ब्रिटेन में भारतीय छात्रों का डंका, कमाई में भी भारतीय पेशेवरों ने बनाई बढ़त, रिपोर्ट में सामने आए तथ्य

ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय छात्र प्रतिभाशाली होते हैं और वे जल्द ही उच्च आय वाले समूह में शामिल हो जाते हैं। यह बात प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा कराई गई समीक्षा में सामने आई है। इस रिपोर्ट में कई दिलचस्‍प बातें सामने आई हैं...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 31 Mar 2021 11:09 PM (IST) Updated:Thu, 01 Apr 2021 12:31 AM (IST)
ब्रिटेन में भारतीय छात्रों का डंका, कमाई में भी भारतीय पेशेवरों ने बनाई बढ़त, रिपोर्ट में सामने आए तथ्य
ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय छात्र प्रतिभाशाली होते हैं। यह बात जॉनसन द्वारा कराई गई समीक्षा में सामने आई है।

लंदन, पीटीआइ। ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय छात्र प्रतिभाशाली होते हैं और वे जल्द ही उच्च आय वाले समूह में शामिल हो जाते हैं। यह बात प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन द्वारा कराई गई समीक्षा में सामने आई है। ब्रिटेन में नस्ली असमानता के आरोपों के बीच यह सरकारी रिपोर्ट सामने आई है। नस्ली और जातीय असमानता संबंधी आयोग की बुधवार को आई रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्गीय बदलाव नस्ली असमानता को धीरे-धीरे दूर कर देता है। वह जीवन जीने के अवसरों में भी बदलाव लाता है। ऐसा पूरे ब्रिटेन में महसूस किया जा रहा है।

रिपोर्ट में बीएएमई शब्द को चलन से बाहर करने की सिफारिश की गई है। इसका अर्थ- ब्लैक, एशियन एंड माइनॉरिटी एथनिक होता है। इनको ब्रिटिश इंडियन के नाम जैसी पहचान देने का सुझाव दिया गया है। आयोग ने कहा है कि शिक्षा के क्षेत्र में मिलने वाली सफलताओं को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए, चाहे छात्र समाज के किसी वर्ग से हों। उनकी सार्वजनिक प्रशंसा होनी चाहिए।

सफल छात्रों को पूरे यूनाइटेड किंगडम (यूके) के लिए उदाहरण के तौर पर पेश किया जाना चाहिए जिससे सभी वर्गो के छात्र उनसे प्रेरित हों। परीक्षा परिणाम बताते हैं कि ब्रिटेन में रहने वाले भारतीय, बांग्लादेशी और अश्वेत अफ्रीकी मूल के छात्र सामान्य ब्रिटिश श्वेत छात्रों से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। यह सिफारिश शिक्षा से जुड़े मामलों के सलाहकार डॉ. टोनी सिवेल की अध्यक्षता वाली आयोग की समिति ने की है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि आव्रजक आशावाद यह है कि अन्य देशों से आए लोग शिक्षा प्राप्ति में खुद को समर्पित कर देते हैं। शिक्षा के प्रति उनका समर्पण आम ब्रिटिश लोगों से ज्यादा होता है। इसके अच्छे परिणाम सामने आते हैं और धीरे-धीरे विदेश से आए लोगों की आर्थिक-सामाजिक स्थिति मजबूत होती जाती है।

जैसे-जैसे उनकी स्थिति मजबूत होती जाती है, वैसे-वैसे वे नस्ली असमानता की स्थितियों को लांघते चले जाते हैं। 258 पन्नों की इस रिपोर्ट में कई मामलों में शिक्षा विभाग से सिफारिश की गई है। रिपोर्ट में वर्ष 2019 का उदाहरण देकर बताया गया है कि किस प्रकार से आयरिश, चीनी और भारतीय मूल के लोगों की आय बढ़ रही है। 2019 में आम ब्रिटिश नागरिक से यह आय 2.3 प्रतिशत ज्यादा रही।

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