कार्बन उत्सर्जन : ग्लासगो में भारत बना अगुआ, ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले चीन और अमेरिका ने खींचे पांव

कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए भारत की मौजदूगी वाले देशों के समूह शहरों और कार निर्माताओं ने 2040 तक पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कारों और अन्य वाहनों का निर्माण बंद करने का संकल्प लिया है।

By TaniskEdited By: Publish:Wed, 10 Nov 2021 09:50 PM (IST) Updated:Wed, 10 Nov 2021 09:50 PM (IST)
कार्बन उत्सर्जन : ग्लासगो में भारत बना अगुआ, ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले चीन और अमेरिका ने खींचे पांव
भारत ने 2040 तक प्रदूषणकारी वाहनों से मुक्ति का संकल्प लिया।

ग्लासगो, रायटर। कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए भारत की मौजदूगी वाले देशों के समूह, शहरों और कार निर्माताओं ने 2040 तक पेट्रोल और डीजल से चलने वाली कारों और अन्य वाहनों का निर्माण बंद करने का संकल्प लिया है। लेकिन दो सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनियों- टोयोटा मोटर कार्प और फाक्सवैगन एजी ने इस संकल्प पत्र पर दस्तखत नहीं किए हैं। इसी तरह सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलाने के लिए जिम्मेदार चीन और अमेरिका इस संकल्प से फिलहाल दूर हैं। ये दोनों देश दुनिया के सबसे बड़े कार बाजार भी हैं, इनके साथ जर्मनी ने भी संकल्प पत्र पर दस्तखत नहीं किए हैं। उल्लेखनीय है कि अमेरिका, चीन और जर्मनी दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाएं हैं।

कार और वैन से निकलने वाले हानिकारक धुएं से दुनिया को मुक्त बनाने में ग्लासगो घोषणा पत्र अहम भूमिका अदा कर सकता है। स्काटलैंड के ग्लासगो शहर में पर्यावरण सुधार की लगातार चर्चा के बाद ज्यादा कार्बन उत्सर्जन करने वाले वाहनों को सड़कों से हटाने और कम कार्बन उत्सर्जन वाले वाहनों की संख्या बढ़ाने पर सहमति बनी। इस प्रक्रिया में 2035 में शून्य कार्बन उत्सर्जन वाले वाहनों का बाजार में प्रभुत्व स्थापित हो जाएगा।

संकल्प पत्र पर बड़ी कार निर्माता कंपनी फोर्ड और जनरल मोटर्स ने दस्तखत किए हैं। इनके अतिरिक्त वाहन निर्माता कंपनी वोल्वो, मर्सिडीज बेंज, चीन की वीआइडी कंपनी लिमिटेड और टाटा समूह की जगुआर लैंड रोवर ने 2040 तक कार्बन उत्सर्जन कम करने का संकल्प लिया है। दुनिया में प्रदूषण फैलाने वाले तीसरे सबसे प्रमुख देश भारत ने भी संकल्प पत्र पर दस्तखत कर दिए हैं।

उबर ने भी संकल्प पत्र पर दस्तखत किए

दुनिया के दूसरी सबसे ज्यादा आबादी वाले भारत में बड़ी संख्या में कार और वैन खरीदी जाती हैं। प्रमुख संकल्पकर्ताओं में लीजप्लान कंपनी भी शामिल है। यह कंपनी 30 देशों में कार्पोरेट सेक्टर को करीब 17 लाख वाहनों की सेवा देती है। संकल्प पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले अन्य प्रमुख देशों में ब्रिटेन, पोलैंड, न्यूजीलैंड आदि हैं। दक्षिण कोरिया की राजधानी सियोल और ब्राजील के साओ पाउलो शहर ने प्रदूषण के खात्मे का संकल्प लिया है। दुनिया के तमाम देशों में कार यात्रा की सुविधा मुहैया कराने वाली कंपनी उबर ने भी संकल्प पत्र पर दस्तखत किए हैं।

पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम करके ही हम उनका इस्तेमाल रोक सकते हैं

ग्रीनपीस जर्मनी के कार्यकारी निदेशक मार्टिन कैसर के अनुसार संकल्प पत्र पर बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों और उत्पादकों का दस्तखत न करना गंभीर चिंता का विषय है। पेट्रोल-डीजल पर निर्भरता कम करके ही हम उनका इस्तेमाल रोक सकते हैं। एक जर्मन पर्यावरणविद के मुताबिक जर्मन सरकार के संकल्प पत्र पर दस्तखत न करने की वजह देश में पर्यावरण सुधार के उपायों पर एकराय न होना है। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी के मुताबिक कार, ट्रक, बस, पानी के जहाजों और विमानों से दुनिया का 25 प्रतिशत कार्बन उत्सर्जन होता है। इसमें ज्यादा हिस्सा सड़क पर चलने वाले वाहनों का है।

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