चिंताजनक: बादल बढ़ाएंगे ग्लोबल वार्मिग का असर, ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने दी चेतावनी

लंदन में हुई एक रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि ग्‍लोबल वार्मिंग की वजह से हालात और खराब हो सकते हैं। रिसर्च में इसकी वजह प्रकृति से छेड़छाड़ को ही बताया गया है। इसको लेकर वैज्ञानिकों ने चेतावनी भी दी है।

By Kamal VermaEdited By: Publish:Thu, 22 Jul 2021 02:20 PM (IST) Updated:Thu, 22 Jul 2021 02:20 PM (IST)
चिंताजनक: बादल बढ़ाएंगे ग्लोबल वार्मिग का असर, ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने दी चेतावनी
ग्‍लोबल वार्मिंग से बढ़ सकती है समस्‍या

लंदन (पीटीआई)। वर्तमान में ग्लोबल वार्मिग धरती के सबसे बड़े खतरों में से एक है। इसके पीछे कई मानवीय गतिविधियां भी जिम्मेदार हैं। अब इस कड़ी में एक और चिंताजनक बात सामने आई है। एक नवीन अध्ययन के आधार पर चेताया गया है कि वैश्विक तापमान में तीन डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी की आशंका है, जो कि यूएन द्वारा तय लक्ष्य डेढ़ डिग्री सेल्सियस से दोगुना है। इसके पीछे एक बड़ी वजह बादल भी बनेंगे, जो सौर विकिरण को कम प्रति¨बबित कर ग्रीनहाउस प्रभाव को बढ़ाएंगे। सरल शब्दों में कहें तो बादलों की वजह से गर्मी कम मुक्त होगी, जिससे धरती के तापमान में अधिक बढ़ोतरी होगी।

प्रोसी¨डग्स आफ द नेशनल एकेडमी आफ साइंसेस नामक जर्नल पर प्रकाशित इस शोध बताया गया है कि अब तक के सबसे प्रबल साक्ष्य मिले हैं, जो ये बताते हैं कि बादल लंबे समय तक वैश्विक तापमान को बढ़ाएंगे और जलवायु परिवर्तन को और तेज करने का काम करेंगे।

ब्रिटेन के इंपीरियर कालेज लंदन और यूनिवर्सिटी आफ ईस्ट एंग्लिया के विज्ञानियों ने धरती पर आच्छादित बादलों की उपग्रह माप के विश्लेषण के लिए एक नए तरीके को अपनाया। अध्ययन के आधार पर विज्ञानियों ने बताया कि वायुमंडल में औद्योगिकीकरण से पूर्व की तुलना में वर्तमान में कार्बन डाइआक्साइड की सांद्रता में दोगुना वृद्धि होने की आशंका है। इसके अलावा तापमान में बढ़ोतरी के लक्ष्य को दो डिग्री सेल्सियस से कम रखने की बात कही जा रही है, उसके सफल होने की उम्मीद बहुत कम है। इसके विपरीत, वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी तीन डिग्री सेल्सियस से अधिक होने की आशंका है। औद्योगिकीकरण से पूर्व कार्बन डाइआक्साइड का स्तर 280 पार्ट्स पर मिलियन (पीपीएम) था, लेकिन वर्तमान में यह करीब 420 तक पहुंच चुका है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण कार्बन डाइआक्साइड की मात्र के दोगुना होने के इस पूर्वानुमान को जलवायु संवेदनशीलता के रूप में जाना जाता है। यह हमें बताता है कि इस तरह के बदलाव से हमारी जलवायु कड़ी प्रतिक्रिया देगी। शोधकर्ता कहते हैं कि जलवायु संवेदनशीलता के पूर्वानुमान में बादलों के कारण बहुत अनिश्चितता है। साथ ही यह भी नहीं पता है कि बादलों में बदलाव से यह परिवर्तन कितना प्रभावित होगा। ऐसा इसलिए है, क्योंकि बादल वातावरण में उनके घनत्व और ऊंचाई जैसे गुणों के आधार पर वार्मिग को घटा, बढ़ा सकते हैं।

कितना पड़ेगा असर, यह जानने के लिए और अध्ययन की जरूरत : इंपीरियल कालेज लंदन से अध्ययन के सह-लेखक पाउलो सेप्पी के मुताबिक, जलवायु संवेदनशीलता के कारण भविष्य में ग्लोबल वार्मिग किस दिशा में बढ़ेगी इसे लेकर अत्यधिक अनिश्चितता है। यह इस पर भी निर्भर करता है कि वैश्विक तापमान में डेढ़ डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी से पहले हम क्या कदम उठाते हैं। साथ ही यह बादलों पर भी निर्भर करेगा। हमारे अध्ययन के परिणाम यह तो स्पष्ट करते हैं ग्लोबल वार्मिग पर बादलों का असर पड़ेगा, लेकिन कितना इसकी सटीक जानकारी के लिए और अध्ययन की जरूरत है।

इस तरह असर डालते हैं बादल

विज्ञानियों के मुताबिक, यदि बादल नीचे होते हैं तो उनसे शीतलन प्रभाव पड़ता है, क्योंकि वे सूर्य के प्रकाश को धरती पर पहुंचने में बाधा उत्पन्न करते हैं। वहीं, जो बादल ऊंचे होते हैं वे गर्म प्रभाव डालते हैं, क्योंकि जब सौर ऊर्जा धरती पर पहुंच जाती है और लौटने लगती है तो वे उसके लौटने में बाधा उत्पन्न करते हैं। इस ऊर्जा के बादलों में फंसने से ग्रीनहाउस प्रभाव बढ़ सकता है। अभी तक के अध्ययन के आधार पर यह कहा जा सकता है कि वैश्विक तापमान में वृद्धि 3.2 डिग्री सेल्सियस के करीब हो सकती है। हालांकि, इसकी सटीकता जानने के लिए और अध्ययन की जरूरत है।

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