अफगानिस्तान में क्षेत्रीय सहयोगी के रूप में भारत की भूमिका का हो सकता है सकारात्मक प्रभाव : अमेरिका
अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि भारत की एक प्रमुख क्षेत्रीय खिलाड़ी और अमेरिका के सहयोगी के रूप में अफगानिस्तान में बड़ी भूमिका हो सकती है। भारत का अफगानिस्तान में भारी निवेश के कारण तालिबान के नियंत्रण वाले देश में भविष्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
लंदन, प्रेट्र। अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि भारत की एक प्रमुख क्षेत्रीय खिलाड़ी और अमेरिका के सहयोगी के रूप में अफगानिस्तान में बड़ी भूमिका हो सकती है। भारत का अफगानिस्तान में भारी निवेश के कारण तालिबान के नियंत्रण वाले देश में भविष्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इस हफ्ते 9/11 के आतंकी हमलों की 20वीं बरसी से पहले एक साक्षात्कार में जेड तरार ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के संदेश को दोहराया कि अमेरिका ने 11 सितंबर 2001 के हमलों के पीछे अफगानिस्तान में युद्ध ने अल कायदा के आतंकी नेटवर्क को खत्म करने के लिए अपने केंद्रीय मिशन को हासिल कर लिया है। अब अमेरिका का ध्यान भारत जैसे समान विचारधारा वाले भागीदारों और लोकतंत्रों के साथ काम करने पर है, ताकि अफगानिस्तान के लोगों का समर्थन करने के अगले अध्याय की ओर देखा जा सके।
अमेरिकी विदेश विभाग के लंदन स्थित हिंदू/उर्दू प्रवक्ता तरार ने कहा कि एक क्षेत्रीय सहयोगी होने के नाते भारत को एक भूमिका निभानी है। अफगानिस्तान के भविष्य पर मानवीय भूमिका और निवेश के रूप में सकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के एक निर्वाचित सदस्य के रूप में भारत की एक भूमिका है। हम इस मुद्दे पर न्यूयॉर्क, नई दिल्ली और वाशिंगटन में भारत के साथ गहन विचार-विमर्श कर रहे हैं। अफगानिस्तान की राजधानी काबुल से हवाई मार्ग के जरिए एक लाख से अधिक लोगों को अभूतपूर्व तरीके से एयर लिफ्ट कर निकालने के बाद अमेरिकी सेना ने 31 अगस्त की समय सीमा से पहले अफगानिस्तान से अपनी वापसी पूरी कर ली।
वापसी के समय और तरीके पर सवाल उठाने वाली कुछ अंतरराष्ट्रीय आवाजों पर तरार ने स्पष्ट किया कि यह अमेरिका के लिए युद्ध समाप्त करने का समय था। उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि हमें जो स्पष्ट होना चाहिए, वह यह है कि संयुक्त राज्य अमेरिका का अफगानिस्तान में एक उद्देश्य था और वह अल कायदा को खत्म करना था। हमने उस उद्देश्य को कई साल पहले पूरा कर लिया है। हमने पिछले 20 वर्षों में एक ट्रिलियन डॉलर से अधिक की लागत से सैकड़ों हजारों अफगान बलों को प्रशिक्षित किया है। यह अब अफगानिस्तान में युद्ध को समाप्त करने और देश से अमेरिका और सहयोगी बलों को हटाने का समय था।
उन्होंने कहा कि जैसा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा है, ऐसा करने के लिए एक सही समय कभी नहीं होने वाला था। हमारे पास जमीन पर कभी भी सही स्थिति नहीं होने वाली थी। उन्होंने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने व्हाइट हाउस में अगले पदाधिकारी को युद्ध नहीं सौंपने के लिए दृढ़ संकल्प किया था।