ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स खोलेंगे नया एस्ट्राजेनेका रिसर्च सेंटर

ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स (Prince Charles) मंगलवार को एक नए एस्ट्राजेनेका रिसर्च एंड डेवलपमेंट फैसिलिटी (RD facility) का उद्घाटन करेंगे। इससे कंपनी के लक्ष्य को पूरा करने में सहयोग मिलेगा। इससे कंपनी के लक्ष्य को पूरा करने में सहयोग मिलेगा।

By Monika MinalEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 05:48 AM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 06:18 AM (IST)
ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स खोलेंगे नया एस्ट्राजेनेका रिसर्च सेंटर
ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स खोलेंगे नया एस्ट्राजेनेका रिसर्च सेंटर

लंदन, रायटर्स। ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स (Prince Charles) मंगलवार को एक नए एस्ट्राजेनेका रिसर्च एंड डेवलपमेंट फैसिलिटी (R&D facility) का उद्घाटन करेंगे।   इससे कंपनी के लक्ष्य को पूरा करने में सहयोग मिलेगा। एस्ट्राजेनेका ने आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में विकसित अपने कोरोना वैक्सीन के दो बिलियन खुराक का सप्लाई किया था। इसके अलावा कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए  एंटीबडी काकटेल तैयार करने की दिशा में काम कर रही है। 

एस्ट्राजेनेका की एंटीबडी काकटेल कोरोना केे खिलाफ 83 फीसद असरदार पाई गई है। साथ ही वह संक्रमण के खिलाफ कम से कम छह महीने तक सुरक्षा प्रदान करती है। कंपनी ने यह दावा किया है। इससे विश्व में कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई और मजबूत होगी। AZD7442 या एवुशेल्ड नामक थेरेपी को पहले तीन महीने के बाद लक्षण वाले मरीजों पर 77 फीसद असरदार पाई गई थी। 

एस्ट्राजेनेका के कार्यकारी उपाध्यक्ष मेने पंगालोस ने कहा है कि हम दुनियाभर में दवा नियामकों से इस एंटीबडी काकटेल मंजूरी दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। समूह ने पिछले महीने ही अमेरिका से दवा के लिए मंजूरी मांगी थी।

एस्ट्राजेनेका ने कहा है कि एंटीबडी काकटेल मुख्य रूप से उन लोगों को मदद मिलेगी, जिन्हें कोरोना से सबसे ज्यादा जोखिम है। 

 कंपनी ने वैक्‍सीन की तरह ही काम करने वाली दवा AZD7442  के लिए दावा किया है कि  दवा देने के बाद छह माह तक शरीर में कोरोना के खिलाफ इम्‍यूनिटी बनी रहती है। लैब में दो तरह के एंटीबडीज से विकसित की गई इस दवा पर हुआ ट्रायल सफल रहा है और इसे इंजेक्‍शन की मदद से मरीज को लगाया गया। उल्लेखनीय है कि इस दवा को तैयार करने के लिए कोरोना संक्रमण से ठीक हुए मरीजों के शरीर से एंटीबडीज ली गईं।

कोरोना जांच में श्वेत और अश्वेत लोगों के बीच भेदभाव करने वाले मेडिकल उपकरणों के मुद्दे पर बवाल मच गया है। ब्रिटेन ने इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच कराने की मांग की है, साथ ही अपने यहां इसके लिए एक आयोग का गठन भी कर दिया है।

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