COP26 Climate Summit: जलवायु वार्ता में ठोस नतीजे तक पहुंचने को मंथन जारी, समय सीमा बीतने के बाद भी वार्ताकार मौके पर डटे

व्यापक निर्णय के लिए जो प्रस्ताव बना है उसकी भाषा को लेकर विवाद हो सकता है। उसमें दुनिया के देशों को कोयला बिजली और अक्षम जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने की दिशा में प्रयास में तेजी लाने के लिए कहा गया है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sat, 13 Nov 2021 10:19 PM (IST) Updated:Sat, 13 Nov 2021 10:29 PM (IST)
COP26 Climate Summit: जलवायु वार्ता में ठोस नतीजे तक पहुंचने को मंथन जारी, समय सीमा बीतने के बाद भी वार्ताकार मौके पर डटे
ब्रिटेन के प्रतिनिधि को महत्वाकांक्षी समझौता होने की उम्मीद

ग्लासगो, एपी। जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों पर विचार करने और उससे निपटने के लिए एक साझा रणनीति तैयार करने के लिए इस साल ग्लासगो में जुटे दुनिया भर के देश अभी तक किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंच पाए। बैठक की समय सीमा बीत जाने के बाद भी विचार मंथन चल रहा है। उम्मीद है कुछ घंटों की मशक्कत के बाद वार्ताकार ऐसे किसी प्रस्ताव पर एकमत हो सकते हैं जिसे ग्लोबल वार्मिग से निपटने के लिए प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए विश्वसनीय कहा जा सके।

वार्ता की अध्यक्षता कर रहे ब्रिटिश अधिकारियों ने शुक्रवार की शाम की आधिकारिक समय सीमा के बाद भी जारी कूटनीतिक दांवपेंचों के बीच शनिवार तड़के नया समझौता मसौदा जारी किया। अमेरिकी जलवायु दूत जान केरी और उनके चीनी समकक्ष झी झेंहुआ दोनों ने शुक्रवार देर रात सतर्क आशावाद का संकेत देते हुए कहा कि वार्ता आगे बढ़ रही है।

व्यापक निर्णय के लिए जो प्रस्ताव बना है उसकी भाषा को लेकर विवाद हो सकता है। उसमें दुनिया के देशों को कोयला बिजली और अक्षम जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने की दिशा में प्रयास में तेजी लाने के लिए कहा गया है। लेकिन इसमें जो नई बात जोड़ी गई है उसमें कहा गया है कि सभी देश भेदभाव रहित संक्रमण के लिए समर्थन की आवश्यकता को पहचानेंगे। यह बात जीवाश्म र्ईधन उद्योग में काम कर रहे लोगों की वित्तीय मदद के लिए गई जिन्हें काम धंधे बंद करने पड़ेंगे।

उम्मीद है सहयोगी इस अवसर ले सकेंगे कोई निर्णय: आलोक शर्मा

वार्ता की अध्यक्षता कर रहे ब्रिटिश अधिकारी आलोक शर्मा ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि ग्लासगो में सभी देश एक महत्वाकांक्षी समझौता करेंगे। सम्मेलन स्थल की ओर आते समय एपी से बातचीत में शर्मा ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सहयोगी इस अवसर पर कोई निर्णय लेकर उठेंगे।

वहीं कुछ अभियान समूहों ने कहा कि मौजूदा प्रस्ताव पर्याप्त बहत दमदार नहीं थे। आक्सफैम के ट्रेसी कार्टी ने कहा कि यहां ग्लासगो में, दुनिया के सबसे गरीब देशों के हितों के खो जाने का खतरा है। लेकिन हम जिस तरह से चल रहे हैं वह अगले कुछ घंटों में बदल सकता है और बदलना भी चाहिए। वार्ता की मेज पर अभी जो कुछ है वह पर्याप्त नहीं है।

एक अन्य प्रस्ताव में, 2035 तक उत्सर्जन में कमी के लिए के लिए सभी देशों को 2025 तक नए लक्ष्य प्रस्तुत करने को कहा गया है। उन्हें 2030 और 2040 के लिए भी अपने लक्ष्य प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। वे पांच-पांच साल के लिए अपने लक्ष्य तय कर सकते हैं। विकासशील देशों से पहले केवल हर 10 साल में ऐसा करने की उम्मीद की जाती थी।

2030 तक वैश्विक कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन में 45 फीसद लानी होगी कमी

प्रस्तावित समझौते में कहा गया है कि 2015 के पेरिस समझौते के पूर्व औद्योगिक समय की तुलना में सदी के अंत तक ग्लोबल वार्मिग को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर कैप करने के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, देशों को वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में तेजी से निरंतर कमी करनी होगी। उन्हें 2010 के स्तर के सापेक्ष 2030 तक वैश्विक कार्बन डाइआक्साइड उत्सर्जन में 45 फीसद की कमी लानी होगी।

वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया अभी उस लक्ष्य को पूरा करने की राह पर नहीं है, लेकिन दो सप्ताह की वार्ता से पहले और उसके दौरान किए गए विभिन्न वादों ने उन्हें करीब ला दिया है।

नवीनतम समझौता मसौदा खतरनाक और अत्यधिक चिंता व्यक्त करता है कि मानव गतिविधियों ने ग्लोबल वार्मिग में लगभग 1.1 डिग्री सेल्सियस वृद्धि की है। यह प्रभाव हर क्षेत्र में पहले से ही महसूस किया जा रहा है।

जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी प्रभावों के लिए गरीब देशों द्वारा मांगी गई वित्तीय सहायता के मुद्दे पर मतभेद बने रहे। इस मुद्दे पर अमेरिका को आपत्तियां रहीं।

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