रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने दी धमकी, कहा- सब्र का इम्तिहान न ले पश्चिम, नहीं तो मिलेगा करारा जवाब

रूसी राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्र को अपने वार्षिक संबोधन में कहा है कि पश्चिमी देश रूस की रेडलाइन न लांघे (सब्र का इम्तिहान न लें)। अन्यथा ऐसा करारा जवाब दिया जाएगा जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की होगी।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 09:52 PM (IST) Updated:Thu, 22 Apr 2021 12:04 AM (IST)
रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने दी धमकी, कहा- सब्र का इम्तिहान न ले पश्चिम, नहीं तो मिलेगा करारा जवाब
रूसी राष्‍ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि पश्चिमी देश रूस की रेडलाइन न लांघे (सब्र का इम्तिहान न लें)।

मॉस्को, रायटर। पश्चिमी देश रूस की रेडलाइन न लांघे (सब्र का इम्तिहान न लें)। अन्यथा ऐसा करारा जवाब दिया जाएगा जिसकी कल्पना भी किसी ने नहीं की होगी। यह बात रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने राष्ट्र को अपने वार्षिक संबोधन में कही है। अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ तल्खपूर्ण संबंधों के बीच रूस ने यूक्रेन की सीमा के पास अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ा दी है। जेल में अनशन कर रहे विपक्षी नेता एलेक्सेई नवलनी के मसले पर भी रूस और पश्चिमी देशों के बीच तनाव बढ़ा हुआ है।

सोच नहीं सकते कितना खतरनाक जवाब मिलेगा

पुतिन ने अपने संबोधन में साफ किया कि रूस बाहरी चुनौतियों से निपटने में पूरी तरह से सक्षम है। संसद के दोनों सदनों को संबोधित करते हुए पुतिन ने कहा, हम सभी के साथ अच्छे संबंध चाहते हैं। हम जोड़ने वाले पुलों को खत्म नहीं करना चाहते। लेकिन अगर इसे कोई हमारी कमजोरी समझेगा तो वह सोच भी नहीं सकता कि रूस का जवाब कितना खतरनाक होगा।

हमने तय कर रखी है सीमा रेखा

पुतिन ने कहा कि रूस ने हर मामले में अपनी सीमा रेखा तय कर रखी है। वह हिरनों के बीच एक टाइगर की तरह है जिसे किसी की फिक्र नहीं है। अपने 78 मिनट के भाषण में पुतिन ने कोविड-19 महामारी और रूस की आर्थिक मुश्किलों का भी जिक्र किया।

हर समस्‍या के लिए रूस जिम्‍मेदार नहीं

पुतिन ने कहा कि कुछ देशों की आदत है कि वे हर समस्या के लिए रूस को जिम्मेदार ठहरा देते हैं। उनके लिए यह एक तरह का खेल है। लेकिन भड़कावे का यह खेल लंबे समय तक नहीं चल सकता। इस तरह का खेल खेलने वालों को पछताना पड़ेगा। अपने भाषण में पुतिन ने एक बार भी नवलनी का जिक्र नहीं किया।

यह है पुतिन के गुस्‍से की वजह

उल्लेखनीय है कि कभी रूस के सहयोगी रहे यूक्रेन और चेक गणराज्य भी मौजूदा वक्‍त में रूस के खिलाफ खड़े हैं। दोनों ही देशों को यूरोप और अमेरिका का समर्थन हासिल है। यही पुतिन को खल रहा है और इसे वह रूस को घेरने की नीति मान रहे हैं।

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