पदोन्नति में आरक्षण मामले की सुनवाई अब 23 को
पदोन्नति में आरक्षण मामले में जवाब पेश न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट 23 नवंबर को सुनवाई करेगा।
भोपाल, ब्यूरो। पदोन्नति में आरक्षण मामले में जवाब पेश न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई है। मंगलवार को सुनवाई के दौरान सरकार ने जवाब पेश करने के लिए तीन हफ्तों का समय मांगा है, जिस पर कोर्ट ने एक हफ्ते में जवाब पेश करने को कहा है। कोर्ट 23 नवंबर को सुनवाई करेगा।
जस्टिस जे. चेलामेश्वर और जस्टिस पीसी पंत की डबल बेंच में राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील सौरभ मिश्रा ने रि-जॉइंडर फाइल करने के लिए तीन हफ्तों का समय मांग लिया। सूत्र बताते हैं कि न्यायाधीश इससे नाराज हुए और पूछा कि ड़ेढ माह से सरकार क्या कर रही थी? हालांकि कोर्ट ने जवाब पेश करने के लिए एक हफ्ते का समय देते हुए सुनवाई की अगली तारीख 23 नवंबर तय की। सपाक्स संगठन की ओर से कोर्ट में वकील राजीव धवन, बलवीर सिंह, एनके कौशिक, सुयश गुर और कनु अग्रवाल उपस्थित हुए थे।
उल्लेखनीय है कि मप्र हाई कोर्ट ने 30 अप्रैल को फैसला सुनाते हुए 'मप्र लोक सेवा [ पदोन्नति ] अधिनियम 2002' खारिज कर दिया है। इसके खिलाफ 12 मई को राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की है।
भाजपा को मिली राहत
शहडोल लोकसभा और नेपानगर विधानसभा उप चुनाव के बीच पदोन्नति में आरक्षण मामले की सुनवाई को लेकर भाजपा और राज्य सरकार में बेचैनी थी। सूत्र बताते हैं कि सुनवाई से उप चुनाव पर प़डने वाले असर को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट में री-जॉइंडर फाइल करने में जानबूझकर देरी की गई, ताकि कोर्ट सुनवाई की तारीख ब़ढा दे। सुनवाई ब़ढने से भाजपा ने भी राहत की सांस ली है। ज्ञात हो कि दोनों उप चुनाव में मतदान 19 नवंबर को होंगे।
मन मसोसकर रह गए कर्मचारी
राज्य के अधिकारियों व कर्मचारियों को इस मामले में फैसला आने की उम्मीद थी। सबसे ज्यादा खुश वे कर्मचारी थे, जिनकी हाई कोर्ट के फैसले के बाद पदोन्नति अटक गई है।
कब क्या हुआ
30 अप्रैल को मप्र हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया। पदोन्नति में आरक्षण का नियम निरस्त किया। 12 मई को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की। 21 सितंबर को डबल बेंच के एक जस्टिस के बीमार होने से सुनवाई टल गई। 26 सितंबर को सपाक्स ने स्पेशल एप्लिकेशन लगाकर जल्द सुनवाई की मांग की। कोर्ट ने 8 नवंबर की तारीख तय की थी।