एक रिपोर्ट में हुआ खुलासा, ब्रिटेन में भारतवंशी बुजुर्ग पुरुषों को कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा
ब्रिटिश संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमंस में मंगलवार को पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि उम्र और लिंग बीमारी से जुड़े खतरे वाले कारकों में प्रमुख हैं।
लंदन, प्रेट्र। ब्रिटेन में रह रहे भारतवंशी बुजुर्ग पुरुषों को कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा है। ब्रिटिश सरकार की ओर से कराए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है।
ब्रिटिश संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमंस में मंगलवार को पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि उम्र और लिंग बीमारी से जुड़े खतरे वाले कारकों में प्रमुख हैं। 40 साल के लोगों के मुकाबले 80 या उससे अधिक उम्र के लोगों की मौत की आशंका 70 गुना ज्यादा है। इसके अलावा अश्वेत और एशियाई अल्पसंख्यक जातीय समूह के लोगों को श्वेत जातीय समूहों के मुकाबले खतरा ज्यादा है।
ब्रिटेन के स्वास्थ्य मंत्री मैट हैनकॉक ने संसद में कहा, 'इससे पता चलता है कि अश्वेत या अल्पसंख्यक समूह के लोगों को खतरा ज्यादा है। ये जानकारियां नस्ली असमानता, उम्र, सुविधाओं का अभाव, क्षेत्र व लिंग के प्रभाव का आकलन करने के बाद सामने आई हैं।' उन्होंने कहा, 'पीएचई के जातीयता विश्लेषण में एक साथ कई रोगों और मोटापे जैसे कारकों को शामिल नहीं किया गया है।'
पश्चिमी यूरोप में कम हो रहा कोरोना
बता दें कि पश्चिमी यूरोप में कोरोना का संक्रमण अब धीमा पड़ता दिखाई दे रहा है। पिछले चौबीस घंटों के दौरान स्पेन में कोरोना से एक भी व्यक्ति की मौत नहीं होने का समाचार है। हालांकि संक्रमण के 71 नए मामले सामने आए हैं। एक दिन यह संख्या 96 थी। इटली में भी लगातार कोरोना से होने वाली मौतों की संख्या में कमी आई है। हालांकि रूस और पूर्वी यूरोप में हालात अभी भी खराब है और इस पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने चिंता व्यक्त की है।
वही, अमेरिका में हुई एक नई रिसर्च में पता चला है कि मास्क पहनने और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने से कोरोना वायरस को फैलने से कारगर तरीके से रोका जा सकता है, हालांकि बार-बार हाथों को धोने जैसे कदम से भी थोड़ी मदद मिलती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना से बचाव में एन-95 मास्क सबसे कारगर साबित हो सकता है जबकि कपड़े की एक परत के मास्क के मुकाबले सर्जिकल मास्क बेहतर काम करते हैं।