अब और ज्यादा पुख्ता होगी कांटैक्ट ट्रेसिंग एप की सुरक्षा, शोधकर्ताओं ने बनाया 'कोविड गार्जियन'

शोधकर्ताओं का कहना है कि तीन-चौथाई एप में कम से कम एक ऐसा ट्रैकर है जो फेसबुक एनालिटिक्स या गूगल फायरबेस जैसे तीसरे पक्ष को सूचनाएं देता है। यह शोधपत्र मई में आयोजित होने वाले इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑफ सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में पेश किया जाएगा।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 08:15 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 08:26 PM (IST)
अब और ज्यादा पुख्ता होगी कांटैक्ट ट्रेसिंग एप की सुरक्षा, शोधकर्ताओं ने बनाया 'कोविड गार्जियन'
कांटैक्ट ट्रेसिंग एप की सुरक्षा और निजता उल्लंघन के खतरे को पहचाना जा सकेगा

लंदन, आइएएनएस। कोरोना संक्रमण का प्रसार रोकने में कांटैक्ट ट्रेसिंग एक कारगर उपाय रहा है। इसके लिए कई एप बनाए गए। लेकिन इसके सुरक्षित होने या नहीं होने या फिर निजता के उल्लंघन को लेकर सवाल उठते रहे। इसी कारण लोग ऐसे एप का इस्तेमाल करने से हिचकिचाते रहे हैं। ऐसे में शोधकर्ताओं ने एक ऐसा टूल विकसित किया है, जिससे कांटैक्ट ट्रेसिंग एप की सुरक्षा और निजता उल्लंघन के खतरे को पहचाना जा सकेगा। इस टूल को 'कोविड गार्जियन' नाम दिया गया है। यह पहला ऑटोमेटेड टूल है, जिससे कि मालवेयर, ट्रैकर और निजता संबंधी सूचनाओं के लीक होने के खतरे का आकलन हो सकेगा।

लंदन की क्वींस मैरी यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने कोविड गार्जियन टूल के इस्तेमाल से दुनियाभर में प्रयुक्त 40 कोविड-19 कांटैक्ट ट्रेसिंग एप को सुरक्षा और निजता के पैमाने पर परखा है। उन्होंने पाया कि 72.5 फीसद एप में कम से कम एक असुरक्षित क्रिप्टोग्राफिक अल्गोरिद्म है। अल्गोरिदम्स ऐसी व्यवस्था है, जो आपकी पसंद को परख कर उसकी श्रृंखला पेश करने में सहायक होती है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि तीन-चौथाई एप में कम से कम एक ऐसा ट्रैकर है, जो फेसबुक एनालिटिक्स या गूगल फायरबेस जैसे तीसरे पक्ष को सूचनाएं देता है। यह शोधपत्र मई में आयोजित होने वाले इंटरनेशनल कांफ्रेंस ऑफ सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में पेश किया जाएगा।

यूजर की सुरक्षा और निजता का रखा गया पूरा ध्यान

क्वींस मैरी यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ प्राध्यापक गारेथ टायसन का मानना है कि महामारी की भयावहता को देखते हुए कांटैक्ट ट्रेसिंग की एप की मदद से उस पर नियंत्रण पाने की सख्त जरूरत थी। लेकिन हमने पाया कि दुनियाभर में प्रयुक्त एप में सुरक्षा की खामी थी। कुछ में सुरक्षा खतरे एक जैसे थे, जो पुराने क्रिप्टोग्राफिक अल्गोरिदम्स और संवेदनशील सूचनाओं को प्लेन टेक्स्ट फार्मेट में स्टोर किए जाने से जुड़े थे। प्लेन टेक्स्ट फार्मेट में एकत्रित सूचनाओं को संभावित हमलावर आसानी से पढ़ सकता है। लेकिन कोविड गार्जियन टूल के इस्तेमाल से एप डेवलपर अपने एप की कमजोरियां की पहचान कर उसे ठीक कर सकते हैं। इसके आधार पर एप के इस्तेमाल संबंधी गाइडलाइन बनाकर यूजर की सुरक्षा और निजता बनाई रखी जा सकती है।

सर्वे के जरिये पता की यूजरों की परेशानी

शोधकर्ताओं ने अपने इस काम के लिए 370 लोगों का सर्वे कर यह जानने की कोशिश की कि कांटैक्ट ट्रेसिंग एप के इस्तेमाल को लेकर उनकी क्या चिंताएं हैं। इस सर्वे में यह बात प्रमुखता से सामने आई कि कांटैक्ट ट्रेसिंग एप के इस्तेमाल में उसकी सटीकता और अपनी निजता को लेकर हिचक बनी रही। इसी के आधार पर बनी अवधारणा से लोग तय करते रहे हैं कि कांटैक्ट ट्रेसिंग एप का इस्तेमाल करना है या नहीं।

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