भारत-अमेरिका संबंध को मोदी से मिलेगी जान: अमेरिकी विशेषज्ञ
लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा की अभूतपूर्व जीत की खबर से विदेशों में भी उत्साह और सकारात्मकता का माहौल है। दो अमेरिकी विदेश नीति के विशेषज्ञों ने कहा कि मोदी भारत की डगमगाती अर्थव्यवस्था को बहाल करने और भारत-अमेरिका के दिशाहीन रिश्तों को गति देने में सक्षम हो सकते हैं।
वाशिंगटन। लोकसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा की अभूतपूर्व जीत की खबर से विदेशों में भी उत्साह और सकारात्मकता का माहौल है। दो अमेरिकी विदेश नीति के विशेषज्ञों ने कहा कि मोदी भारत की डगमगाती अर्थव्यवस्था को बहाल करने और भारत-अमेरिका के दिशाहीन रिश्तों को गति देने में सक्षम हो सकते हैं।
फॉरेन पॉलिसी मैगजीन में प्रकाशित अपने एक लेख में जेम्स सी. क्लैड और रॉबर्ट ए. मैनिंग ने लिखा, 'ध्यान देने की बात है कि 1991 के बाद से भारत और अमेरिका के बीच के द्विपक्षीय रिश्तों में उतार-चढ़ाव के कई दौर आए हैं। मोदी के आने के बाद इस चक्र का सबसे बेहतर वक्त शुरू होने वाला है।' उन्होंने कहा कि मोदी का युग भारत-अमेरिका संबंधों को ज्यादा वास्तविक स्वरूप में लाने का मौका देगा। उन्होंने कहा कि मोदी की ओर से भारतीय अर्थव्यवस्था में बदलाव की उम्मीद है, जैसा कि उन्होंने गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर साबित किया है। मोदी भारत-अमेरिकी रिश्तों को मजबूत करने की दिशा में सिर्फ हवाई बातें नहीं करेंगे बल्कि ठोस कदम उठाएंगे। दोनों विशेषज्ञों ने लिखा कि मोदी की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि वे निजी क्षेत्र को किस तरह ताकतवर बनाते हैं और बाजार केंद्रित आर्थिक सुधारों के दूसरे चरण को किस तरह से आगे बढ़ाते हैं।
विशेषज्ञों ने कहा कि कुछ साल पहले तक भारत और चीन एक स्वर में कहते थे कि ब्रिक [ब्राजील, रूस, भारत, चीन] की बढ़ती ताकत दुनिया को नई पहचान देगी, लेकिन अब ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि पश्चिम में नई पीढ़ी सामने आई है जो कि एशिया को व्यापार की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानती है। पिछले कुछ सालों में यह धारणा भी बढ़ी है कि भारत और अमेरिका प्राकृतिक सहयोगी हैं। अमेरिका की विदेश नीति में भारत को प्राथमिक दर्जा भी मिला है। लेखक क्लैड अमेरिका में एशियाई रक्षा मामलों के पूर्व डिप्टी सहायक सचिव रहे हैं जबकि मैनिंग ब्रेंट स्कोक्रॉफ्ट सेंटर फॉर इंटरनेशनल सिक्योरिटी के वरिष्ठ शोधकर्ता हैं।