Bhopal Hospital Fire: अस्पताल की आग में नवजात शिशु जिंदा है या हादसे का शिकार परेशान दंपती को नहीं चल रहा पता
सुबह उनको अस्पताल प्रबंधन ने बुलाया और कहा कि आग लगने के कारण बच्चे की मौत हो गई है लेकिन जब उन्होंने शव देखा तो वह उनके बच्चे का नहीं था। बाद में उन्होंने कमला नेहरू के वार्ड में भर्ती दूसरे बच्चे को अपना बताया था।
भोपाल, जेएनएन । मध्यप्रदेश के कमला नेहरू अस्पताल की आग में एक दंपती का नवजात शिशु जिंदा है या हादसे का शिकार हुआ, इसकी जानकारी जुटाने के लिए नवजात का पिता महाराष्ट्र से भोपाल आया है। ये परिजन चार दिन से अस्पताल और थाने के चक्कर लगा रहे हैं। डीएनए का नमूना देने के बाद भी अभी तक उन्हें बच्चे के बारे में सही जानकारी नहीं मिल पाई है।
जानकारी के अनुसार महाराष्ट्र सिंबोल निवासी अरुण मसानी की ससुराल ओम नगर बागसेवनिया में है। उसकी पत्नी सोनाली को सोमवार को सुल्तानिया अस्पताल में बच्चा हुआ था। सांस लेने में तकलीफ हुई तो उसे कमला नेहरू अस्पताल में भर्ती कराया था। आग लगने की जानकारी लगने के बाद रात में बच्चे तक नहीं पहुंच पाए। मंगलवार सुबह उनको अस्पताल प्रबंधन ने बुलाया और कहा कि आग लगने के कारण बच्चे की मौत हो गई है, लेकिन जब उन्होंने शव देखा तो वह उनके बच्चे का नहीं था। बाद में उन्होंने कमला नेहरू के वार्ड में भर्ती दूसरे बच्चे को अपना बताया था।
मालूम हो कि यह परिवार जब धरने पर बैठ गया। इसके बाद पुलिस ने उनको भरोसा दिलाया कि वह मृत बच्चे से उसकी मां का डीएनए मिलान की जांच कराएंगे। लेकिन अस्पताल प्रबंधन और पुलिस ने न तो मृत बच्चे दी और डीएनए नमूना लेने में भीआनाकानी की। जानकारी हो कि पुलिस ने कहा था कि गुरुवार को मृत बच्चे की देह लेकर जाना, लेकिन वह जब गुरुवार को अस्पताल पहुंचे तो पुलिस ने शव देने से मना कर दिया। नवजात के पिता अरुण मसीह ने बताया कि पुलिस का कहना है कि वह डीएनए रिपोर्ट आने के बाद बच्चे को देंगे। जबकि परिजन मोर्चरी में रखे उस बच्चे का अंतिम संस्कार करने को राजी थे। परिजनों ने जमकर हंगामा मचाया तो देर रात डीएनए जांच के लिए नमूना ले लिया था।
अरुण की पत्नी सोनाली मसीह सुल्तानिया अस्पताल में भर्ती हैं। वह परिजनों से बच्चे को दिखाने की बात कह रही है। उसका कहना है कि जैसे ही उसकी तबीयत में सुधार होगा, वह पहले बच्चे को देखेगी।