तालिबान ने अपनी हुकूमत का ट्रेलर दिखाया, लड़कियों और महिलाओं पर सख्‍त पाबंदियां, अफगानी कलाकार भी छोड़ रहे देश

अफगानिस्तान में तालिबान के शासन में लड़कियों को उच्च शिक्षा की इजाजत तो दी गई है लेकिन तमाम पाबंदियों के साथ। लड़कियों के लिए इस्लामी पोशाक पहनना अनिवार्य होगा यानी उन्हें सिर से पांव तक पूरे शरीर को ढकने वाला बुर्का पहनना होगा।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Publish:Sun, 12 Sep 2021 09:45 PM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 02:14 AM (IST)
तालिबान ने अपनी हुकूमत का ट्रेलर दिखाया, लड़कियों और महिलाओं पर सख्‍त पाबंदियां, अफगानी कलाकार भी छोड़ रहे देश
अफगानिस्तान में तालिबान के शासन में लड़कियों के लिए इस्लामी पोशाक पहनना अनिवार्य होगा!

काबुल, रायटर। अफगानिस्तान में तालिबान के शासन में लड़कियों को उच्च शिक्षा की इजाजत तो दी गई है लेकिन तमाम पाबंदियों के साथ। लड़कियों के लिए इस्लामी पोशाक पहनना अनिवार्य होगा यानी उन्हें सिर से पांव तक पूरे शरीर को ढकने वाला बुर्का पहनना होगा। तालिबान की नई सरकार की तरफ से जारी फरमान में सहशिक्षा पर पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। कक्षा में लड़के और लड़कियां एक साथ नहीं बैठ सकेंगे।

अनिवार्य किया इस्लामी पोशाक

तालिबान की नई अंतरिम सरकार के उच्च शिक्षा मंत्री अब्दुल बकी हक्कानी ने एक पत्रकार वार्ता में नई नीतियों की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि तालिबान बीस साल पीछे नहीं लौटना चाहता है। हम आज की जरूरतों के लिहाज से ही आगे बढ़ेंगे। इसके लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली लड़कियों के लिए कुछ नियम तय किए गए हैं। उनके लिए इस्लामी पोशाक को अनिवार्य बनाया गया है।

लड़कियों को महिला शिक्षक ही पढ़ाएंगी

हक्कानी ने कहा कि शरिया कानून के तहत शिक्षा दी जाएगी। तालिबान के शासन में लड़के-लड़कियों की एक साथ क्लास नहीं होगी। जरूरी होने पर कक्षा को पर्दे से दो भागों में बांटा जाएगा। सहशिक्षा पर रोक होगी। लड़कियों को महिला शिक्षक ही पढ़ाएंगी।

पर्दे के पीछे रहकर पढ़ाएंगे पुरुष शिक्षक

उच्च शिक्षा मंत्री अब्दुल बकी हक्कानी ने कहा कि अफगानिस्तान में महिला शिक्षकों की कमी नहीं है। उच्च शिक्षा के मौजूदा पाठ्यक्रमों की समीक्षा की जाएगी। जरूरी होने पर पुरुष शिक्षक पर्दे के पीछे रहकर लड़कियों को पढ़ा सकेंगे। बता दें कि एक दिन पहले ही काबुल में बुर्का पहनी लड़कियों ने तालिबान के समर्थन में रैली निकाली थीं। ये लड़कियां कालेज में भी गई थीं और छात्राओं के लिए इस्लामी पोशाक को अनिवार्य बनाने का समर्थन किया था।

पहले शासन में उच्च महिला शिक्षा पर लगाई थी रोक

तालिबान ने जब 1996 से 2001 के बीच अफगानिस्तान पर शासन किया था, तब उस समय महिलाओं को उच्च शिक्षा की अनुमति नहीं थी। यहां तक कि महिलाओं को नौकरी करने की इजाजत नहीं दी गई थी। उनके अकेले घर से बाहर निकलने पर भी रोक थी। उसने पूर्व के शासन में कला और संगीत पर भी पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था।

महिला बाक्सर को छोड़ना पड़ा देश

एएनआइ के अनुसार लाइटवेट बाक्सिंग चैंपियन सीमा रेजई को तालिबान ने जान से मारने की धमकी देकर देश छोड़ने को मजबूर कर दिया। सीमा ने बताया कि धमकी के बाद ही परिवार को छोड़कर अकेले ही उन्हें देश से बाहर निकलने का फैसला करना पड़ा। वह अपनी बाक्सिंग का प्रशिक्षण जारी करना चाहती थीं। पुरुष कोच से ट्रेनिंग लेने पर उन्हें धमकी दी गई थी।

अफगानी संगीत कलाकार भी छोड़ रहे देश

समाचार एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक अफगानिस्तान में काबुल सहित कई शहरों से अफगान संगीत के कलाकार भाग रहे हैं। अफगानिस्तान में होने वाले सभी संगीत कार्यक्रमों पर रोक लग गई है। कुछ संगीतकार भागकर पाकिस्तान पहुंच गए हैं। तालिबान के शासन का असर पाकिस्तान में रहने वाले अफगान संगीत के कलाकारों पर भी हो रहा है।

अफगान गायक ने बयां किया दर्द

पाकिस्तान भागकर पहुंचे अफगान गायक पसून मुनावर ने बताया कि तालिबान उन्हें छोड़ते नहीं, इसलिए वह भाग आए। एक अन्य गायक अजमल ने बताया कि तालिबान को गायकी पसंद नहीं है, इसलिए उन्होंने देश छोड़ दिया। ऐसे ही तमाम कलाकार अफगानिस्तान से भाग रहे हैं। 

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