कोरोना संक्रमण के विकारों को झेल रहे बच्चों की मदद कर सकती है ये एंटी-इंफ्लेमेशन दवा, शोध का दावा

लंदन के इंंपीरियल कॉलेज में किए गए एक अध्ययन के अनुसार कोरोना संक्रमण से स्वस्थ हुए बच्चों को बाद में हृदय को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में इंफ्लेमेशन पाया गया जिसके इलाज के लिए एंटी-इंफ्लेमेशन दवा में संभावना दिखी है।

By Monika MinalEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 04:03 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 04:03 PM (IST)
कोरोना संक्रमण के विकारों को झेल रहे बच्चों की मदद कर सकती है ये एंटी-इंफ्लेमेशन दवा, शोध का दावा
कोरोना संक्रमित बच्चों में कारगर हो सकती है एंटी-इंफ्लेमेशन दवा, शोध का दावा

लंदन, प्रेट्र। कोर्टिकोस्टेरॉयड की दवाओं से सूजन संबंधित विकारों को झेल रहे कोरोना संक्रमण के शिकार बच्चों को राहत मिल सकती है । एक नवीनतम शोध में कहा गया कि कोविड-19 को झेलने के बाद उत्पन्न विकारों का सामना कर रहे बच्चों में कोर्टिकस्टेरॉयड दवा प्रभावी साबित हो सकती है। बता दें कि कोरोना वायरस (कोविड-19) से मुकाबले के लिए प्रभावी उपचारों पर शोध के साथ ही मौजूदा दवाओं में भी संभावनाएं तलाशी जा रही हैं। इसी कवायद में एक एंटी-इंफ्लेमेशन दवा में संभावना दिखी है।

एक अध्ययन में दावा किया गया है कि कोर्टिकोस्टेराइड दवा उन बच्चों के इलाज में कारगर हो सकती है, जिनको कोरोना संक्रमण के बाद एक गंभीर विकार का सामना करना पड़ता है। हालांकि इस विकार के बेहद कम केस उभरते हैं। कोर्टिकोस्टेराइड वर्ग की दवा इंफ्लेमेशन यानी सूजन कम करने के काम आती है।

न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, कोरोना संक्रमण के बाद 614 बच्चों को इस गंभीर विकार से पीडि़त पाया गया। कोरोना संक्रमित 50 हजार बच्चों में से महज एक को मल्टी-सिस्टम इंफ्लेमेटोरी सिंड्रोम इन चिल्ड्रेन (एमआइएस-सी) नामक विकार से प्रभावित माना जाता है। यह बीमारी संक्रमण के दो से तीन हफ्ते बाद उभरती है। यह विकार बड़े बच्चों और किशोरों में आम है। ब्रिटेन के इंपीरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने बताया कि इस विकार के चलते तेज बुखार, पेट दर्द, उल्टी, लाल आंखें और शरीर पर लाल चकत्ते की समस्या उभरती है।

अध्ययन के मुताबिक, चिंता की बात यह है कि विकार प्रभावित कुछ बच्चों में हृदय को रक्त की आपूर्ति करने वाली धमनियों में इंफ्लेमेशन पाया गया। इंपीरियल कॉलेज की शोधकर्ता एलिजाबेथ व्हाइटकर ने कहा, 'इस समस्या के इलाज में यह दवा प्रभावी हो सकती है। यह किफायती होने के साथ ही दुनियाभर में उपलब्ध भी है। यह समस्या खासतौर पर निम्न और मध्यम आय वाले कुछ देशों में सामने आ रही है।' 

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