जलवायु परिवर्तन से बढ़ेगा बाढ़ का खतरा, तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो भुगतने पड़ सकते हैं गंभीर परिणाम
न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के जलवायु विशेषज्ञों के साथ एक अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ता दल ने यह निष्कर्ष निकाला है कि यदि वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी इसी तरह जारी रहती है तो धरती के कई क्षेत्र भारी बारिश और बाढ़ का सामना करेंगे।
लंदन, एएनआइ। वर्तमान में हमारी धरती कई समस्याओं से जूझ रही है और उनमें से एक गंभीर संकट है जलवायु परिवर्तन। इस संकट से निपटने के लिए वैश्विक स्तर पर कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन वे पर्याप्त साबित नहीं हो रहे। इसी कड़ी में जलवायु विशेषज्ञों ने एक नवीन अध्ययन के आधार पर चेतावनी दी है कि यदि इसे रोकने के लिए तत्काल कदम नहीं उठाए गए तो कई गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं।
अध्ययन के आधार पर शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि यदि जलवायु परिवर्तन यूं ही जारी रहा तो भारी बारिश होगी, जिसके परिणाम स्वरूप भीषण बाढ़ का सामना करना पड़ेगा।
न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के जलवायु विशेषज्ञों के साथ एक अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ता दल ने यह निष्कर्ष निकाला है कि यदि वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी इसी तरह जारी रहती है तो धरती के कई क्षेत्र भारी बारिश और बाढ़ का सामना करेंगे। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि हम वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित कर लेते हैं तो कुछ हद तक तेज बारिश के संकट को रोकने में कामयाब हो सकते हैं। हालांकि, उनका कहना है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि को सीमित रखने के लिए अभी भी सामाजिक स्तर पर कई कदम उठाए जाने की जरूरत है।
इस तरह किया अध्ययन
जलवायु परिवर्तन में बदलाव का पता लगाने के लिए न्यूकैसल यूनिवर्सिटी, द यूनिवर्सिटी आफ ईस्ट एंग्लिया (यूईए), टिंडल सेंटर फार क्लाइमेट चेंज रिसर्च और ब्राजील के साओ पाउलो स्थित आइएनपीई के विज्ञानियों ने 170 अध्ययनों का विश्लेषण किया। इसके आधार पर प्राप्त निष्कर्ष सोमवार को साइंस ब्रीफ रिव्यू में प्रकाशित किया गया है।
यह आया सामने
विशेषज्ञों ने अपने अध्ययन के आधार पर बताया कि दुनिया के कई हिस्सों के छोटे और शहरी क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा से बाढ़ आने की आशंका बढ़ गई है और उनकी भयावहता, स्थानीय आबादी और बुनियादी ढांचे को गंभीर रूप से प्रभावित कर रही है। वहीं, अगर ग्रामीण क्षेत्रों की बात करें तो यहां बाढ़ कई अलग-अलग कारकों पर निर्भर करती है। यहां बाढ़ का अत्यधिक वर्षा की घटनाओं से सीधा संबंध नहीं है। विश्लेषण से यह भी पता चलता है कि 20वीं सदी और 21वीं सदी के शुरुआती वर्षो में वैश्विक और महाद्वीपीय स्तर पर रोजाना होने वाली भारी बारिश में वृद्धि दर्ज की गई। विशेषज्ञों ने इसके पीछे की वजह पर भी प्रकाश डाला है। उन्होंने कहा है कि जलवायु परिवर्तन के इस संकट के लिए मानवीय गतिविधियां ही जिम्मेदार हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, अध्ययन से पता चला है कि हाल के दशकों में शहरी क्षेत्रों में अचानक बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। साथ ही विशेषज्ञों ने यह चेतावनी भी दी है कि यदि जल्द हालात नहीं संभले तो ऐसे खतरे और बढ़ जाएंगे।
इस तरह बढ़ेगा संकट
यह अध्ययन न्यूकैसल यूनिवर्सिटी के स्कूल आफ इंजीनियरिंग के डा. स्टीफन ब्लेंकिंसोप के नेतृत्व में किया गया है। उनका कहना है कि ग्लोबल वाìमग का मतलब है कि वातावरण अधिक नमी धारण कर सकता है और तूफान के व्यवहार के तरीके को भी बदल सकता है। यदि भारी बारिश होती है और ऐसा कई बार होने लगता है तो इससे कई इलाकों में बाढ़ की आशंका में इजाफा हो जाएगा।