व्यापम केस में मप्र सरकार को क्लीनचिट
मध्य प्रदेश के चर्चित व्यापम घोटाला केस में राज्य सरकार को बड़ी राहत मिली, सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि एक्सलसीट में छेड़छाड़ के आरोप सही नहीं हैं।
नईदुनिया, भोपाल, नई दिल्ली। मध्य प्रदेश के चर्चित व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापम) घोटाला केस में गुरुवार को राज्य सरकार को उस समय बड़ी राहत मिली, जब सीबीआइ ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि एक्सलसीट में छेड़छाड़ के आरोप सही नहीं हैं। सीबीआइ ने हैदराबाद स्थित फॉरेंसिक लैब की जांच रिपोर्ट का हवाला दिया है जिसमें हार्डडिस्क और पेनड्राइव के साथ छेड़छाड़ न होने की पुष्टि हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने केस को बंद करने के निर्देश दिए। साथ ही लैब की रिपोर्ट को ट्रायल कोर्ट में पेश करने को कहा।
व्यापम घोटाले की जांच को बिहार पहुंची CBI, 5500 छात्रों की हो रही जांच
सुप्रीम कोर्ट ने केस की मॉनिटरिंग से अलग होने का निर्णय लिया है और जांच एजेंसी को इस मामले में पूरी तरह से फ्री हैंड दे दिया। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस राजन गोगोई व जस्टिस रमन्ना ने कहा कि इस केस में मॉनिटरिंग की कोई जरू रत नहीं है। फिर भी सीबीआइ को कहीं कोई जरू रत होगी तो वह जरूर मदद करेंगे।सीबीआइ के वकील रंजीत सिंह ने कोर्ट को बताया कि हैदराबाद लैब से मिली हार्डडिस्क और पेनड्राइव की जांच रिपोर्ट में इससे छेड़छाड़ के आरोपों को गलत पाया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता केटीएस तुलसी और विवेक तन्खा ने कोर्ट से रिपोर्ट को स्पष्ट करने को कहा। जिससे कोर्ट ने इन्कार करते हुए सीबीआइ को रिपोर्ट ट्रायल कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए।
सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को कांग्रेस नेता व मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह की उस याचिका पर सुनवाई थी, जिसमें उन्होंने एक्सलसीट में छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए पूरे केस की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में कराने की मांग की थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन आरोपों की पुष्टि के लिए सीबीआइ से हार्डडिस्क और पेन ड्राइव की जांच हैदराबाद स्थित फॉरेंसिक लैब से कराने के निर्देश दिए थे। यह रिपोर्ट पिछले हफ्ते ही हैदराबाद की लैब से सीबीआइ को मिली है। वहीं सुप्रीम कोर्ट में मामले से जुड़ी छेड़छाड़ की एक और याचिका लंबित है, जो व्हीसल ब्लोअर प्रशांत पांडेय और पारस सकलेचा की ओर से लगाई गई है। इसकी सुनवाई छह जनवरी को होनी है।