदौर मैनेजमेंट एसोसिएशन (आइएमए) के द स्पीकर स्पीक कार्यक्रम में उन्होंने संसद व्यवस्था पर पूछे गए कई सवालों के जवाब दिए। हमारी कोशिश होती है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में लोगों की अपेक्षा और विश्वास बढ़े। प्रधानमंत्री की इच्छा है कि जब भारत की आजादी के 100 वर्ष पूर्ण हों तब भारत दुनिया के देशों में सबसे अगली पंक्ति में हो। उन्होंने कहा कि संसद में देश, जनता और राजनीति से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए लेकिन संसद किसी भी स्थिति में राजनीतिक एजेंडे को पूरा करने का मंच न बने। संसद में शून्यकाल के माध्यम से संसद सदस्यों को अपने क्षेत्र की समस्याएं उठाने के लिए रिकार्ड समय और अवसर दिए जा रहे हैं।

लोकसभा के अंदर माहौल कैसा होता है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में कई उतार-चढ़ाव आते हैं लेकिन हमारी कोशिश होती है कि मर्यादा बनी रहे। यह बात सही है कि कई कोशिश के बाद भी अपेक्षित परिणाम नहीं आ पाते हैं। इसके लिए फोरम में बात करते हैं। कोशिश होती है कि चाहे राज्य की विधानसभा हो या लोकसभा सभी में गरिमा बनी रहे। चर्चा देश के महत्वपूर्ण मुद्दों पर हो और इससे समाधान निकले। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में चर्चा करना महत्वपूर्ण व्यवस्था है। किसी भी संवाद से रास्ते निकलते हैं। संवाद से जो चीजें निकलती है उससे ही जनता का कल्याण होता है। तनाव के लिए कभी काम नहीं होना चाहिए। राजनीति हो या बिजनेस हो या सर्विस सेक्टर कभी तनाव न लें।

मालूम हो कि लोकसभा अध्यक्ष बनने के बाद जीवन में क्या बदलाव आया, सवाल के जवाब में उन्होंने कहा जीवन में परिवर्तन तो नहीं आता। कार्य करने के तरीकों में परिवर्तन आता है। जब सामाजिक, राजनीतिक कार्यकर्ता के रूप में काम करते हैं और देश की लोकतांत्रित संस्थान के लिए काम करते हैं तो लोगों को यह भरोसा बनाए रखना चाहिए कि लोकतांत्रित संस्थाओं के माध्यम से हम देश की जनता की आकांक्षा, विश्वास और भरोसे को कायम रख सके। हमारा देश विविधता वाला देश है। अलग-अलग भाषा, पहनावा, अलग-अलग संस्कृति है। इन सबके बाद भी विविधता भारत को जोड़ने का काम कर रही है, इसलिए जब संविधान बना था तो इसे बनाते समय यह मूल भावना थी, शासन जनता के लिए हो। यह परिकल्पना के कारण ही दुनिया में भारत का लोकतंत्र मजबूत होता गया। अभी दुनिया में एक नया परिवर्ततन हुआ है। सभी देश चाहते हैं कि लोकतांत्रिक हो। इसके लिए भारत को एक भूमिका के रूप में देखा जा रहा है। 

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इंदौर के एक दिवसीय प्रवास के दौरान प्रबुद्धजनों से सार्थक संवाद हुआ। #आजादीकाअमृतमहोत्सव मनाते हुए देश के प्रति अपने कर्तव्यों और दायित्वों को समर्पण भाव से निभाने तथा अगले 25 वर्ष में भारत को विश्व का अग्रणी राष्ट्र बनाने में अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान देने की आवश्यकता पर बल दिया। - Om Birla (@ombirlakota) 20 Jan 2022


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