Madhya Pradesh: बिना वाल्व और कैम शाफ्ट का इंजन कम खर्च में देगा अधिक शक्ति
Madhya Pradesh छात्रों को मैकेनिकल इंजीनियरिंग पढ़ाने वाले प्रो. अनिल ने चार वर्ष की मेहनत के बाद अंतर्दहन इंजन की ऐसी तकनीक खोजी है जो बिना वाल्व और कैम के काम करेगी। दावा है कि इससे ईंधन की खपत कम होगी और इंजन से वाहन को अधिक ताकत भी मिलेगी।
भोपाल, दक्षा वैदकर। यदि वाहन में ऐसा इंजन हो जो कम ईंधन खर्च में अधिक शक्ति दे, तो वाहन उद्योग की तस्वीर बदल सकती है। ऐसा ही कुछ प्रयास कर रहे हैं भोपाल के एलएनसीटी के प्रोफेसर डा. अनिल सिंह यादव। छात्रों को मैकेनिकल इंजीनियरिंग पढ़ाने वाले प्रो. अनिल ने चार वर्ष की मेहनत के बाद अंतर्दहन इंजन (आइसी इंजन) की ऐसी तकनीक खोजी है, जो बिना वाल्व और कैम के काम करेगी। दावा है कि इससे ईंधन की खपत कम होगी और इंजन से वाहन को अधिक ताकत भी मिलेगी। आइसी इंजन में होने वाला शोर भी कम होगा। अनिल ने इंजन से वाल्व और कैम को हटाकर उसके स्थान पर एक इनलेट और एग्जास्ट हाल युक्त पोर्टशाफ्ट को डिजाइन किया है और इसे इंजन सिलेंडर के अंदर फिट किया है। यह पोर्टशाफ्ट सक्शन और एग्जास्ट प्रक्रिया को बिना वाल्व और कैम के पूर्ण करता है।अनिल ने इस इंजन का पेटेंट फाइल कर दिया है। इसके डिजाइन को बाजार में लाने के लिए उनकी बातचीत आटोमोबाइल कंपनियों से चल रही है।
यह होता है इंजन वाल्व और कैम
इंजन में पेट्रोल या डीजल पहुंचाने के मार्ग को आवश्यकतानुसार खोलने और बंद करने के लिए जिस चीज का प्रयोग होता है, उसे वाल्व कहते हैं। आमतौर पर इंजन में एक सिलेंडर पर दो वाल्व लगाए जाते हैं। एक इनलेट वाल्व और एक एग्जास्ट वाल्व। एक वाल्व से ईंधन जलने के लिए सिलेंडर में आता है और एक वाल्व से जली हुई गैसें सिलेंडर से बाहर निकलती हैं। इसमें कैम शाफ्ट का काम वाल्व को खोलने और बंद करने का होता है। कैम शाफ्ट पर कई कैम (सांचे) लगे होते हैं। प्रत्येक सिलेंडर के लिए दो-दो कैम लगे होते हैं, एक इनलेट वाल्व व दूसरा आउटलेट वाल्व के लिए।
आटो सेक्टर में हो सकता बड़ा बदलाव
इस नई तकनीक से आटोमोबाइल सेक्टर में बड़ा बदलाव आ सकता है, क्योंकि इस तरीके से बनाए गए इंजन की दक्षता पारंपरिक इंजन की तुलना में ज्यादा होगी तथा ईंधन की खपत पारंपरिक इंजन की तुलना में कम होगी। साथ ही इस इंजन में कैम और वाल्व के रखरखाव पर होने वाला खर्च पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
फ्लेक्सी इंजन गाड़ियों पर भी काम करेगा
अनिल कहते हैं कि यह इंजन इलेक्ट्रिक वाहन में काम नहीं करेगा, फिर भी इसके महत्व पर अधिक असर नहीं होगा। आज भले ही इलेक्ट्रिक वाहन का चलन धीरे धीरे बढ़ रहा है, लेकिन पेट्रोल व डीजल से चलने वाले वाहन पूरी तरह कभी बंद नहीं होंगे। बीते दिनों खुद केंद्रीय सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने फ्लेक्सी इंजन की एडवाइजरी पर हस्ताक्षर किए हैं। सरकार वाहनों में वैकल्पिक ईंधन को बढ़ावा देने के लिए फ्लेक्सी इंजन वाली गाडिय़ों पर जोर दे रही है। इसमें इंजन तो वही पुराना होगा, बस ईंधन बदला जाएगा। डा. अनिल ने बताया कि उनका डिजाइन किया इंजन फ्लेक्स-ईंधन इंजन के लिए भी लागू हो सकता है। फ्लेक्स-ईंधन इंजन एक से अधिक ईंधन पर चलने में सक्षम होते हैं। आमतौर पर पेट्रोल और एथेनाल के मिश्रण या यहां तक कि 100 प्रतिशत एथेनाल पर यह इंजन चल सकते हैं।
जानें, किसने-क्या कहा
मैंने डा अनिल की इस खोज को देखा व समझा है। जब कोई कंपनी इस इंजन को बना लेगी तो निश्चित रूप से आटोमोबाइल इंडस्ट्री में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। यह एक यूटिलिटी पेटेंट है। इसका जब प्रोटोटाइप लगभग 50 लाख रुपये का बनेगा।
डा. नवीन अग्रवाल, विभागाध्यक्ष, मैकेनिकल विभाग, एलएनसीटी, भोपाल।
जब डीजल इंजन बनाए गए थे, तब उनकी दक्षता पांच प्रतिशत के आसपास थी, धीरे-धीरे बदलाव हुआ और अब उनकी दक्षता 30 प्रतिशत है। वर्तमान में सभी इंजीनियर इसी पर काम कर रहे हैं कि जो शेष 70 प्रतिशत दक्षता है, वो कैसे हासिल की जाए। डा. अनिल ने जो इंजन तैयार किया है, वह दक्षता को निश्चित रूप से बढ़ाएगा। वाल्व के खुलने और बंद होने में इंजन की जो ऊर्जा बर्बाद हो रही है, वह इसमें नहीं होगी। इसके प्रयोग से हम घर्षण से होने वाले नुकसान को पांच से दस प्रतिशत तक कम कर सकेंगे।
- डा. अभिषेक शर्मा, एसोसिएट प्रोफेसर, मैकेनिकल इंजीनियरिंग, मनीपाल विश्वविद्यालय, जयपुर।
पुराने व नए इंजन का तुलनात्मक अध्ययन
मापदंड - पुराना इंजन - नया इंजन
तकनीक - पुरानी - नई
डिजाइन - जटिल - आसान
दक्षता - कम - ज्यादा
रखरखाव - महंगा- सस्ता
कंपन और शोर- ज्यादा - कम
इंजन पावर - कम - ज्यादा
मूविंग पार्ट - ज्यादा - कम
ईंधन की खपत - ज्यादा - कम
टार्क - कम - ज्यादा।