PNB Fraud Case: ब्रिटिश सरकार ने दी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की मंजूरी, भारत आने का रास्ता हुआ साफ

PNB Fraud Case लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में मार्च 2019 से बंद नीरव मोदी (50) ने अपने मामा मेहुल चोकसी के साथ मिलकर भारतीय बैंक से घोटाला किया था। इनमें से नीरव पकड़ में आ गया जबकि मेहुल फरार चल रहा है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 05:47 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 10:53 PM (IST)
PNB Fraud Case: ब्रिटिश सरकार ने दी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की मंजूरी, भारत आने का रास्ता हुआ साफ
भगोड़े हीरा कारोबारी नीरव मोदी की फाइल फोटो

लंदन, एजेंसियां। भारत में पंजाब नेशनल बैंक के साथ 13 हजार करोड़ रूपये का घोटाला करने वाले हीरा कारोबारी नीरव मोदी के प्रत्यर्पण की ब्रिटेन की गृह मंत्री प्रीति पटेल ने अनुमति दे दी है। इसे भारत सरकार के प्रयासों की कामयाबी के तौर पर देखा जा रहा है। भारतीय जांच एजेंसी सीबीआइ की याचिका पर ब्रिटिश कोर्ट ने नीरव के प्रत्यर्पण का आदेश दिया है, जिसके बाद पटेल ने ब्रिटिश सरकार की ओर से उसे भारत भेजने की अनुमति दी है।

लंदन की वैंड्सवर्थ जेल में मार्च 2019 से बंद नीरव मोदी (50) ने अपने मामा मेहुल चोकसी के साथ मिलकर भारतीय बैंक से घोटाला किया था। इनमें से नीरव पकड़ में आ गया जबकि मेहुल फरार चल रहा है। लंदन की वेस्टमिंस्टर कोर्ट के डिस्टि्रक्ट जज सैम्युएल गूजी ने नीरव को घोटाले का साजिशकर्ता माना और कहा कि उसे भारतीय अदालत के समक्ष पेश किया जाना चाहिए। जस्टिस गूजी ने सीबीआइ द्वारा नीरव के खिलाफ पेश सुबूतों को मजबूत माना।

ब्रिटिश कोर्ट ने भारतीय जेलों, नीरव के मानसिक स्वास्थ्य और भारतीय न्याय व्यवस्था को लेकर हीरा कारोबारी के वकीलों की दलीलों को खारिज करते हुए 25 फरवरी को फैसला सुनाया था। ब्रिटिश सरकार के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता के अनुसार इसी आदेश के आधार पर ब्रिटेन की गृह मंत्री पटेल ने 15 अप्रैल को नीरव के प्रत्यर्पण के अनुमति पत्र पर दस्तखत किए हैं, लेकिन नीरव के पास गृह मंत्री की अनुमति के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करने का भी मौका है। वह गृह मंत्री की अनुमति के 14 दिन के भीतर हाईकोर्ट में उसे चुनौती दे सकता है।

2018 में दर्ज हुआ था केस

भारत में सीबीआइ ने 31 जनवरी, 2018 को नीरव, मेहुल और पंजाब नेशनल बैंक के घोटाले में संलिप्त अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था, लेकिन जांच एजेंसी के कदम की भनक लगते ही नीरव और मेहुल देश से फरार हो गए। यह घोटाला बैंक के फर्जी लेटर ऑफ अंडरटेकिंग जारी करने को लेकर हुआ था। इसके आधार पर नीरव और मेहुल को बैंकों से बेरोकटोक नकद धनराशि मिल जाती थी, जिसे बाद में वे वापस नहीं करते थे। इसी के चलते 13 हजार करोड़ का घोटाला हुआ। सीबीआइ ने मामले में पहला आरोप पत्र 14 मई, 2018 को अदालत में दाखिल किया था। इसमें 25 लोगों को आरोपी बनाया गया था।

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