कांटेक्ट लेंस पहनने वालों के लिए खतरा, संक्रमण से हो सकता है अंधेपन का खतरा

एकांथामोइवा केराइटिस नामक इस संक्रमण के कारण कार्निया में दर्द और जलन होता है। यह संक्रमण एकांथामोइवा नाम के सूक्ष्मजीव के कारण फैलता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Mon, 24 Sep 2018 10:23 AM (IST) Updated:Mon, 24 Sep 2018 10:32 AM (IST)
कांटेक्ट लेंस पहनने वालों के लिए खतरा, संक्रमण से हो सकता है अंधेपन का खतरा
कांटेक्ट लेंस पहनने वालों के लिए खतरा, संक्रमण से हो सकता है अंधेपन का खतरा

लंदन [प्रेट्र]। यदि आप दोबारा इस्तेमाल किए जाने वाले कांटेक्ट लेंस पहनते हैं तो आपको सावधान रहना चाहिए। दरअसल, ब्रिटेन में कांटेक्ट लेंस पहनने वालों में एक ऐसे संक्रमण की पहचान की गई है, जिससे व्यक्ति अंधेपन का भी शिकार हो सकता है। एकांथामोइवा केराइटिस नामक इस संक्रमण के कारण कार्निया में दर्द और जलन होता है। यह संक्रमण एकांथामोइवा नाम के सूक्ष्मजीव के कारण फैलता है।

देखने की क्षमता 25 फीसद से भी कम हो जाती है

इससे बुरी तरह प्रभावित मरीज के देखने की क्षमता 25 फीसद से भी कम हो जाती है और वह पूरी तरह अंधा भी हो सकता है। इस बीमारी का इलाज संभव है। इससे प्रभावित 25 फीसद को इलाज के लिए कार्निया का प्रत्यारोपण कराना होता है।

क्या कहते हैं आंकड़े

शोध के दौरान इस संक्रमण में बढ़ोतरी देखी गई। शोधकर्ताओं के अनुसार, दक्षिण पूर्व इंग्लैंड में हर साल कांटैक्ट लेंस पहनने वाले एक लाख में से दो से अधिक इससे प्रभावित होते हैं। यह आंकड़ा भले ही कम है, लेकिन लेंस पहनने वालों को इसके खतरे से सावधान रहना चाहिए। अन्य लोग भी इस संक्रमण से ग्रसित हो सकते हैं।

यह दी सलाह

वैज्ञानिकों के अनुसार, कांटेक्ट लेंस के लिए इस्तेमाल होने वाले घोल के कारण लेंस दूषित हो जाता है। इससे बचने के लिए हाथ अच्छी तरह धोकर सुखाने के बाद ही लेंस छूना चाहिए। 

अब बार-बार आंखों में लेंस लगाने से मिलेगी मुक्‍ति, हट जाएगा चश्मा
इस खूबसूरत दुनिया को देखने का एकमात्र जरिया आंखें ही हैं। इसलिए शरीर के इस नाजुक अंग को सहेजकर रखना बहुत जरूरी है। अस्वस्थ जीवनशैली व खानपान के चलते लोगों की आंखों की रोशनी कम हो रही है, जिसे चश्मे या कांटेक्ट लेंस के जरिए ठीक कर लिया जाता है। रोज-रोज चश्मे व लैंस के झंझट से बचने के लिए आमतौर पर लोग लेसिक सर्जरी भी करवाते हैं, लेकिन इस क्रम में सवाल यह उठता है कि जिन लोगों की सर्जरी नहीं हो सकती और वह चश्मा भी नहीं लगाना चाहते, तो उनके लिए क्या विकल्प है?

गौरतलब है कि अगर आपकी आंखों का कॉर्निया (आंखों की काली पुतली) बहुत पतला है, आंखों का नंबर लगभग माइनस 10 या इससे ज्यादा है, आंखें ड्राई रहती है या कोई अन्य समस्या है तो इस कारण आपकी लेजर सर्जरी संभव नहीं है। ऐसी स्थिति में आपके लिए इंप्लांटेबल कांटेक्ट लेंस (आईसीएल) बेहतर विकल्प हो सकता है।

क्या है आईसीएल
आईसीएल बहुत पतला लेंस होता है जिसे आंख की पुतली के पीछे प्राकृतिक लेंस के आगे लगाया जाता है। इसलिए यह कांटेक्ट लेंस की तरह दिखाई नहीं देता लेकिन यह काम बिल्कुल कॉन्टैक्ट लेंस की तरह ही करता है। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसमें आंखों के अंदरूनी भाग में कोई छेड़छाड नहीं की जाती। लगभग 20 से अधिक उम्र वाले लोग आईसीएल लगवा सकते हैं।

प्रक्रिया का समय
यह बहुत ही सामान्य प्रक्रिया है जिसे पूरा करने में करीब लगभग 20 मिनट लगता है, किंतु इसमें एक समय में एक आंख में ही लेंस लगाया जाता है। दूसरी आंख की प्रक्रिया करने के लिए कम से कम दो दिन का अंतराल होना जरूरी है। आईसीएल के बाद मरीज उसी दिन घर जा सकते हैं और करीब तीन से चार दिन में वे सामान्य रूटीन में आ सकते है।

हटवा सकते हैं कभी भी
वैसे तो आईसीएल एक बार लगवाने के बाद इसे बार-बार बदलने की जरूरत नहीं पड़ती लेकिन अगर व्यक्ति इसे हटवाना चाहते हैं, तो वह इसे कभी भी हटवा सकते हैं। जिन रोगियों को उम्र के साथ मोतियाबिंद की समस्या हो जाती है तो मोतियाबिंद के इलाज में इसे हटा दिया जाता है क्योंकि अब मोतियाबिंद के लेंस में ही पॉवर का नंबर भी होता है।

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