UK and China Tension: दुनिया के श्रेष्ठ लड़ाकू विमानों एवं साजो-समान के साथ हिंद महासागर में ब्रिटेन के एलिजाबेथ की दस्तक, बेचैन हुआ चीन
हिंद महासागर में ब्रिटेन का एयरक्राफ्ट कैरियर एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ अपने स्ट्राइक ग्रुप के साथ दाखिल हो चुका है। कैरियर के साथ डिस्ट्रॉयर फ्रिगेट पनडुब्बी और माइन स्वीपर जहाजों का पूरा बेड़ा मौजूद है। पहली बार ब्रिटेन ने अपने सबसे बड़े युद्ध पोत की तैनाती की है।
लंदन, एजेंसी। हिंद महासागर में ब्रिटेन की रॉयल नेवी का एयरक्राफ्ट कैरियर एचएमएस क्वीन एलिजाबेथ अपने स्ट्राइक ग्रुप के साथ दाखिल हो चुका है। हिंद महासागर में एलिजाबेथ को देख चीन की बेचैनी बढ़ गई है। ब्रिटिश एयरक्राफ्ट करियर के साथ डिस्ट्रॉयर, फ्रिगेट, पनडुब्बी और माइन स्वीपर जहाजों का पूरा बेड़ा मौजूद है। यह पहली बार हुआ है कि ब्रिटेन ने हिंद महासागर में अपने सबसे बड़े युद्ध पोत की तैनाती की है। यह एयरक्राफ्ट करियर भारतीय नौसेना के साथ इस इलाके में युद्धाभ्यास भी करेगा। इसके बाद यह दक्षिण चीन सागर में अमेरिका और जापान की नौ सेना के साथ भी युद्धाभ्यास करने की योजना है। ब्रिटेन के इस कृत्य से चीन की दिक्कतें बढ़ गई है। हिंद महासागर और दक्षिण चीन सागर में यह युद्धाभ्यास की तैयारी तब शुरू हो रही है, जब चीन इस क्षेत्र में तेजी से अपनी नौसैनिक ताकत बढ़ाना चाहता है।
एयरक्राफ्ट कैरियर की ताकत
यह एयरक्राफ्ट कैरियर 280 मीटर लंबा है। इसका वजन 65 हजार टन है। इतना भारी होते हुए भी यह यह एयरक्राफ्ट कैरियर 59 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चल सकता है। एलिजाबेथ पर 1600 नौ सैनिकों को तैनात किया जा सकता है। इसमें 250 कमांडो शामिल हैं। इसमें लॉन्ग रेंज रडार लगा हुआ है, जो 400 किमी की दूरी से ही दुश्मनों के जहाजों का पता लगा सकता है। इसमें मीडियम रेंज के रडार लगा हुआ है, जो 200 किमी की दूरी तक एक बार में 900 लक्ष्यों को साध कर सकता है। यह 3डी रडार 3 मैक की स्पीड से उड़ने वाले चिड़िया या टेनिस बॉल के आकार के लक्ष्य को भी पहचान सकता है।
जंगी हथियारों से लैस है कैरियर
कई मुद्दों पर चीन और ब्रिटेन के बीच टकराव बढ़ा
ब्रिटेन और चीन के बीच हांगकांग को लेकर सबसे ज्यादा तनाव है। इसके अलावा उइगर मुस्लिमों के मानवाधिकारों का दमन, दक्षिण चीन सागर में दादागीरी, ताइवान पर कब्जे की कोशिश जैसे मुद्दों को लेकर भी ब्रिटेन और चीन में तनाव चरम पर हैं। चीन के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लेकर भी ब्रिटेन खफा है। चीन राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के जरिए लोकतंत्र समर्थकों और आंदोलन को कुचल रहा है। उसने हांगकांग पर जबरन इस कानून को थोपा है। हांगकांग में इस कानून के बाद ब्रिटेन ने यहां के निवासियों को अपने देश की नागरिकता देने का ऐलान किया हुआ है।