अगली महामारी के कोरोना से भी अधिक घातक होने के आसार, आक्सफोर्ड ने दी चेतावनी

भविष्य की महामारियां कोरोना से भी अधिक घातक हो सकती हैं। हमें इस बीमारी के प्रकोप से सीखे गए सबक को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। यह बात आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन विकसित करने वाली टीम में शामिल विज्ञानी साराह गिल्बर्ट ने कही।

By Arun Kumar SinghEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 08:13 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 10:44 PM (IST)
अगली महामारी के कोरोना से भी अधिक घातक होने के आसार, आक्सफोर्ड ने दी चेतावनी
भविष्य की महामारियां कोरोना से भी अधिक घातक हो सकती हैं।

 लंदन, रायटर। भविष्य की महामारियां कोरोना से भी अधिक घातक हो सकती हैं। हमें इस बीमारी के प्रकोप से सीखे गए सबक को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए। विश्व को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह अगले वायरल हमले के लिए तैयार है। यह बात आक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन विकसित करने वाली टीम में शामिल विज्ञानी साराह गिल्बर्ट ने कही। इतना ही नहीं, ओमिक्रॉन वैरिएंट का प्रभाव इतना अधिक हो सकता है कि कोरोना के टीके भी इस पर कम प्रभावी हो सकते हैं। जान्स हापकिन्स यूनिवर्सिटी के अनुसार, कोरोना वायरस ने विश्वभर में 52.6 लाख से अधिक लोगों की जान ली है। खरबों रुपये का आर्थिक उत्पादन चौपट हुआ और अरबों लोगों की जिंदगी अस्तव्यस्त हो गई।

साराह गिल्बर्ट ने भावी संकटों के लिए तैयार रहने को कहा

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, रिचर्ड डिम्बेल्बी लेक्चर में सारा गिल्बर्ट ने कहा कि सच्चाई यह है कि अगला वायरस बदतर हो सकता है। यह अधिक संक्रामक या अधिक घातक, या दोनों हो सकता है। यह आखिरी बार नहीं होगा जब कोई वायरस हमारे जीवन और हमारी आजीविका के लिए खतरा बने।आक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में वैक्सीनोलाजी की प्रोफेसर गिल्बर्ट ने कहा कि विश्व को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह अगले वायरस के लिए बेहतर तरीके से तैयार हो। हमने जो प्रगति की और जो ज्ञान प्राप्त किया है, उसे खोना नहीं चाहिए।

महामारी की जांच करने की अधिक क्षमता का आह्वान किया

स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना महामारी को खत्म करने के हमारे प्रयास असमान और आधे-अधूरे रहे हैं। कम आय वाले देशों में टीकों तक लोगों पहुंच सीमित रही है। जबकि अमीर देशों में स्वस्थ और धनी लोगों को बूस्टर भी दिए जा रहे हैं। सार्स-सोओवी-2 महामारी से निपटने की समीक्षा के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा स्थापित स्वास्थ्य विशेषज्ञों के एक पैनल ने स्थायी वित्त पोषण और एक नई संधि के माध्यम से महामारी की जांच करने की अधिक क्षमता का आह्वान किया है।

नए वैर‍िएंट के प्रसार को धीमा करने के लिए कदम उठाने होंगे

एक प्रस्ताव के अनुसार महामारी की तैयारियों के लिए प्रति वर्ष कम से कम 10 अरब डालर (753 अरब रुपये) के नए वित्तपोषण की मांग रखी गई है। कोरोना का प्रकोप पहली बार 2019 के अंत में चीन में पाया गया था। रिकार्ड समय में वायरस के खिलाफ टीके विकसित किए गए थे। गिल्बर्ट ने कहा कि ओमिक्रोन वैरिएंट के स्पाइक प्रोटीन में ऐसे म्यूटेशन होते हैं जो वायरस की ट्रांसमिसिबिलिटी बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं। गिल्बर्ट ने कहा कि ये ऐसे अतिरिक्त बदलाव हैं जो टीकों से बनी एंटीबाडी की संख्या घटा सकते हैं या संक्रमण से लड़ने की उसकी क्षमता को कम कर सकते हैं। इस बारे में जब तक हम और अधिक नहीं जानते, हमें सतर्क रहना चाहिए और इस नए वैर‍िएंट के प्रसार को धीमा करने के लिए कदम उठाने चाहिए।

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