ब्रिटिश संसद में बढ़ सकती है एनआरआइ की संख्या, जानिए पिछली संसद में कितने भारतीय थे

ब्रिटेन के चुनाव में इस बार भारतीय मूल के प्रत्याशियों का प्रदर्शन जबरदस्त रहने की उम्मीद है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 08 Dec 2019 09:45 PM (IST) Updated:Sun, 08 Dec 2019 09:45 PM (IST)
ब्रिटिश संसद में बढ़ सकती है एनआरआइ की संख्या, जानिए पिछली संसद में कितने भारतीय थे
ब्रिटिश संसद में बढ़ सकती है एनआरआइ की संख्या, जानिए पिछली संसद में कितने भारतीय थे

लंदन, प्रेट्र। ब्रिटेन के चुनाव में इस बार भारतीय मूल के प्रत्याशियों का प्रदर्शन जबरदस्त रहने की उम्मीद है। 2017 के चुनाव में 12 भारतवंशी संसद पहुंचे थे। इनमें पहली सिख महिला प्रीत कौर गिल और पहले पगड़ीधारी तनमनजीत सिंह विपक्षी लेबर पार्टी से सांसद चुने गए थे।

विभिन्न देशों के जातीय अल्पसंख्यकों के चुने जाने की उम्मीद

इस चुनाव में लेबर पार्टी के नवेंदु मिश्रा, कंजरवेटिव पार्टी के गगन महिंद्रा और गोवा मूल के क्लेयर कूटिन्हो अपनी-अपनी पार्टी के गढ़ों को बचाने के लिए मैदान में हैं। ब्रिटिश फ्यूचर थिंक टैंक के एक विश्लेषण के अनुसार, अगली संसद के लिए विभिन्न देशों के जातीय अल्पसंख्यकों के चुने जाने की उम्मीद है। कंजरवेटिव पार्टी की प्रीति पटेल, आलोक शर्मा, ऋषि सुनक, शैलेश वारा और सुएला ब्रेवरमैन के फिर से चुनकर आने की उम्मीद है। लेबर पार्टी की तरफ से गिल और तनमनजीत को छोड़कर अन्य सभी प्रत्याशी सुरक्षित सीटों से लड़ रहे हैं। इसमें सेक्स स्कैंडल में नाम आने के बाद इस्तीफा देने वाले कीथ वाज की बहन वैलेरी वाज, लीजा नैंडी, सीमा मल्होत्रा और वीरेंद्र शर्मा शामिल हैं।

कर्इ भारतीय प्रत्‍याशी कठिन लड़ाई में फंसे

ब्रिटिश फ्यूचर के निदेशक सुंदर कटवाला ने कहा, यह भी संभव है कि प्रत्येक 10 में से एक सांसद जातीय अल्पसंख्यक पृष्ठभूमि से हो। एक दशक पहले यह आंकड़ा 40 में एक था। चुनाव लड़ रहे अन्य भारतीय प्रत्याशी कठिन लड़ाई में फंसे हैं। इनमें सारा कुमार शामिल हैं जो लेबर पार्टी के प्रभुत्व वाले लंदन के वेस्ट हैम से किस्मत आजमा रही हैं। यही हाल कंजरवेटिव पार्टी के संजय सेन का है जो लेबर पार्टी के प्रभुत्व वाले वेल्स से किस्मत आजमा रहे हैं। अकाल सिद्धू, नरिंदर सिंह सेंखो, अंजना पटेल, सीमा शाह, पाम गोशाल बैंस, भूपेन दवे, जीत बैंस, कंवल तूर गिल, गुरजीत कौर बैंस और पवित्र कुमार मान भी कड़ी लड़ाई में फंसे हैं।

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