Madhya Pradesh: 29 शावकों को जन्म देने वाली 'सुपर माम' ने दुनिया को कहा अलविदा
Madhya Pradesh जंगल की कच्ची सड़क पर शान से चलकर पर्यटकों को रोमांचित करने वाली मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व की कालर वाली बाघिन ने दुनिया को अलविदा कह दिया। साढ़े सोलह वर्ष की आयु में इस बाघिन (टी-15) ने शनिवार को अंतिम सांस ली।
सिवनी, जेएनएन। जंगल की कच्ची सड़क पर शान से चलकर पर्यटकों को रोमांचित करने वाली मध्य प्रदेश के पेंच टाइगर रिजर्व की कालर वाली बाघिन ने दुनिया को अलविदा कह दिया। साढ़े सोलह वर्ष की आयु में इस बाघिन (टी-15) ने शनिवार को अंतिम सांस ली। 11 साल में आठ बार गर्भधारण कर 29 शावकों को जन्म देकर बाघिन ने देश में सबसे अधिक शावकों को जन्म देने का कीर्तिमान बनाया। इस कारण वह 'पेंच की रानी' व 'सुपर माम' के नाम से पर्यटकों में मशहूर हो गई। वर्ष 2008 में लगाए गए रेडियो कालर के कारण उसे कालर वाली बाघिन का नाम भी मिला। बाघिन ने रिजर्व के कर्माझिरी के सिताघाट, फायर लाइन क्षेत्र में अपना दबदबा अंत तक बनाए रखा। रविवार को इसी जगह उसका अंतिम संस्कार किया गया। उम्रदराज होने के बाद भी दिसंबर, 2021 के अंतिम सप्ताह में बाघिन पेड़ों पर एरिया मार्किग करती नजर आई थी। शावकों को ताकतवर नर बाघ से बचाकर वयस्क होने तक देखभाल करने के कारण वन्यजीव विशेषज्ञों ने उसे भरोसेमंद मां या 'सुपर माम' का दर्जा दिया। 29 शावकों में से 25 को वयस्क होने तक पालना व बचाना भी कीर्तिमान रहा। ये सभी जीवित हैं।
मध्य प्रदेश में बाघों की संख्या बढ़ाने में अहम योगदान
कालर वाली बाघिन की संतान टी-6 को पन्ना टाइगर रिजर्व भेजा गया था। वहां उसने 17 शावकों को जन्म दिया। उससे जन्मी पाटदेव बाघिन टी-4 ने पेंच टाइगर रिजर्व में पिछले साल पांच शावकों को जन्म दिया है। 'सुपर माम' से जन्मी कई बाघिन विभिन्न क्षेत्रों में बाघों का कुनबा बढ़ा रही हैं।
नन्हे शावक को मुंह में दबाए तस्वीर हुई थी चर्चित
27 जनवरी, 2019 को 'सुपर माम' नन्हें शावक को मुंह में दबाकर सड़क पार करते दिखी थी। यह तस्वीर तब खूब वायरल हुई थी। इंटरनेट मीडिया में लाखों लोगों ने इस तस्वीर को देखा था। घायल होकर भी शिकार कर किया अचंभित कालरवाली बाघिन के घायल होने पर आठ से ज्यादा बार रेस्क्यू किया गया। 20 मई, 2020 को रेस्क्यू कर उसकी जान बचाई गई। 10 दिन के इलाज के बाद वह स्वस्थ हुई और उसने फिर शिकार कर अचंभित कर दिया था। मुख्य प्रधान वन संरक्षक (वन्य जीव) के पीआरओ रजनीश सिंह के अनुसार बाघों की औसत उम्र 15 वर्ष मानी जाती है। कालर वाली बाघिन साढ़े 16 साल तक जीवित रही।
सबसे ज्यादा शावकों को जन्म देने वाली थी बाघिन
भोपाल के अतिरिक्त मुख्य प्रधान वन संरक्षक (आइटी) संजय शुक्ला के मुताबिक, कालर वाली बाघिन देश में सबसे ज्यादा शावकों को जन्म देने वाली बाघिन थी। जंगल में बाघों का कुनबा बढ़ाने में उसका महत्वपूर्ण योगदान रहा।