ब्रिटेन: रुलदा सिंह की हत्या में गिरफ्तार 3 सिख हुए बरी, RSS नेता की हत्या में शामिल होने का है आरोप

ब्रिटेन की अदालत ने 12 साल पहले भारत के पटियाला में संघ कार्यकर्ता रुलदा सिंह की हत्या के मामले में ब्रिटेन में गिरफ्तार तीन ब्रिटिश सिखों को बरी कर दिया। अपर्याप्त सुबूतों के कारण उन्हें प्रत्यर्पित करने की भारत की अपील खारिज कर दी।

By Shashank PandeyEdited By: Publish:Thu, 23 Sep 2021 08:50 AM (IST) Updated:Thu, 23 Sep 2021 08:50 AM (IST)
ब्रिटेन: रुलदा सिंह की हत्या में गिरफ्तार 3 सिख हुए बरी, RSS नेता की हत्या में शामिल होने का है आरोप
पटियाला में 2009 में हुई थी संघ कार्यकर्ता रुलदा सिंह की हत्या।(फोटो: anglo-asian.org)

लंदन, प्रेट्र। ब्रिटेन की एक अदालत ने 12 साल पहले भारत के पटियाला शहर में संघ कार्यकर्ता रुलदा सिंह की हत्या के मामले में ब्रिटेन में गिरफ्तार तीन ब्रिटिश सिखों को बुधवार को बरी कर दिया और अपर्याप्त सुबूतों के कारण उन्हें प्रत्यर्पित करने की भारत की अपील खारिज कर दी। पियारा सिंह गिल, अमृतवीर सिंह वाहीवाला और गुरशरणवीर सिंह वाहीवाला की गिरफ्तारी पिछले साल दिसंबर में वेस्ट मिडलैंड्स पुलिस ने भारतीय प्रत्यर्पण वारंट के आधार की थी।उन्हें 2009 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक कार्यकर्ता रुलदा सिंह की हत्या के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। रुलदा सिंह पर पटियाला में गोलियां बरसाई गई थीं। हमले में बुरी तरह घायल होने के एक हफ्ते बाद उनकी मौत हो गई थी।

डिस्टि्रक्ट जज माइकल स्नो ने बुधवार को लंदन में वेस्टमिन्स्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में अपील पर सुनवाई की और उन्हें बरी करने का फैसला सुनाया।ब्रिटेन की क्राउन प्रासिक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने कहा कि आरोपियों को बरी कर दिया गया है। भारत सरकार ने अभी तक अपना प्रत्यर्पण आवेदन खारिज होने पर कोई टिप्पणी नहीं की है। इन तीनों सिखों को वेस्ट मिडलैंड्स थ्री के नाम से जाना जाने लगा था।

बुधवार को उनके समर्थन में अदालत के बाहर भारी भीड़ जमा हो गई थी। उनके वकील ने उन पर लगे आरोपों को पूरी तरह से अन्यायपूर्ण बताया। अभियोजन पक्ष को यह भी स्वीकार करना पड़ा कि केस बनाने के लिए उनके खिलाफ सुबूत पर्याप्त नहीं थे।इस मामले में और 37 और 40 वर्ष की आयु के दो पुरुषों को कोवेंट्री में गिरफ्तार किया गया था और एक 38 वर्षीय व्यक्ति को पिछले साल वाल्वरहैम्प्टन में गिरफ्तार किया गया। बाद में उन्हें कड़ी शर्तो के तहत जमानत दे दी गई थी। इस मामले में गिरफ्तारी से संबंधित मानवाधिकारों की चिंताओं पर विचार करने के लिए अब अगली तारीख पर एक और सुनवाई की उम्मीद है।

chat bot
आपका साथी