कोरोना के इलाज के लिए नया एआइ टूल, अस्पताल में अतिरिक्त आक्सीजन की जरूरत का बताएगा पुर्वानुमान
शोधकर्ताओं ने बताया कि रोगियों की गोपनीयता बनाए रखने के लिए डाटा को पूर्णत अनाम रखते हुए अल्गोरिदम को हर अस्पताल में भेजा गया। एक बार जब अल्गोरिदम- डाटा से लर्न कर कर लिए जाने के बाद एआइ टूल बनाने के लिए विश्लेषण को मिलाया गया।
लंदन, प्रेट्र। शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने ऐसा आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI) टूल विकसित किया है, जिससे यह पूर्वानुमान लगाया जा सकेगा कि कोरोना रोगियों को अस्पताल में कितनी मात्रा में अतिरिक्त आक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है। इस टूल की सटीकता परखने के लिए इसे दुनियाभर में कई अस्पतालों में परखा गया है। अस्पतालों के आपात विभाग में रोगियों के दाखिल होने के बाद 24 घंटे में उन्हें आक्सीजन की होने वाली जरूरत का 95 फीसद सही अंदाजा लगा और कुछेक विशिष्ट मामलों में यह सटीकता 88 फीसद तक पाई गई। करीब 10 रोगियों पर किए गए इस अध्ययन का विश्लेषण निष्कर्ष गुरुवार को नेचर मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुआ।
इस तकनीक को फेडरेटेड लर्निग नाम दिया गया है। इसमें कोरोना के लक्षणों वाले रोगियों के सीने का एक्स-रे तथा इलेक्ट्रानिक हेल्थ डाटा के विश्लेषण के लिए एक अल्गोरिदम का इस्तेमाल किया गया है।
फेडरेटेड लर्निग में क्लिनिकल वर्कफ्लो के लिए एआइ है नवोन्मेष का ट्रांसफारमेटिव पावर
शोधकर्ताओं ने बताया कि रोगियों की गोपनीयता बनाए रखने के लिए डाटा को पूर्णत: अनाम रखते हुए अल्गोरिदम को हर अस्पताल में भेजा गया। एक बार जब अल्गोरिदम- डाटा से लर्न कर कर लिए जाने के बाद एआइ टूल बनाने के लिए विश्लेषण को मिलाया गया। यूके में यूनिवर्सिटी आफ कैंब्रिज के प्रोफेसर और इस अध्ययन के मुख्य लेखक प्रोफेसर फियोना गिलबर्ट ने बताया कि फेडरेटेड लर्निग में क्लिनिकल वर्कफ्लो के लिए एआइ नवोन्मेष का ट्रांसफारमेटिव पावर है।
अध्ययन के एक अन्य लेखक दत्तई दयान ने बताया कि जब किसी एक अस्पताल के डाटा पर अल्गोरिदम विकसित किया जाता है तो वह दूसरे अस्पताल में काम नहीं करता है। इसलिए जब इसे दुनियाभर में फैले अस्पतालों से हासिल डाटा के आधार पर सामान्यीकृत माडल तैयार किया गया है तो इसे कहीं भी इस्तेमाल किया जा सकता है।