Apple के एक साल की कमाई से चार गुना ज्यादा काम तो मुफ्त में कर देती है महिलाएं

एक अध्ययन के मुताबिक दुनिया भर में महिलाओं द्वारा प्रति वर्ष दस ट्रिलियन डॉलर तक का अवैतनिक कार्य किया जाता है, जो दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी एपल की सालाना आय का 4 गुना है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 23 Jan 2019 10:16 AM (IST) Updated:Wed, 23 Jan 2019 10:43 AM (IST)
Apple के एक साल की कमाई से चार गुना ज्यादा काम तो मुफ्त में कर देती है महिलाएं
Apple के एक साल की कमाई से चार गुना ज्यादा काम तो मुफ्त में कर देती है महिलाएं

नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। अंतरराष्ट्रीय संस्था ऑक्सफैम के एक अध्ययन के मुताबिक दुनिया भर में महिलाओं द्वारा प्रति वर्ष दस ट्रिलियन डॉलर तक का अवैतनिक कार्य किया जाता है, जो दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी एपल की सालाना आय का 4 गुना है।

भारत में महिलाओं द्वारा अपने घरों और बच्चों की देखभाल करने वाले अवैतनिक कार्य देश की जीडीपी का 3.1 फीसद है। महिलाओं ने शहरी क्षेत्रों में प्रति दिन 312 मिनट और ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति दिन 291 मिनट ऐसे अवैतनिक कार्य पर खर्च किए हैं। इसकी तुलना में पुरुषों ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 29 और 32 मिनट अवैतनिक कार्य में बिताए हैं।

आर्थिक असमानता

वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की वार्षिक बैठक में अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूह द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में बढ़ती आर्थिक असमानता से महिलाएं और लड़कियां सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। यहां पुरुषों की तुलना में महिलाओं को काम का भुगतान कम किया जाता है। यहां 119 सदस्यी अरबपति क्लब में केवल 9 महिलाएं हैं। वेतन अंतर के कारण पुरुषों की तुलना में महिलाओं की आय कम होती है। इसलिए जिन परिवारों में महिलाएं कमाती हैं, वे गरीब हैं। देश में पुरुषों की तुलना में महिलाओं को 34 फीसद कम वेतन दिया जाता है।

चिंताजनक स्थिति

बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में 1,000 घरों में किए गए सर्वेक्षण में 53 फीसद लोगों ने कहा कि अगर महिलाएं बच्चों की अच्छी देखभाल करने में नाकाम रहती हैं तो उनकी आलोचना की जानी चाहिए। 33 फीसद लोगों ने कहा इस कारण से महिलाओं को पीटा जाना चाहिए। 60 फीसद लोगों ने कहा कि एक महिला द्वारा किसी महिला की कड़ी आलोचना करना सही है, यदि वह एक आश्रित या बीमार वयस्क को छोड़ देती है और 36 फीसद को लगता है कि उसे इस कारण से पीटा जाना चाहिए। इसके अलावा, 41 फीसद ने कहा कि अगर महिलाएं परिवार में पुरुषों के लिए भोजन तैयार नहीं करती हैं तो उन्हें पीटा जाना चाहिए।

68 फीसद को लगता है कि उनकी कठोर आलोचना करनी चाहिए। वहीं 42 फीसद ने कहा कि अगर महिलाएं अपने परिवार के लिए पानी या ईंधन लाने में विफल रहती हैं तो उन्हें पीटा जाना चाहिए और 65 फीसद ने कहा कि उनकी कठोर आलोचना की जानी चाहिए। 54 फीसद ने कहा, महिलाओं को पीटना ठीक नहीं अगर उन्होंने बिना पूछे घर छोड़ दिया और 86 फीसद ने कहा कि ऐसा करने के लिए उनकी कठोर आलोचना की जानी चाहिए।

बड़ी चुनौती

भारत में कई कानून हैं, जो महिलाओं के खिलाफ हिंसा से निपटते हैं, लेकिन उनका क्रियान्वयन एक चुनौती है। इसके पीछे पितृसत्तात्मक समाज के बड़ा कारण है। बड़ी संख्या में महिलाएं अनौपचारिक क्षेत्र में हैं, जिनके पास यौन उत्पीड़न से निपटने को के लिए कोई औपचारिक तंत्र नहीं है। नतीजतन, यह तो महिलाएं श्रम शक्ति से बाहर हो जाती हैं या शोषणकारी परिस्थितियों में काम जारी रखती है।

खराब प्रदर्शन

अध्ययन में 2018 के ग्लोबल जेंडर गैप इंडेक्स में भारत की 108वीं रैंकिंग का हवाला देते हुए कहा गया है कि यह 2006 के मुकाबले 10 पायदान कम है। जो कि पड़ोसी देशों चीन और बांग्लादेश से भी पीछे है।

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