अधिक वजन से भी होता है गर्भपात का ज्यादा जोखिम, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथम्पटन के शोधकर्ताओं के अध्ययन का नतीजा

कम उम्र में गर्भधारण के कारण गर्भपात एक सामान्य समस्या रही है और यह कुल गर्भपात का 15-20 फीसद होता है। लेकिन बार-बार गर्भपात एक जटिल बीमारी है और उसके लिए कई मेडिकल कारक समेत जीवनशैली भी जिम्मेदार होती है।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Sun, 18 Apr 2021 07:28 PM (IST) Updated:Sun, 18 Apr 2021 07:28 PM (IST)
अधिक वजन से भी होता है गर्भपात का ज्यादा जोखिम, यूनिवर्सिटी ऑफ साउथम्पटन के शोधकर्ताओं के अध्ययन का नतीजा
साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुआ है यह अध्ययन

लंदन, एएनआइ। अब तक यह आम धारणा रही है कि कम वजन की महिलाओं को गर्भपात का ज्यादा खतरा रहता है। लेकिन यूनिवर्सिटी ऑफ साउथम्पटन के शोधकर्ताओं ने अपने एक अध्ययन में पाया है कि न सिर्फ कम वजन बल्कि सामान्य औसत से अधिक वजन वाली महिलाओं को बार-बार गर्भपात का खतरा सामान्य महिलाओं से ज्यादा होता है। इस संबंध में एक व्यवस्थित समीक्षा और अध्ययन रिपोर्ट साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुई है।

शोधकर्ताओं ने महिलाओं की जीवनशैली तथा बार-बार (रिकरंट) गर्भपात के जोखिम के बीच लिंक तलाशने की कोशिश में यह अध्ययन किया। यहां बार-बार गर्भपात का मतलब लगातार दो या उससे ज्यादा गर्भपात से है।

कम उम्र में गर्भधारण के कारण गर्भपात एक सामान्य समस्या रही है और यह कुल गर्भपात का 15-20 फीसद होता है। लेकिन बार-बार गर्भपात एक जटिल बीमारी है और उसके लिए कई मेडिकल कारक समेत जीवनशैली भी जिम्मेदार होती है। लेकिन करीब 50 फीसद मामलों में गर्भपात का कारण स्पष्ट नहीं हो पाता है।

इस अध्ययन में पाया गया है कि उन महिलाओं को बार-बार गर्भपात की समस्या से जूझना पड़ता है, जो या तो अंडरवेट (बॉडी मास इंडेक्स स्कोर 18.5 से कम) होती हैं या फिर ओवरवेट (बॉडी मास इंडेक्स स्कोर 25-30) या मोटापे की शिकार (बीएमआइ 30 के ऊपर) होती हैं।

यूनिवर्सिटी ऑफ साउथम्पटन के क्लीनिकल एंड एक्सपरिमेंटल साइंसेज के फेलो और अध्ययन के प्रथम लेखक डॉ. बोनी एनजी बताते हैं, हमारे अध्ययन में शामिल 16 मामलों में अंडरवेट या ओवरवेट वाली महिलाओं को बार-बार गर्भपात का जोखिम ज्यादा था। जिनका बीएमआइ 25 और 30 से अधिक था, उनमें गर्भपात का खतरा क्रमश: 20 तथा 70 फीसद ज्यादा था।

शोधकर्ताओं की टीम ने गर्भपात के कारणों में धूमपान, शराब तथा कैफीन के सेवन जैसे कारकों के असर का भी अध्ययन किया। हालांकि कम संख्या में सैंपल तथा उनकी विषमताओं के कारण इन कारकों के सटीक असर का निष्कर्ष नहीं निकल पाया।

अध्ययन के सह-लेखक डॉ. जॉर्ज चेरियन का कहना है कि चूंकि हमारे अध्ययन में जीवनशैली (यथा- धूमपान, शराब और कैफीन सेवन) से जुड़े कारकों का गर्भपात से संबंध का कोई ठोस नतीजा नहीं मिला, इसलिए इस संबंध में और व्यापक अध्ययन की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि जीवनशैली से जुड़े अवलोकनों तथा उनके क्लीनिकल शोध की जरूरत है ताकि कोई ठोस निष्कर्ष निकाला जा सके। लेकिन इतना तो तय है कि महिला का वजन एक जोखिम वाला कारक है, जिसमें सुधार लाकर गर्भपात का खतरा कम किया जा सकता है।

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