ब्रेक्जिट समझौता तो़ड़ने पर ब्रिटेन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा यूरोपीय यूनियन

पूर्व में हुए ब्रेक्जिट समझौते के अनुसार दोनों पक्षों को 31 दिसंबर 2020 से पहले व्यापार समझौता करना था। लेकिन ब्रिटेन ने व्यापार समझौते के लिए वार्ता के दौरान यूरोपीय यूनियन पर दबाव बनाने का आरोप लगाया ।

By Dhyanendra SinghEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 07:34 PM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 07:34 PM (IST)
ब्रेक्जिट समझौता तो़ड़ने पर ब्रिटेन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगा यूरोपीय यूनियन
ईयू ने ब्रेक्जिट की शर्तो को लेकर ब्रिटेन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।

ब्रसेल्स, एजेंसी। ब्रिटेन के ब्रेक्जिट समझौते से एकतरफा पीछे हट जाने से नाराज यूरोपीय यूनियन (EU) ने गुरुवार को उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू कर दी। ईयू ने कहा है कि 31 जनवरी को समूह से अलग होने के लिए ब्रिटेन ने समझौता किया था। यह समझौता दोनों पक्षों के लिए बाध्यकारी था। लेकिन कुछ हफ्ते पहले यूके इंटर्नल बिल नाम का कानून बनाकर ब्रिटेन ने वह समझौता तोड़ दिया है। यह विश्वास को तोड़ने का मामला है। यूरोपीय यूनियन और ब्रिटेन के संबंध अब अपने सबसे खराब दौर में पहुंच रहे हैं। ईयू ने ब्रेक्जिट (अलगाव) की शर्तो को लेकर ब्रिटेन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।

पूर्व में हुए ब्रेक्जिट समझौते के अनुसार दोनों पक्षों को 31 दिसंबर, 2020 से पहले व्यापार समझौता करना था। लेकिन ब्रिटेन ने व्यापार समझौते के लिए वार्ता के दौरान ईयू पर दबाव बनाने का आरोप लगाया। कहा कि व्यापार समझौते के लिए ईयू की शर्ते मान लेने पर ब्रिटेन और आयरलैंड के हितों पर भारी चोट पड़ेगी। ब्रिटेन ईयू के सदस्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता करना चाहता है, जिसके लिए ईयू तैयार नहीं है। इसी के बाद बोरिस जॉनसन सरकार संसद में यूके इंटर्नल मार्केट बिल लेकर आई और उसे पारित करा लिया। इस पूरी प्रक्रिया से ईयू अवाक रह गया।

ब्रिटेन की योजना ब्रेक्जिट समझौते के भरोसे को तोड़ने वाली

यूरोपीय कमीशन की राष्ट्रपति उर्सला वॉन डेर लियेन ने कहा है कि ब्रिटेन की योजना ब्रेक्जिट समझौते के भरोसे को तोड़ने वाली है। अगर यह लागू की गई तो तमाम तरह के विरोधाभास खड़े हो जाएंगे। ब्रिटेन के नए बिल को लेकर माना जा रहा था कि अंतरराष्ट्रीय कानून के उल्लंघन के कारण विपक्षी लेबर पार्टी सरकार का साथ नहीं देगी, लेकिन वैसा नहीं हुआ। सरकार आसानी से संसद में बिल पारित कराने में सफल रही। इसी के बाद ईयू ने कानूनी कार्रवाई का फैसला किया। 

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