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ग्वालियर पुलिस ने सीमा पर तैनात जवान की समस्‍या किया समाधान, डर था कहीं फिर न पैदा हो जाए दूसरा पानसिंह तोमर

ग्‍वालियर पुलिस ने जवान की पीड़ा को समझते हुए तुरंत उसकी समस्‍या का समाधान कर दिया ताकि कभी कोई दूसरा जवान पानसिंह तोमर बन बीहड़ों में न कूद जाये। ये मामला जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ 183 बटालियन में तैनात बहादुर सिंह का है।

By Babita KashyapEdited By: Published: Thu, 20 Jan 2022 08:48 AM (IST)Updated: Thu, 20 Jan 2022 08:48 AM (IST)
ग्वालियर पुलिस ने सीमा पर तैनात जवान की समस्‍या किया समाधान, डर था कहीं फिर न पैदा हो जाए दूसरा पानसिंह तोमर
ग्वालियर पुलिस ने समझी जवान की पीड़ा

ग्वालियर, जेएनएन। पान सिंह तोमर की कहानी हर कोई जानता है। खेल के जरिए देश का नाम रोशन करने वाले मुरैना के एक फौजी से कुख्यात दस्यु बने पान सिंह तोमर की जमीन पर गांव के दबंगों ने कब्जा कर लिया तो उन्हें वे मदद के लिए पुलिस (खाकी) के पास पहुंचे लेकिन वहां उन्‍हें अपमानित किया गया। इसके बाद पान सिंह तोमर ने बंदूक उठा ली और बीहड़ों में कूद गए। यह कोई अकेला ऐसा मामला नहीं है। ग्वालियर चंबल में आज भी ऐसे कई मामले सामने आ रहे हैं। 

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जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ 183 बटालियन में बहादुर सिंह देश की सीमा पर तैनात हैं। हाल ही में उन्होंने पुलिस अधीक्षक मुरैना को पत्र लिखकर बताया कि उनके परिवार को रामनगर में प्रताड़ित किया जा रहा है। उनके घर की सड़क पर अतिक्रमण कर लिया गया है। उनकी पत्नी ममता शिकायत आवेदन लेकर पुलिस के पास पहुंची तो उसके साथ अभद्रता की गई। बहादुर सिंह ने लिखा ऐसी स्थिति में मेरा ड्यूटी में मन नहीं लग रहा है। मुझे डर है कि कहीं मेरे हाथों कुछ गलत न हो जाए। पुलिस ने जवान की बात को गंभीरता से लेते हुए उसकी समस्‍या का तुरंत निराकरण किया।

जवानों के इस दर्द को समझते हुए ग्वालियर पुलिस ने आर्म्ड फोर्सेज हेल्प डेस्क का गठन किया है।  एसएसपी ग्वालियर अमित सांघी ने आईपीएस और एएसपी हितिका वासल को इस डेस्क का नोडल अधिकारी नियुक्‍त किया है। यदि जवान या उसका परिवार इस डेस्क पर अपनी शिकायत का आवेदन देता है, तो संबंधित थाने की पुलिस निर्धारित अवधि के भीतर उसका समाधान करती है। इस डेस्क का हेल्प लाइन नंबर भी जारी किया गया है। एक महीने में इस डेस्क को 106 शिकायतें मिलीं।

पुलिस ने 26 शिकायतों का समाधान किया और सीमा पर तैनात जवान को समाधान की जानकारी भेजी। ताकि वह परिवार की सुरक्षा और परेशानियों की चिंता किए बिना हमारी सीमाओं की रक्षा कर सके। ग्वालियर पुलिस की इस पहल की न केवल सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने सराहना की बल्कि एसएसपी और इस डेस्क से जुड़े लोगों को उपहार भी भेजे। सेना के अधिकारियों ने उम्‍मीद जतायी है कि इस तरह के हेल्प डेस्क अन्‍य प्रांतों और जिलों में भी शुरू किए जाएं। मध्य प्रदेश के डीजीपी ने कहा है कि वह राज्य भर में सशस्त्र बल हेल्प डेस्क शुरू करने पर विचार कर रहे हैं।


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