ब्रिटेन : एस्ट्राजेनेका के सीईओ ने कहा, जरूरी नहीं सभी को बूस्टर डोज की आवश्यकता हो

एस्ट्राजेनेका के सीईओ ने कहा कि अभी यह फैसला लेना जल्दबाजी होगा। सभी के लिए तीसरी डोज की जरूरत हो सकती है लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि इसकी जरूरत सभी को ना हो। बूस्टिंग प्रोग्राम जिसकी अभी जरूरत नहीं है एनएचएस के लिए और बोझ बढ़ा देगा।

By Neel RajputEdited By: Publish:Thu, 09 Sep 2021 03:19 PM (IST) Updated:Thu, 09 Sep 2021 03:19 PM (IST)
ब्रिटेन : एस्ट्राजेनेका के सीईओ ने कहा, जरूरी नहीं सभी को बूस्टर डोज की आवश्यकता हो
कई वैज्ञानिकों ने दिया बूस्टर डोज की आवश्यकता पर जोर

लंदन, आइएएनएस। एस्ट्राजेनेका के सीईओ पास्कल सोरियट ने कहा है कि जरूरी नहीं है कि ब्रिटेन में सभी को कोरोना वैक्सीन की तीसरी यानी बूस्टर खुराक की आवश्यकता हो। इससे नेशनल हेल्थ सर्विस पर भी अतिरिक्त भार पड़ेगा। द टेलीग्राफ के मुताबिक, ये टिप्पणियां ऐसे समय में आई हैं जब देश कुछ हफ्तों में सभी नागरिकों के लिए बूस्टर खुराक की आधिकारिक तौर पर घोषणा करने वाला है।

उन्होंने कहा कि अभी यह फैसला लेना जल्दबाजी होगा। सभी के लिए तीसरी डोज की जरूरत हो सकती है लेकिन ऐसा भी हो सकता है कि इसकी जरूरत सभी को ना हो। बूस्टिंग प्रोग्राम जिसकी अभी जरूरत नहीं है, एनएचएस के लिए और बोझ बढ़ा देगा। अब तक, भारत में एस्ट्राजेनेका, कोविशील्ड की एक अरब 20 करोड़ खुराक वितरित की जा चुकी हैं।

भारत में बूस्टर डोज को लेकर होगा विचार

भारत सरकार की पहली प्राथमिकता दिसंबर तक देश के सभी वयस्कों को वैक्सीन की दोनों डोज देना है और उसके बाद ही तीसरी डोज पर विचार होगा। कोरोना के खिलाफ सरकार की रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभाने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, दुनिया में कई विज्ञानी बूस्टर डोज की जरूरत पर बल दे रहे हैं। वहीं, कई देशों में बड़े पैमाने पर वैक्सीनेशन के बावजूद कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसकी जरूरत भी महसूस की जा रही है।

ब्रिटेन की दुकानों में जरूरी सामानों की कमी

ब्रिटेन की राजधानी लंदन समेत देश के कई हिस्सों में ग्रोसरी दुकानों में जरूरी सामानों की कमी देखी गई है। यहां दुकानों और सुपर स्टोरों (Grocery Shops) में दूध और पानी जैसी चीजें की कमी हो गई है। इसका कारण कोरोना महामारी की वजह से प्रभावित हुई आपूर्ति श्रृंखला के साथ-साथ यूरोपीय संघ (EU) से ब्रिटेन के अलग होने (ब्रेक्जिट) को माना जा रहा है। यहां के खाली पड़े सुपरमार्केट में कमियों को पूरा करने के लिए लगे रेस्तरां और खाद्य उत्पाद निर्माताओं ने जेलों में बंद कैदियों को काम के लिए भर्ती करने की मंशा जाहिर की है।

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