चीन को आगाह करने के लिए ब्रिटेन भी करेगा भारत के साथ सैन्य अभ्यास

तीन अरब पाउंड (करीब 28 हजार करोड़ रुपये) की लागत वाला एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ ब्रिटिश नौसेना का सबसे बड़ा युद्धपोत है। ब्रिटिश सरकार के अनुसार उसका नौसैनिक स्ट्राइक ग्रुप (हमलावर बेड़ा) इस साल के अंत में भारत जाएगा।

By Neel RajputEdited By: Publish:Mon, 26 Apr 2021 10:26 PM (IST) Updated:Mon, 26 Apr 2021 10:26 PM (IST)
चीन को आगाह करने के लिए ब्रिटेन भी करेगा भारत के साथ सैन्य अभ्यास
विमानवाहक पोत क्वीन एलिजाबेथ के नेतृत्व वाला हमलावर बेड़ा लेगा भाग

लंदन, प्रेट्र। फ्रांस के विमानवाहक युद्धपोत चा‌र्ल्स द गाल के साथ भारतीय नौसेना इन दिनों अरब सागर में सैन्य अभ्यास कर रही है। ब्रिटेन का हमलावर नौसैनिक बेड़ा (सीएसजी) अगले सैन्य अभ्यास के लिए भारत आने को तैयार है। इस बेड़े का नेतृत्व विशालकाय विमानवाहक युद्धपोत एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ करेगा। ब्रिटिश नौसैनिक बेड़ा भारतीय नौसेना के साथ हिंद महासागर में अभ्यास करेगा। जाहिर है ये सैन्य अभ्यास चीन को आगाह करने के लिए हैं। ब्रिटेन और फ्रांस संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य होने के साथ ही दुनिया के सबसे ताकतवर देशों में शुमार हैं।

तीन अरब पाउंड (करीब 28 हजार करोड़ रुपये) की लागत वाला एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ ब्रिटिश नौसेना का सबसे बड़ा युद्धपोत है। ब्रिटिश सरकार के अनुसार उसका नौसैनिक स्ट्राइक ग्रुप (हमलावर बेड़ा) इस साल के अंत में भारत जाएगा। वहां पहुंचकर यह भारतीय नौसेना के साथ मिलकर हिंद महासागर में बड़ा युद्धाभ्यास करेगा। इसके बाद यह जापान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर जाएगा। यह हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में स्वतंत्र आवागमन की नीति का पालन करते हुए अपना सफर तय करेगा। इस स्ट्राइक ग्रुप का आवागमन चीन के प्रभाव वाले क्षेत्र में होगा। जाहिर है यह चीन को दायरे में रहने का इशारा भी होगा।

सीएसजी में ब्रिटिश वायुसेना के एफ 35 बी स्टील्थ फाइटर प्लेन भी शामिल होंगे। इसके अतिरिक्त नौसेना के कई युद्धपोत, टॉमहॉक क्रूज मिसाइल से लैस पनडुब्बी, हेलीकॉप्टर की फ्लीट और रॉयल मरीन कमांडो की एक कंपनी भी भारत जाएगी। ब्रिटेन के रक्षा मंत्री बेन वैलेस ने कहा है कि भारत उनका नैसर्गिक रक्षा साझीदार है। खासतौर पर हम विश्व स्तरीय शोध, विकास और प्रशिक्षण में साथ हैं। सीएसजी का भारत में जाकर अभ्यास करना दोनों देशों के रक्षा संबंधों को और मजबूत करेगा। इससे भारत के साथ रक्षा सहयोग को लेकर हमारी वचनबद्धता और मजबूत होगी। हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दोनों देशों के रक्षा संबंध और मजबूत होंगे। विश्व व्यवस्था को चुनौती देने वालों के लिए यह एक संकेत होगा।

नई दिल्ली में ब्रिटेन के उच्चायुक्त ने कहा है कि सीएसजी भ्रमण के जरिये ब्रिटेन हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्र में आवागमन की स्वतंत्रता की अवधारणा को मजबूत करेगा। यह दुनिया के सबसे व्यस्त व्यापारिक मार्गों में शुमार है। समुद्री मार्गों पर स्वतंत्र आवागमन सभी देशों के हित में है।

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