क्या बच्चों की सेहत के लिए नुकसानदेह है रिसाइकिल हुआ पेपर, इन राज्यों में लग चुकी है पाबंदी
एनसीइआरटी बच्चों की पाठ्य पुस्तकों और कापियों के लिए रिसाइकिल किए हुए कागज का प्रयोग करती है जिसे लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी जिस पर केंद्र सरकार ने सोमवार को जवाब दिया है। हालांकि राज्य सरकार ने अपना जवाब सोमवार को भी नहीं दिया।
इंदौर, जेएनएन। बच्चों की पाठ्य पुस्तकों और कापियों के लिए एनसीइआरटी रिसाइकिल किए हुए कागज का प्रयोग करती है इसे लेकर हाईकोर्ट में दायर जनहित याचिका पर सोमवार को केंद्र सरकार ने जवाब दिया है। केंद्र का कहना है कि अभी तक ऐसा कोई शोध सामने नहीं आया है जिससे ये बात साबित हो सके की रिसाइकिल किया हुआ कागज बच्चों की सेहत के लिए नुकसानदेह है। ये याचिका निराधार है। जबकि याचिकाकर्ता ने इसका विरोध किया है उसका कहना है कि वे केंद्र के जवाब पर प्रति उत्तर देना चाहते हैं। याचिकाकर्ता ने ये भी कहा कि उनके पास ऐसे दस्तावेज मौजूद हैं जिसमें हाईकोर्ट ने स्वयं बच्चों की पाठ्य पुस्तकों और कॉपियों के लिए रिसाइकिल कागज के प्रयोग पर रोक लगायी है। प्रतिउत्तर के लिए कोर्ट ने चार सप्ताह का समय दिया है। हालांकि इस याचिका पर राज्य सरकार ने अपना जवाब सोमवार को भी नहीं दिया।
इन राज्यों में लग चुकी है पाबंदी
याचिकाकर्ता का नाम गोपाल शर्मा है, एलवोकेट जैरी लोपेज के माध्यम से ये याचिका दायर की गई है। याचिकाकर्ता का कहना है कि केंद्र सरकार के अलीगढ़ स्थित जांच संस्थान ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि रिसाइकिल हुआ कागज स्वास्थ्य के लिए नुकसानदेह होता है। इसी वजह से पंजाब, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ सहित देश के ज्यादातर राज्य में बच्चों की पुस्तक और कापियों में इस कागज के प्रयोग पर पाबंदी लग चुकी है लेकिन मध्य प्रदेश में इसे लेकर किसी प्रकार की रोक नहीं लगायी गई है। याचिका में कहा गया है कि रद्दी कागज को सफेद और नया बनाने के लिए इसमें विभिन्न प्रकार के कैमिकल का प्रयोग किया जाता है। ऐसे कागज पर छपी पुस्तकें और कापियां बच्चों के लिए हानिकारक हैं। क्योंकि बच्चे सीधा इनके संपर्क में रहते हैं। याचिका में ऐसे पेपर के प्रयोग पर पाबंदी लगाये जाने की बात कही गई है साथ ही राज्य सरकार को भी भी इस संबंध में आदेश देने के लिए कहा गया है। इस मामले में अगली सुनवाई दिसंबर के दूसरे सप्ताह में की जाएगी।