तालिबान के कारण आतंकियों के हौसले बुलंद, दक्षिण एशिया क्षेत्र में बढ़ी आतंकी घटना, सर्वाधिक पी‍ड़‍ित पाक

कनाडा के थिंक टैंक का कहना है कि पाकिस्तान समेत इस क्षेत्र में सिर्फ अगस्त महीने में 35 आतंकी हमले हुए हैं जिसमें कुल 52 लोग मारे गए हैं। सितंबर में भी पाकिस्तान के वजीरिस्तान में टीटीपी ने सात पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या की है।

By Ramesh MishraEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 06:35 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 06:42 PM (IST)
तालिबान के कारण आतंकियों के हौसले बुलंद, दक्षिण एशिया क्षेत्र में बढ़ी आतंकी घटना, सर्वाधिक पी‍ड़‍ित पाक
तालिबान के कारण आतंकियों के हौसले बुलंद, दक्षिण एशिया क्षेत्र में बढ़ी आतंकी घटना।

काबुल/इस्लामाबाद, एजेंसी। कनाडा के एक थिंक टैंक का मानना है कि अफगानिस्तान में 15 अगस्त को तालिबान का कब्जा होने के बाद आतंकी संगठनों की हिम्मत बढ़ गई है। कनाडा के इस संगठन इंटरनेशनल फोरम फार राइट्स एंड सिक्योरिटी (आइएफएफआरएएस) ने कहा कि अफगान तालिबान और तहरीक-ए-तालिबान(टीटीपी) के मजबूत गठजोड़ से साफ है कि लोकतंत्र समर्थक देशों में अब हिंसा बढ़ेगी और आतंकियों का गढ़ पाकिस्तान भी इससे अछूता नहीं रहेगा।

पाक में अगस्त महीने में 35 आतंकी हमले हुए

दक्षिण एशिया क्षेत्र के ताजा घटनाक्रम पर कनाडा के थिंक टैंक का कहना है कि पाकिस्तान समेत इस क्षेत्र में सिर्फ अगस्त महीने में 35 आतंकी हमले हुए हैं जिसमें कुल 52 लोग मारे गए हैं। सितंबर में भी पाकिस्तान के वजीरिस्तान में टीटीपी ने सात पाकिस्तानी सैनिकों की हत्या की है। अफगानिस्तान में भी पाकिस्तान से लगी सीमा पर काफी हिंसा हुई है। आइएफएफआरएएस के अनुसार तालिबान की प्रवृत्ति कहने की कुछ और उसका एकदम उल्टा करने की है। संयुक्त राष्ट्र को भेजी रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में पिछले साल तक छह हजार से अधिक आतंकियों का गढ़ बन चुका है।

तालिबान के तमाम बड़े नेता पाकिस्तान में शरणागत

अफगानिस्‍तान में तालिबान कब्जे के पूर्व भी अफगान सरकारों ने हमेशा कहा कि तालिबान के तमाम बड़े नेता पाकिस्तान में शरण लिए हुए हैं। क्वेटा में बैठे तालिबानी नेता अफगानिस्तान में हिंसा कराते हैं। इन नेताओं की जमात को ही ‘क्वेटा शूरा’ यानी क्वेटा की समिति कहा जाता है। हालांकि, इन आरोपों से पाकिस्तान इनकार करता रहा है। तालिबान सरगना हिब्तुल्लाह अखुंदजादा और बाकी कुछ नेता भी लंबे वक्त तक पाकिस्तान में शरण लिए हुए थे। अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद सभी पाक‍िस्‍तान से अफगानिस्‍तान लौट आए हैं। इन तालिबानी नेताओं का परिवार भी पाकिस्तान में शरण लिए हुए हैं।

अफगानिस्तान कर रहा बड़ी चुनौती का सामना

अमेरिका में अफगानिस्तान के प्रतिनिधि पद से एक दिन पहले इस्तीफा देने के बाद जाल्मेय खलीलजाद ने कहा कि उनके देश में अफगानों को बड़ी भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। खलीलजाद ने ट्वीट करके कहा कि अमेरिकी सेनाएं देश से बाहर आ चुकी हैं और उनके लिए लड़ाई खत्म हो चुकी है। लेकिन यह अंतिम अध्याय नहीं है। अफगानी लोगों के लिए आगे अभी और भी बड़ी चुनौतियां हैं। इसमें आर्थिक संकट और सुरक्षा का मसला सबसे बड़ा है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अ्रफगानिस्तान के प्रतिनिधि का अपना पद छोड़ दिया है। उन्होंने अपने स्थान पर नियुक्त किए गए थामस वेस्ट का स्वागत किया।

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