मनुष्यों को आकर्षित करने के लिए कुत्तों ने आंखों व भौहों को किया विकसित
मनुष्यों से संवाद कायम करने के लिए कुत्तों ने खुद को तो ढाला ही साथ ही अपने चेहरे की मांसपेशियों जैसे भौहों और आंखों को भी वैसा ही बना लिया है।
लंदन, प्रेट्र। मनुष्यों के प्रति वफादार और समझदार कहे जाने वाले जानवर कुत्तों की आंखों को कभी ध्यान से देखा होगा तब आप स्पष्ट तौर पर कहेंगे कि उनकी आंखें बोलती हुईं प्रतीत होती हैं। जी हां, एक अध्ययन का दावा है कि मनुष्यों से संवाद कायम करने के लिए हजारों साल में कुत्तों ने अपने चेहरे की मांसपेशियों को विकसित किया है जिसमें सबसे अधिक आंखों के ऊपरी हिस्से की मांसपेशी है।
प्रोसीडिंग्स ऑफ नेशनल अकेडमी ऑफ साइसेंस (PNAS) में प्रकाशित अध्ययन कुत्तों और भेड़ियों के शारीरिक संरचना और व्यवहार की तुलना करने वाला पहला विस्तृत विश्लेषण है। अध्ययन के अनुसार, मनुष्यों के बीच रहने और उनसे संवाद करने के लिए कुत्तों ने अपनी भौंहों को विकसित किया है।
ब्रिटेन में यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि दोनों प्रजातियों की आंखों को छोड़कर उनके चेहरों की मांसपेशियों की बनावट समान है। कुत्तों की एक छोटी मांसपेशी है जिसकी मदद से वे अपनी भौंहों के अंदर के हिस्से को ऊपर उठा सकते हैं जो भेड़िये नहीं कर सकते हैं। अनुसंधानकर्ताओं का मानना है कि कुत्तों का इस तरह भौंहे उठाने से उनकी आंखें बड़ी प्रतीत होती हैं, वे शिशुओं जैसी लगती हैं और उदास मनुष्य की आंखों जैसी प्रतीत होती है।
यूनिवर्सिटी ऑफ पोर्ट्समाउथ की जुलियाने कामिंस्की ने बताया कि इस बात के सबूत मिले हैं कि कुत्तों ने भौंहों के अंदरूनी हिस्सों को उठाने के लिए पिछले हजारों वर्षों में एक खास मांसपेशी विकसित की है। उन्होंने कहा, ‘हमने कुत्तों और भेड़ियों के व्यवहार का भी अध्ययन किया है, जब दोनों को दो मिनट के लिए मनुष्य के पास रखा गया तो कुत्तों ने अपनी भौंहों के अंदरूनी हिस्सों को भेड़ियों की तुलना में अधिक जल्दी हिलाया।’ उन्होंने आगे कहा कि ऐसा लगता है कि जब कुत्ते इस प्रकार भौंहें हिलाते हैं तो मनुष्यों में उनकी देखभाल करने की प्रबल इच्छा पैदा होती हैं।
इस अध्ययन में कुत्तों की एकमात्र प्रजाति साइबेरियन हस्की नहीं शामिल है जो अन्य प्राचीन कुत्तों की प्रजाति से भिन्न है क्योंकि इसमें वह मांसपेशी है ही नहीं।
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