Kalashtami 2022: 25 जनवरी को मनाई जाएगी कालाष्टमी, जानें इसका महत्व और पूजा विधि
Kalashtami Puja 2022 कालाष्टमी के दिन कालभैरव की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों शत्रुओं और सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मनोवांछित फल प्राप्त होता है। क्रूर ग्रहों का प्रभाव भी समाप्त हो जाता है और ग्रह शुभ फल देने लगते हैं।
ग्वालियर, जेएनएन। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, कालाष्टमी व्रत कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। ज्योतिषी सुनील चोपड़ा से मिली जानकारी के अनुसार इस दिन भगवान शिव के अंशावतार काल भैरव का पूजन होता है। भैरव की पूजा करने से अकाल मृत्यु के भय से मुक्ति, सुख, शांति और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। 25 जनवरी को कालाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन कालभैरव की पूजा करने से नकारात्मक शक्तियों, शत्रुओं और सभी पापों से मुक्ति मिलती है और मनोवांछित फल की प्राप्त होता है। इस दिन व्रत करने से क्रूर ग्रहों का प्रभाव भी समाप्त हो जाता है और ग्रह शुभ फल देने लगते हैं। इस दिन पूजा करने से किसी भी प्रकार का जादू टोना समाप्त हो जाता है, भूत और भय आदि से मुक्ति मिलती है।
कालाष्टमी पूजा विधि:
पूजा-अर्चना के लिए कालाष्टमी के दिन अगर आप कालभैरव मंदिर नहीं जा सकते तो घर पर पूजा स्थल को गंगा जल से शुद्ध करके, भगवान शिव और माता पार्वती के साथ कालभैरव की मूर्ति या चित्र को लकड़ी से बनी चौकी पर रखें और जल चढ़ाकर फूल, चंदन, रोली और माला अर्पित करें। साथ ही नारियल, इमरती, सुपारी, मदिरा आदि चीजें चढ़ाएं, चौमुखी दीपक जलाएं और धूप-दीप कर आरती करें। इसके बाद शिव चालीसा और भैरव चालीसा या बटुक भैरव पंजर कवच का पाठ भी कर सकते हैं। इसके बाद रात्रि में सरसों के तेल, उड़द, दीपक, काले तिल आदि से काल भैरव की पूजा करके रात्रि में उठें।
कालाष्टमी तिथि:
माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 25 जनवरी को प्रातः 7 बजकर 48 मिनट से प्रारंभ होकर 26 जनवरी को प्रातः 6 बजकर 25 मिनट तक रहेगी।
कालाष्टमी मुहूर्त:
कालाष्टमी के दिन द्विपुष्कर योग सुबह 7 बजकर 13 मिनट से 7 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। वहीं रवि योग सुबह 7 बजकर 13 मिनट से 10 बजकर 55 मिनट तक रहेगा। शुभ मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 12 मिनट से दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक रहेगा।