कोरोना होने के नौ महीने बाद भी बनी रहती है एंटीबाडी, जानिए और क्या कहता है यह रिसर्च

नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार गत वर्ष फरवरी और मार्च में कोरोना संक्रमित पाए गए लोगों में से 98.8 फीसद में गत नवंबर में पहचान करने योग्य मात्रा में एंटीबाडी की मौजूदगी पाई गई ।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Publish:Mon, 19 Jul 2021 05:37 PM (IST) Updated:Mon, 19 Jul 2021 05:37 PM (IST)
कोरोना होने के नौ महीने बाद भी बनी रहती है एंटीबाडी, जानिए और क्या कहता है यह रिसर्च
यह निष्कर्ष एक इतालवी कस्बे के डाटा के विश्लेषण के आधार पर निकाला गया

लंदन, प्रेट्र। कोरोना वायरस (कोविड-19) की चपेट में आने के बाद शरीर में बनने वाली एंटीबाडी को लेकर एक नया अध्ययन किया गया है। इसका दावा है कि कोरोना संक्रमण के नौ महीने बाद भी शरीर में उच्च स्तर पर एंटीबाडी बनी रहती है। एंटीबाडी की यह मौजूदगी लक्षण और बिना लक्षण वाले दोनों मामलों में पाई गई है। यह निष्कर्ष एक इतालवी कस्बे के डाटा के विश्लेषण के आधार पर निकाला गया है।

इटली की पादुआ यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन के इंपीरियल कालेज लंदन के शोधकर्ताओं ने गत वर्ष फरवरी और मार्च में कस्बे के तीन हजार निवासियों में से 85 फीसद से ज्यादा का कोरोना संक्रमण को लेकर टेस्ट किया था। इन लोगों में एंटीबाडी को लेकर गत वर्ष मई और फिर नवंबर में जांच की गई थी।

नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, गत वर्ष फरवरी और मार्च में कोरोना संक्रमित पाए गए लोगों में से 98.8 फीसद में गत नवंबर में पहचान करने योग्य मात्रा में एंटीबाडी की मौजूदगी पाई गई। कोरोना के खिलाफ बनने वाली इस एंटीबाडी को लेकर आए इस नतीजे में लक्षण और बिना लक्षण वाले पीड़ितों में कोई अंतर पाया नहीं गया।

इंपीरियल कालेज लंदन की शोधकर्ता इलारिया डोरिगटी ने कहा, 'लक्षण और बिना लक्षण वाले कोरोना पीडि़तों में एंटीबाडी के स्तरों में कोई अंतर नहीं मिलने से यह जाहिर होता है कि इम्यून रिस्पांस की क्षमता लक्षणों और संक्रमण की गंभीरता पर निर्भर नहीं करती है।' 

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